
दिवाली (Diwali) और धनतेरस (Dhanteras) में चंद दिन बचे हैं. भारतीय परंपरा के मुताबिक इस मौके पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है. लोग सालभर से इसका इंतजार करते हैं. अगर आप भी इस बार ज्वैलरी (Jewellery) खरीदने की सोच रहे हैं तो फिर तय कर लें कि ये आपके लिए फायदे का सौदा रहेगा या नहीं?
दरअसल, सबसे पहले आप फैसला करें कि सोना (Gold) किसलिए खरीद रहे हैं, निवेश के नजरिये से या किसी और मकसद से? अगर आप निवेश के लिए सोना खरीद रहे हैं तो ये कतई जरूरी नहीं है कि ज्वैलरी ही खरीदें.
ज्वैलरी के अलावा आप तीन और तरीके से सोने में निवेश कर सकते हैं. जिसमें ज्वैलरी से ज्यादा रिटर्न मिलता है, और कई फायदे भी हैं. कहा जाता है कि संकट में सोना सहारा होता है, इसलिए लोग वर्षों की बचत को सोने में निवेश करते हैं. आइए जानते हैं, सोने में निवेश के अलग-अलग विकल्पों के बारे में.
आज की तारीख में डिजिटल (Digital) तरीके से गोल्ड (Gold) में निवेश (Investment) सबसे बेहतरीन विकल्प है. इसपर सबसे ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना रहती है. इस कड़ी में पहला नाम सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bonds) का आता है. यह एक तरह का पेपर गोल्ड या डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) होता है, जिसमें आपको एक सर्टिफिकेट दिया जाता है कि आप किस रेट पर सोने की कितनी मात्रा खरीद रहे हैं.
सॉवरेन गोल्ड बांड्स
साल 2015 से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश का विकल्प आया है. यह आरबीआई (RBI) जारी करता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में कम से कम 1 ग्राम सोने की खरीदारी की जा सकती है. अगर फायदे की बात करें तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में सालाना 2.5 फीसदी का ब्याज मिलता है. निवेशकों को ऑनलाइन या कैश से इसे खरीदना होता है और उसके बराबर मूल्य का सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, उन्हें जारी कर दिया जाता है. इसकी मैच्योरिटी पीरियड 8 साल की होती है. लेकिन 5 साल के बाद इसमें बाहर निकलने का विकल्प है. फिजिकली सोने की खरीदारी कम करने के लिए यह स्कीम लॉन्च की गई है.
गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF)
अगर आपको गोल्ड बॉन्ड में निवेश करना महंगा लग रहा है तो आप ऑनलाइन गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) में निवेश कर सकते हैं. इसके लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना चाहिए. गोल्ड ईटीएफ या म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करने का फायदा यह है कि आप आसानी से ऑनलाइन खरीद-बिक्री कर सकते हैं.
गोल्ड ETF एक इन्वेस्टमेंट फंड होता है, जिसकी शेयर बाजार में एक्सचेंजों पर शेयरों की तरह ही खरीद-फरोख्त होती है. इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में होने की वजह से ये सुरक्षित होते हैं. यह फिजिकल गोल्ड के मुकाबले ज्यादा लिक्विड होता है, यानी इसकी खरीद-फरोख्त आसान होती है. इसमें कम से कम मात्रा में आप सोने में निवेश कर सकते हैं और मेकिंग चार्ज (Making Charge) जैसा नुकसान नहीं होता. इसमें आपको प्योरिटी को लेकर भी किसी तरह की चिंता नहीं होती.
गोल्ड म्यूचुअल फंड (Gold Mutual Fund)
गोल्ड फंड एक तरह के म्यूचुअल फंड होते हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्वर्ण भंडारों में निवेश करते हैं. इसके द्वारा भी आप घर में फिजिकल गोल्ड रखने की झंझट से बचते हुए सोने में निवेश कर सकते हैं. ऐसे ज्यादातर फंड गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) में निवेश करते हैं. इसकी भी खरीद-फरोख्त आसान होती है. आप किसी बैंक में, किसी इनवेस्टमेंट एजेंट के पास जाकर या किसी म्यूचुअल फंड की वेबसाइट से ऑनलाइन इसकी खरीद कर सकते हैं.
डिजिटल गोल्ड
सोने में निवेश के लिए डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) भी एक जरिया है. कई बैंक, मोबाइल वॉलेट और ब्रोकरेज कंपनियां एमएमटीसी-पीएएमपी या सेफगोल्ड के साथ टाइअप कर अपने ऐप के जरिए गोल्ड की बिक्री करती हैं. इसके अलावा आप शेयर बाजार में कमोडिटी एक्सचेंज के तहत भी गोल्ड की खरीद-बिक्री कर सकते हैं.
फिजिकली गोल्ड (Physically Gold Buy)
सबसे पुराना और आसान तरीका है, लोग निवेश के तौर पर सोने की ज्वैलरी या फिर सिक्के खरीदते हैं. आप किसी ज्वेलर्स के पास जाकर या फिर ऑलनाइन गोल्ड खरीद सकते हैं. कई कंपनियां घर तक ज्वैलरी पहुंचा देती हैं. ग्रामीण इलाकों में लोग आज भी सोने में निवेश के लिए ज्वैलरी ही चुनते हैं.
फिजिकली गोल्ड के नुकसान
अगर आप निवेश के लिहाज से सोना खरीदना चाहते हैं तो डिजिटल गोल्ड में निवेश करना चाहिए. क्योंकि ज्वैलरी खरीदते वक्त मेकिंग चार्ज (Making Charge) वसूला जाता है. लेकिन जब आप वही ज्वैलरी बेचने जाएंगे तो मेकिंग चार्ज माइनस कर दिया जाता है. इसके अलावा ज्वैलरी में प्योरिटी को लेकर भी मन में सवाल उठता है. इन कारणों से फिजिकली सोना खरीदना एक तरह से घाटे का सौदा है.