
हाल ही में बकाया बिजली बिल के नाम पर SMS और व्हाट्सएप भेजकर साइबर ठगों ने लोगों के खाते को खाली करने का नया पैंतरा चला था. साइबर अपराधियों की इस चाल का खुलासा होने के बाद अब लोग सावधान हो गए हैं. इस तरह के मैसेज को आते ही वो नंबर को ब्लॉक और डिलीट करके साइबर अपराधियों की चाल को नाकाम कर रहे हैं. लेकिन नए नए पैंतरे खोजने और आजमाने के लिए मशहूर ये साइबर अपराधी अब सोसायटी में एंट्री और पार्किंग के लिए इस्तेमाल होने वाले पार्क प्लस एप के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं.
पार्क प्लस एप के नाम पर ट्रैफिक चालान भेजा
गुरुवार की रात जब ज्यादातर लोग चांद के निकलने और पूजा करने का इंतज़ार कर रहे थे. उसी वक्त नोएडा के सेक्टर 46 में स्थित हाईराइज सोसायटी गार्डेनिया ग्लोरी के निवासियों को 5000 रुपये के ट्रैफिक चालान के मैसेज आने शुरू हुए. इस मैसेज में लिखा था कि पार्क प्लस ने चालान का स्टेटस चेक करने की सुविधा शुरू की है.
ओवरस्पीड के नाम पर 5000 का चालाना भेजा गया, जिसके चेक करने के लिए एक लिंक भी मैसेज के साथ भेजा गया था. मैसेज में कहा गया था कि इस लिंक पर क्लिक करके आप चालान का स्टेटस पता कर सकते हैं. मैसेज को अधिकृत नंबर से दिखाने के लिए इसमें गुरुग्राम स्थित पार्क प्लस के दफ्तर का पता नंबर के नीचे लिखा हुआ था. ट्रू कॉलर में भी इसको पार्क प्लस का नंबर दिखाया जा रहा था. हालांकि नंबर अमेरिका के मिनोपोलिस के कोड को दिखा रहा था.
ट्रैफिक चालान के स्टेटस चेंक करने के लिंक से ठगी की कोशिश
इस मैसेज में चालाकी ये की गई थी कि चालान भरने के लिए नहीं कहा गया था. ऐसे में केवल स्टेटस की जानकारी के लिए कोई भी इस लिंक पर क्लिक कर सकता है. ज्यादातर लोग काफी सफर करते हैं और आजकल जगह-जगह कैमरे लगे होने से ओवरस्पीड के चालान भी कटना आम बात है. ऐसे में कौतहुलवश लोग लिंक को खोलकर अपने चालान की जानकारी लेना चाहेंगे. लेकिन ये साइबर ठग इसी का इंतज़ार करते हैं और लिंक पर क्लिक करते ही साइबर ठगी होने की आशंका बढ़ जाती है.
सोसायटी के व्हाट्सएप ग्रुप में कई लोगों ने डाले मैसेज के स्क्रीनशॉट
रात को 9 से 10 के बीच गार्डेनिया ग्लोरी के व्हाट्सएप ग्रुप में कई लोगों ने पार्क प्लस के नाम पर ट्रैफिक चालान मिलने के मैसेज डाले. इन लोगों ने अपना डेटा लीक होने के लिए सोसायटी प्रबंधन और पार्क प्लस पर शक जताया. जाहिर है जिस तरह से बड़ी-बड़ी कंपनियों के डेटा लीक के किस्से आम होते जा रहे हैं उससे सबसे पहला शक तो पार्क प्लस में ही साइबर सेंध लगने का जाता है. इसके अलावा पार्क प्लस के किसी कर्मचारी का भी इसमें हाथ हो सकता है. हमने पार्क प्लस से इस मामले में संपर्क करने की कोशिश की लेकिन हमारा संपर्क उनसे हो नहीं पाया.
सोसायटी के कर्मचारियों पर भी शक
लोगों को अपने नंबर लीक करने में सोसायटी के कर्मचारियों पर भी शक है. जिस तरह से प्रॉपर्टी ब्रोकर्स निवेशकों का डेटा हासिल करने के लिए सोसायटी के मेंटेनेंस दफ्तरों से संपर्क में रहते हैं. इसी तरह से कहीं किसी कर्मचारी की गलती या लालच से डेटा लीक होने का शक भी लोग जता रहे हैं.
क्या लिखा था मैसेज में?
Dear Park+ user ⚠️
Offence - Speeding 🏎️
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We at Park+ have started a new feature where
you can check your traffic rules violation
challan generated electronically
by the government.
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मामले पर पार्क प्लस का वर्जन
पार्क प्लस का कहना है कि ये मैसेज उसी के द्वारा भेजा गया है. लेकिन कंटेंट टीम ने लिंक खुलवाने के लिए उसमें गलती से 5 हज़ार रुपए के चालान डालने की बात मानी है. जिस जागरुकता के लिए पार्क प्लस ने ये मैसेज भेजा है वो एक इंटरनेशनल नंबर से आया है जबकि पार्क प्लस का वेरिफाइड व्हाट्सएप नंबर है जिससे वो समय समय पर अलग अलग जानकारियां भेजते हैं. इसके अलावा पार्क प्लस के एप से भी नोटिफिकेशन लोगों के पास आते हैं लेकिन इस मामले में उनकी कंटेंट टीम और वेंडर की गलती की बात को उन्होंने माना है. ऐसे में केवल सनसनी फैलाने के लिए किसी को 5 हज़ार का चालान का मैसेज भेजना एक गंभीर लापरवाही है. खासकर जिस तरह से आजकल साइबर फ्रॉड का चलन बढ़ गया है उसे देखते हुए इस तरह के मैसेज भेजना साइबर नियमों की अनदेखी के आरोप में भी गिना जा सकता है.
साइबर फ्रॉड से कैसे बचें?
पहली बात तो हमेशा ये जान लें कि ऐसे मैसेज किसी भी अनाधिकृत नंबर से नहीं आ सकते. अगर अनजान नंबर से ये मैसेज आते हैं तो इस बात की भरपूर आशंका है कि ये साइबर अटैक का प्रयास हो. इस तरह के मैसेज अगर कोई संस्था देना भी चाहेगी तो वो अपने एप के जरिए देगी. पुलिस के चालान के मैसेज का sms आता है और उसे भरने के लिए एप पर जाना होता है उसमें किसी लिंक को खोलने के लिए नहीं कहा जाता है. इसके अलावा चालान से जुड़ी सरकारी वेबसाइट्स पर इस तरह की सभी जानकारी मिल जाती है और वहीं पर उन्हें ऑनलाइन जमा करने का तरीका भी होता है.