Advertisement

रूस के सस्ते कच्चे तेल से भर रहा था भारत का खजाना, अब अचानक इस फैसले का पड़ेगा असर!

यूरोपीय संघ ने रूस के तेल पर प्राइस कैप लगाने की सहमति जताई है. इसके बाद चर्चा है कि रूस से सस्ते दरों पर तेल खरीद रहे भारत पर इसका क्या असर होगा. भारत रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है.

रूस के तेल पर प्राइस कैप. रूस के तेल पर प्राइस कैप.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:30 PM IST

यूक्रेन से युद्ध लड़ रहे रूस (Russia-Ukraine) के तेल पर प्राइस कैप (Price Cap) लगाने के लिए यूरोपीय संघ (EU) ने अस्थाई रूप से सहमति जताई है. यूरोपीय संघ की सरकारों ने रूस के तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल के प्राइस कैप पर सहमति जताई है. यानी की रूस इस कीमत से अधिक की दर पर अपना तेल दूसरे देशों को नहीं बेच पाएगा.

Advertisement

यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. अब उसके तेल पर प्राइस कैप लगाकर ये देश रूस को आर्थिक रूप से और कमजोर करना चाहते हैं. रूस अपने तेल का निर्यात कर बड़ी राशि जुटाता है. लेकिन इस प्राइस कैप के बाद भारत को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

कितना सस्ता रूसी तेल?

सितंबर 2022 तक रूस अपने तेल को ब्रेंट क्रूड के मुकाबले 20 डॉलर प्रति बैरल सस्ता बेच रहा था. पिछले छह महीने में भारत सस्ते रूसी तेल का बड़ा खरीदार बनकर उभर रहा है. लेकिन 60 डॉलर के प्राइस कैप लगने के बाद भारत को आने वाले दिनों में नुकसान उठाना पकड़ सकता है. फिलहाल भारत को रूस की ओर से तेल छूट पर मिल रहा है. हालांकि, भारत के लिए फिलहाल किसी तरह की मुश्किल बढ़ती हुई नजर नहीं आ रही है. क्योंकि मौजूदा समय में 60 से 70 डॉलर प्रति बैरल की दर से ही रूस से तेल खरीद रहा है.

Advertisement

अमेरिका नाखुश

भारत का रूस से तेल खरीदना अमेरिका को रास नहीं आ रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसकी आलोचना भी की थी. लेकिन भारत ने रूस से तेल का आयात बंद नहीं किया. G7 में शामिल- ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, जापान, इटली और कनाडा ने रूस के राजस्व को कम करने के लिए प्राइस कैप लगाने का प्रस्ताव दिया था.

एक सोर्स के अनुसार, भारत अभी भी रूसी क्रूड के लिए ब्रेंट से 15-20 डॉलर प्रति बैरल कम भुगतान कर रहा है. इसका मतलब है कि डिलीवर किए गए कार्गो की कीमत भी प्राइस कैप के आसपास ही है. इसलिए प्राइस कैप लगने के बावजदू भारत पर किसी भी तरह का असर नहीं पड़ने की संभावना है.

भारत जमकर कर रहा खरीदारी

दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 10 महीने के न्यूनतम स्तर पर लुढ़क गया है. इस वजह से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती की उम्मीद की जा रही है. भारत रूस बड़ी मात्रा में तेल आयात कर रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले जहां भारत रूस से केवल फीसदी तेल खरीदता था, ये आंकड़ा अब 20 फीसदी तक पहुंच चुका है. रूस के सस्ते तेल की वजह से भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनी दुनिया भर में मुनाफा कमाने वाली साबित हो रही हैं.

Advertisement

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती के आसार

अंतरराष्ट्रीय मार्केट में काफी समय से कच्चे तेल की कीमतों में नरमी बनी हुई है. ऐसे में इंडियन ऑयल, BPCL-HPCL जैसी तेल मार्केटिंग कंपनियों को पेट्रोल-डीजल को बेचने में फायदा हो रहा है. पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol-Diesel Price) में कमी के आसार बन गए हैं. हालांकि, कंपनियों ने लंबे समय तक दाम स्थिर रखे हैं, जिसकी वजह से इन्हें भारी घाटा भी हुआ है. लेकिन अब पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर हो रहे फायदे का कुछ हिस्सा ये जनता को भी दे सकती हैं. 

कितनी होती है बचत?

SMC ग्लोबल के अनुसार,  क्रूड में एक डॉलर गिरावट आने पर भारतीय ऑयल कंपनियों को रिफाइनिंग पर 45 पैसे प्रति लीटर की बचत होती है. इस आंकड़े अनुसार, देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें 14 रुपये प्रति लीटर तक कम होने चाहिए. ये कटौती कब होगी इसको लेकर अभी तक कुछ भी साफ नहीं है. हालांकि, जानकारों का कहना है कि कंपनियां एक बार में इतनी बड़ी कटौती नहीं करेंगी.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement