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चीन विरोधी माहौल का डर! Alibaba ने भारत में आगे निवेश पर रोक लगाई

अलीबाबा ने भारत में कम से कम अगले छह महीने तक कोई निवेश न करने का निर्णय लिया है. हालांकि अपने मौजूदा निवेश को कम करने या उससे बाहर जाने की कंपनी की कोई योजना नहीं है. 

अलीबाबा ने निवेश पर रोक लगाई अलीबाबा ने निवेश पर रोक लगाई
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 27 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 12:47 PM IST
  • चीनी कंपनी अलीबाबा ने निवेश पर रोक लगाई
  • भारत में चीन विरोधी माहौल से डर हो सकती है वजह
  • भारत सरकार ने चीनी निवेश पर सख्ती भी बढ़ाई है

भारत-चीन सीमा पर तनाव के बाद से ही देश में चीन के खिलाफ माहौल हो गया है. सरकार भी चीनी कारोबार, निवेश पर कई तरह की सख्ती लगा रही है. शायद इसे देखते हुए ही चीन की दिग्गज ​ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा (Alibaba) ने भारत में अपने निवेश योजना को फिलहाल रोक लगा दी है. 

छह माह तक कोई निवेश नहीं 

गौरतलब है कि अलीबाबा ने कई भारतीय स्टार्टअप में निवेश कर रखा है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि अब अलीबाबा ने भारत में कम से कम अगले छह महीने तक कोई निवेश न करने का निर्णय लिया है. हालांकि अपने मौजूदा निवेश को कम करने या उससे बाहर जाने की कंपनी की कोई योजना नहीं है. 

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हजारों करोड़ का है निवेश 

गौरतलब है कि चीनी कंपनी अलीबाबा और उसकी सहयोगी कंपनियों अलीबाबा कैपिटल पार्टनर्स और ऐंट ग्रुप ने साल 2015 से अब तक भारतीय कंपनियों में 2 अरब डॉलर (करीब 15000 करोड़ रुपये) से ज्यादा का निवेश कर रखा है. मार्केट फाइनेंसिंग पर नजर रखने वाले फर्म पिचबुक के मुताबिक अलीबाबा ग्रुप भारत में 1.8 अरब डॉलर (करीब 14000 करोड़ रुपये) के और निवेश की तैयारी कर रहा था. 

इन कंपनियों के निवेश पर पड़ सकता है असर 

अलीबाबा ग्रुप ने भारत में Paytm, जोमैटो, बिगबास्केट जैसी कई कंपनियों में निवेश कर रखा है.अब इन कंपनियों में फिलहाल अलीबाबा कोई नया निवेश नहीं करेगी. Paytm की मालिक कंपनी One97 Communications में अलीबाबा ग्रुप के ऐंट की 30 फीसदी हिस्सेदारी है. 

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सरकार ने चीन से आने वाले निवेश पर सख्ती बरतते हुए यह नियम बना दिया है कि देश की सीमा से सटे देशों से आने वाला निवेश ऑटोमटिक रूट से नहीं हो सकता यानी बिना सरकारी मंजूरी के नहीं हो सकता. 

हाल में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद में भारत के 20 जवान शहीद हो गये थे. इसके बाद से ही देश में चीन विरोधी माहौल बन गया है. चीनी माल के बायकॉट का अभियान तक चल पड़ा है. 


 

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