
कोरोना वायरस के देश में बढ़ते संक्रमण के बाद अस्पतालों में ऑक्सीजन (Oxygen) की मांग बढ़ती जा रही है. ऐसे में इस बात की मांग उठने लगी है कि देश में इंडस्ट्री क्षेत्र से खासकर स्टील प्लांट और रिफाइनरी से भी ऑक्सीजन ली जाए.
गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस की लहर इतनी तेज हो गई है कि अब हर पिछला रिकॉर्ड टूटता जा रहा है. बुधवार को ही देश में 1.84 लाख कोरोना के नए केस दर्ज किए गए हैं. ऐसे में अस्पतालों में बेड से लेकर ऑक्सीजन तक हर जरूरी चीज की कमी होती जा रही है.
आपूर्ति को सुधारने का प्रयास
सरकार ने पिछले दो-तीन दिन में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने के खास प्रयास किए हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार उद्योग जगत के लोगों खासकर स्टील प्लांट और ऑयल रिफाइनरीज से बात कर रही है.
पिछले दो-तीन दिन में इस बात के प्रयास हुए हैं कि ऑक्सीजन की आपूर्ति को सुधारा जाए और उद्योगों के उत्पादन पर भी ज्यादा असर न हो. उद्योग जगत के संगठन ऑक्सीजन उत्पादकों के साथ खासकर छोटी ईकाइयों के साथ इस बारे में बातचीत में लगे हैं कि किस तरह से अतिरिक्त जरूरतें पूरी करने के लिए उत्पादन बढ़ाया जाए.
कितना है ऑक्सीजन का उत्पादन
इंडस्ट्री के अनुमानों के मुताबिक देश में फिलहाल करीब 7,200 मीट्रिक टन (MT) ऑक्सीजन का डेली उत्पादन होता है. इसमें से करीब 50 फीसदी हिस्सा मेडिकल जरूरतों के लिए इस्तेमाल होता है और आधा हिस्सा औद्योगिक जरूरतों के लिए.
पिछले साल अक्टूबर में जारी एक बयान में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सचिव ने बताया था कि ऑक्सीजन की उत्पादन क्षमता अक्टूबर अंत तक 7191 एमएमटी प्रति दिन तक हो गई है. इसी तरह ऑक्सीजन सपोर्ट वाले बेड बढ़कर 3.8 लाख तक पहुंच गए हैं.
उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि स्टील कारखानों और रिफाइनरी के पास जो ऑक्सीजन जाता है, उसमें से 20 से 25 फीसदी हिस्से को इस इमरजेंसी में मेडिकल जरूरतों के लिए लगाया जा सकता है.
अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि कई स्टील कंपनियां ऑक्सीजन देने को तैयार हो गई हैं, लेकिन समस्या इसकी ढुलाई की भी है. उदाहरण के लिए अगर कोई कारखाना ओडिशा में है और ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत महाराष्ट्र में तो ऑक्सीजन तत्काल महाराष्ट्र पहुंचाना आसान नहीं है.