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रूस में भारत के दो बैंकों की मौजूदगी, SBI ने रोका कारोबार!

Commercial Indo Bank LLC: यह एसबीआई और केनरा बैंक का ज्वाइंट वेंचर है जो रूस में ऑपरेट करता है. हालांकि, रूस में किसी भी भारतीय बैंक की कोई सब्सडियरी या कोई शाखा नहीं है.

SBI भारत का सबसे बड़ा लेंडर है SBI भारत का सबसे बड़ा लेंडर है
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 8:35 PM IST
  • एसबीआई और केनरा बैंक का है रूस में ज्वाइंट वेंचर
  • SBI रूसी इकाइयों के साथ नहीं करेगा कोई ट्रांजैक्शन

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है. कई पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं. रूस में भारत के सबसे बड़े लेंडर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और मिड-साइज पब्लिक सेक्टर बैंक केनरा बैंक (Canara Bank) का ज्वाइंट वेंचर है. यह भारतीय ओरिजिन का एक मात्र बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन है, जो रूस में एक्टिव है. हालांकि, वॉर जोन में भारतीय बैंकों की कोई सब्सिडियरी, ब्रांच या रिप्रजेंटिव नहीं है. 

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यह है ज्वाइंट वेंचर का नाम

रूस में एसबीआई और केनरा बैंक के ज्वाइंट वेंचर का नाम कॉमर्शियल इंडो बैंक एलएलसी (Commercial Indo Bank LLC) है. इस बैंक में SBI की हिस्सेदारी 60 फीसदी जबकि केनरा बैंक की हिस्सेदारी 40 फीसदी है. 

आरबीआई स्थिति पर रख रहा है नजर

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) स्थिति पर नजर रख रहा है. आरबीआई डेटा के मुताबिक रूस में किसी भी भारतीय बैंक की कोई सब्सिडियरी नहीं हैं. दूसरे देशों में भारतीय बैंकों की दर्जनों सब्सिडियरी कंपनियां हैं लेकिन ये कंपनियां ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका और केन्या, तंजानिया और भूटान जैसे देशों में हैं. 

इसी तरह किसी भारतीय बैंक की रूस में कोई शाखा नहीं है. 31 अक्टूबर, 2021 तक के डेटा के अनुसार भारतीय बैंकों की दूसरे देशों में 124 शाखाएं हैं. आरबीआई डेटा के मुताबिक यूएई में भारतीय बैकों की सबसे अधिक 17 शाखाएं, सिंगापुर में 13, हांगकांग में नौ और अमेरिका, मॉरीशस एवं फिजी द्वीप में 8-8 ब्रांच हैं. 

इसके अलावा रूस में भारतीय बैंकों का कोई रिप्रजेंटेटिव ऑफिस भी नहीं है. यूएई, ब्रिटेन और हांगकांग जैसे देशों में भारत के 38 रिप्रेजेंटिटव ऑफिस हैं. 

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रूसी इकाइयों के साथ कोई ट्रांजैक्शन नहीं करेगा एसबीआई

इसी बीच भारत के सबसे बड़े लेंडर ने कहा है कि वह इंटरनेशनल प्रतिबंधों के दायरे में आई रूसी इकाइयों के साथ किसी तरह का ट्रांजैक्शन नहीं करेगा. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक एसबीआई ने अपने कुछ क्लाइंट्स को पत्र भेजकर कहा है, "यूएस, यूरोपीय यूनियन और संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में शामिल बैंक, पोर्ट्स और Vessels के साथ किसी तरह का ट्रांजैक्शन नहीं किया जाएगा और इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि ट्रांजैक्शन किस करेंसी में हो रही है."

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