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ज्वाइनिंग के दिन कर्मचारी ने कर दिया मना, भड़क गया इस कंपनी का को-फाउंडर

Ease My Trip के को-फाउंडर प्रशांत पिट्टी (Prashant Pitti) द्वारा ट्विटर पर इस मामले को लेकर निकाली गई भड़ास के बाद इसे लेकर बहस सी शुरू हो गई है. ट्विटर यूजर्स उनकी इस पोस्ट पर अपनी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. वे इसके साथ उदाहरण देते हुए समस्या का सॉल्यूशन भी बता रहे हैं.

ज्वाइनिंग के दिन कर्मचारी के इनकार से भड़के प्रशांत पिट्टी ज्वाइनिंग के दिन कर्मचारी के इनकार से भड़के प्रशांत पिट्टी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:23 AM IST

अक्सर ऐसे मामले देखने को मिल जाते हैं, जब हायरिंग प्रोसेस की लंबी प्रक्रिया पूरी होने के बाद यानी जब कैंडिडेट को ऑफिस ज्वाइन करना होता है, तो ऐन मौके पर वह कोई एक्सक्यूज देते हुए ज्वाइन करने से मना कर देता है. कुछ ऐसा ही मामला सामने आया  EaseMyTrip के साथ, तो कंपनी के को-फाउंडर भड़क गए और उन्होंने ट्विटर पर इसका गुस्सा निकाला. 

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ट्विटर पर निकाली को-फाउंडर ने भड़ास
ऐसे कैंडिडेट्स जो किसी कंपनी से ऑफर लेटर मिलने के बाद ज्वाइनिंग के दिन अचानक कोई कारण बताकर ज्वाइन करने से इनकार कर देते हैं, उन्हें लेकर ट्रैवल बुकिंग सेवाएं मुहैया करानी वाली EaseMyTrip के को-फाउंडर प्रशांत पिट्टी (Prashant Pitti) भड़क गए. दरअसल, उनकी कंपनी में भी ऐसा बाकया सामने आया. प्रशांत ने हायरिंग के दौरान होने वाली इस बड़ी समस्या को सामने रखने के लिए ट्विटर प्लेटफार्म को चुना. 

वाट्सऐप चैट का स्क्रीनशॉट शेयर किया
को-फाउंडर प्रशांत पिट्टी ने ट्विटर पर उस व्हाट्सऐप चैट का स्क्रीनशॉट शेयर किया है, जिसमें उनकी कंपनी में सेलेक्ट हुए एक कैंडिडेट ने किसी दूसरी कंपनी से बेहतर मौका मिलने की बात कहते हुए EasyMyTrip ज्वाइन करने से मना कर दिया. इस पर बिफरे कंपनी के को-फाउंडर प्रशांत ने स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा कि किसी कैंडिडेट की हायरिंग प्रोसेस में लंबा समय लग जाता है. सेलेक्ट करने के बाद या कैंडिडेट के ऑफर लेटर एक्सेप्ट करने के बाद भी कंपनी उसकी ज्वाइनिंग के लिए निश्चिंत होकर कई दिन या महीने इंतजार करती है. कोई इस समस्या का समाधान बता सकता है. 

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समय और रिसोर्स होते हैं बर्बाद
अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट (Tweet) करते हुए उन्होंने आगे लिखा कि सेलेक्टेड कैंडिडेट के ऑफर स्वीकारने के बाद कंपनी उस पोस्ट के लिए किसी और कैंडिडेट के नाम पर विचार करना भी छोड़ देती है. लेकिन वो कैंडिडेट जब ज्वाइनिंग के दिन इस ऑफर को ठुकरा देता है, तो हायरिंग की इस पूरे प्रोसेस में लगने वाला लंबा समय और रिसोर्सेस बेकार चले जाते हैं. प्रशांक के इस ट्वीट पर भारत-पे के को-फाउंडर अशनीर ग्रोवर ने भी रिप्लाई किया है. उन्होंने कहा, 'प्रशांत- भारत में कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू नहीं है. यहां तो एक हाथ ले और दूसरे हाथ दे वाला चलन है. 

सीनियर लेवल हायरिंग में भी समस्या
प्रशांत पिट्टी ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा कि सिर्फ जूनियर लेवल पर ही नहीं, बल्कि सीनियर लेवल पर सेलेक्ट होने वाले कैंडिडेट्स के साथ भी इस तरह की दिक्कतें देखने को मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि आखिरी समय में ज्वाइनिंग करने से इनकार करने की दिक्कत अब आम हो चुकी है और आए दिन इस तरह के मामले देखने को मिल रहे हैं. लगभग 25 से 40 फीसदी कैंडिडेट्स सेलेक्ट होने के बाद ऐसा करते हैं.

यूजर्स ने ट्वीट पर दीं ऐसी प्रतिक्रियाएं
ट्विटर पर इस तरह से निकाली गई EaseMyTrip के को-फाउंडर की भड़ास के बाद इस मुद्दे को लेकर बहस सी शुरू हो गई है. ट्विटर यूजर प्रशांत की इस पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. इनमें से एक यूजर ने अन्य कंपनी क्रेड (CRED) के फाउंडर का उदाहरण दे दिया. यूजर ने लिखा कि करीब CRED के फाउंडर कुणाल शाह भी इस तरह की समस्याओं से दो-चार हो रहे थे.

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इसके बाद उन्होंने इस दिक्कत को खत्म करने के लिए कैंडिडेट को ऑफर लेटर के साथ मैकबुक देने का प्लान किया, इसके बाद 99 फीसदी कैंडिडेट्स ने कंपनी को ज्वाइन कर लिया और जो कीमती मैकबुक उन्हें दिया गया वो भी सुरक्षित रहा. 

 

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