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Sri Lanka Crisis: श्रीलंका ने कही बड़ी बात, सच्चा पड़ोसी भारत, चीन से ज्यादा भेजी मदद

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में 60 लाख से अधिक लोगों के सामने खाने का संकट पैदा हो गया है. इस मुश्किल परिस्थिति में श्रीलंका के लिए भारत इस साल विदेशी सहायता का प्रमुख स्रोत रहा है. भारत हर संभव मदद करने की कोशिश कर रहा है.

आर्थिक संकट से जूझ रहा है श्रीलंका आर्थिक संकट से जूझ रहा है श्रीलंका
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 12:43 PM IST
  • चार महीने में दिया सबसे अधिक कर्ज
  • विदेशी कर्ज के बोझ से तबाह हुआ श्रीलंका

आर्थिक संकट (Economic Crisis) से जूझ रहे श्रीलंका (Sri Lanka) की हर संभव मदद करने की कोशिश में भारत जुटा है. पिछले दिनों श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकारा ने कहा कि अभी तक भारत ही एकमात्र देश है, जिसने इस संकट में श्रीलंका की मदद की है. पिछले कुछ महीनों में भारत से श्रीलंका को दिए जाने वाले कर्ज में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. चालू वर्ष के पहले चार महीनों में भारत ने श्रीलंका को सबसे ज्यादा कर्ज दिया है. इस मामले में भारत ने चीन (China) को भी पीछे छोड़ दिया है.

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भारत ने कितना दिया कर्ज

पीटीआई के अनुसार, राजनीतिक और आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को भारत ने भारी कर्ज दिया है. इस साल के पहले चार महने (जनवरी से अप्रैल 2022) के बीच भारत ने श्रीलंका को 37.69 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया है. वहीं चीन से इस अवधि में श्रीलंका को 6.77 करोड़ डॉलर का कर्ज मिला है. श्रीलंका के वित्त मंत्रालय के अनुसार भारत से 37.69 करोड़ डॉलर का कर्ज एक जनवरी से 30 अप्रैल 2022 की अवधि के दौरान मिला है. भारत के बाद एशियाई विकास बैंक (ADB) 35.96 करोड़ डॉलर के साथ श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा कर्जदाता रहा है.

मदद की कोशिश में जुटा भारत

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को पहले चार महीने में कुल 96.88 करोड़ डॉलर का विदेशी कर्ज मिला है. इसमें से 96.81 करोड़ डॉल कर्ज के रूप में जबकि सात लाख डॉलर अनुदान के रूप में प्राप्त हुए हैं. हाल ही में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले ने श्रीलंकाई नेता से मुलाकात के दौरान संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने को मदद के लिए आश्वासन दिया था. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि भारत इस द्वीपीय देश के सामने मौजूद अभूतपूर्व संकट से निपटने के लिए श्रीलंका की यथासंभव मदद करने की कोशिश कर रहा है.

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खाने का संकट

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में 60 लाख से अधिक लोगों के सामने खाने का संकट पैदा हो गया है. दवा, रसोई गैस, ईंधन और टॉयलेट पेपर जैसी आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई है, जिससे श्रीलंकाई लोगों को ईंधन और रसोई गैस खरीदने के लिए दुकानों के बाहर घंटों कतारों में इंतजार करना पड़ रहा है. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) ने एक रिपोर्ट में कहा था कि श्रीलंका में 63 लाख लोग यानी 28.3 प्रतिशत आबादी के सामने खाने का संकट है.

विदेशी कर्ज ने किया तबाह

श्रीलंका में पेट्रोल बचत के लिए सरकार ने स्कूल और कॉलेज पहले से बंद कर दिए हैं. वहीं सरकारी कर्मचारियों को घर से काम (Work from Home) करने के लिए कह दिया गया है. इस पूरे संकट की शुरुआत विदेशी कर्ज के बोझ के कारण हुई. कर्ज की किस्तें चुकाते-चुकाते श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार (Sri Lanka Forex Reserve Crisis)  समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया.

बताया जा रहा है कि आजादी के बाद श्रीलंका के सामने यह अब तक का सबसे बड़ा संकट है. आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के लिए भारत इस साल विदेशी सहायता का प्रमुख स्रोत रहा है.

 

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