
कोरोना की पहली लहर के बाद तमाम आर्थिक मुश्किलों और दूसरी परेशानियों के बीच लोगों ने मकान मालिक बनने का सपना पूरा किया है. पहली बार घर खरीदने वालों ने कोरोना में लागू किए लॉकडाउन और दूसरी बंदिशों के बीच किराएदार का ठप्पा हटाकर गृहप्रवेश का मौका हासिल किया है.
एनारॉक की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई 2020 से मार्च 2021 के बीच NCR में कुल घर खरीदारों में से 85 फीसदी फर्स्ट टाइम होम बायर्स थे. NCR में इन 9 महीनों में 21,750 घरों की बिक्री हुई जिसमें से 90 फीसदी एंड यूज़र्स थे.
इसी तरह मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन MMR में बिके 47,140 घरों के खरीदारों में 90 परसेंट एंड यूज़र्स थे. यानी देश के दोनों बड़े रियल एस्टेट मार्केट्स में केवल 10 फीसदी घर निवेशकों ने खरीदे.
बड़े घरों की जरूरत
दरअसल, लॉकडाउन में ज्यादातर लोगों को वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन स्कूलिंग के लिए अपने किराए के घर छोटे लगने लगे थे. ऐसे में लोगों को बड़े घरों की जरूरत थी. साथ ही अपने होम टाउन जा चुके लोगों को खाली घर का किराया देना भी भारी लगने लगा था. इन सब जरूरतों और हालात ने लोगों को कोरोना की पहली लहर के बाद अपना घर खरीदने के लिए प्रेरित किया.
इस मामले में मुंबईकर आगे
नया घर खरीदने के साथ ही लोगों ने अपने मौजूदा छोटे घर को बड़े घर में तब्दील करने का काम भी किया. हालांकि इस मामले में NCR के मुकाबले MMR ने बाजी मार ली. एनारॉक की रिपोर्ट के मुताबिक NCR में केवल 15 फीसदी लोगों ने छोटे घरों से निकलकर बड़े घरों में गृह प्रवेश करने का काम किया, जबकि MMR में 65 फीसदी लोगों ने घरों को अपग्रेड करना का फैसला लिया.
NCR में कम लोगों के बड़ा घर ना लेने की एक वजह ये भी है कि यहां पर घरों का औसत साइज 1250 वर्ग फीट है, जबकि MMR में घरों की एवरेज साइज 950 वर्ग फीट है.
NCR में घरों की कीमतों में कमी
MMR में इन छोटे साइज के घरों के साथ ही स्टैंप ड्यूटी में कटौती, और न्यूनतम स्तर पर लुढ़कीं ब्याज दरों ने भी लोगों को बड़ा घर खरीदने का फैसला करने में मदद की. NCR में घरों की कीमतों में आई कमी घर खरीदारों के लिए मकान मालिक बनने की सबसे बड़ी वजह बनी.
एक दिलचस्प बदलाव इस बार ये भी देखने में आया कि लग्ज़री घरों के खरीदारों ने ज्यादातर रेडी टू मूव घरों की तलाश की. वहीं, मिड साइज और अफोर्डेबल कैटेगरी में ग्राहकों ने 2 साल तक मिलने वालों घरों की भी खरीदने में दरियादिली दिखाई.