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China Covid Crisis: भारत के हाथ सुनहरा मौका, कोरोना से चीन पस्त... क्या छिन जाएगा 'फैक्ट्री ऑफ वर्ल्ड' का ताज?

चीन की इस मौजूदा और आने वाली समस्या का फायदा भारत उठा सकता है. वैसे भी जिस तरह भारत के सामने भी महंगाई समेत तमाम तरह की आर्थिक चुनौतियां हैं उनके निपटारे के लिए भारत को वर्ल्ड फैक्ट्री बनने के बारे में सोचना ही होगा. इसके समाधान के लिए भारत को अच्छी सैलरी वाली नौकरियों को पैदा करना होगा.

भारत के पास मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने का मौका (Photo: File) भारत के पास मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने का मौका (Photo: File)
आदित्य के. राणा
  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:08 PM IST

कोरोना का कहर अब चीन की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ने लगा है. इस संक्रमण के चलते अब चीन का 'फैक्ट्री ऑफ वर्ल्ड' का ताज खोने की आशंका बढ़ गई है. दरअसल, कोरोना के भयावह संक्रमण के चलते चीन की फैक्ट्रियों में मजदूरों की काफी कमी हो गई है. ऐसे में यहां पर उत्पादन घटने लगा है. लेकिन ये समस्या केवल कोरोना के चलते नहीं पैदा हुई है. इसकी एक और वजह है कि चीन में लोग अब कम तनख्वाह पर फैक्ट्री में खतरे वाले काम नहीं करना चाहते हैं. खासकर युवा तो चीन में फैक्ट्री में कम वेतन पर काम करना ही नहीं चाहते हैं और फिलहाल तो कोरोना के बढ़ते मामलों का असर भी चीन की फैक्ट्रियों पर पड़ रहा है जिससे फैक्ट्रियों में प्रोडक्शन कम हुआ है.  

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भारत बनेगा वर्ल्ड फैक्ट्री?

ऐसे में चीन की इस मौजूदा और आने वाली समस्या का फायदा भारत उठा सकता है. वैसे भी जिस तरह भारत के सामने भी महंगाई समेत तमाम तरह की आर्थिक चुनौतियां हैं उनके निपटारे के लिए भारत को वर्ल्ड फैक्ट्री बनने के बारे में सोचना ही होगा. इसके समाधान के लिए भारत को अच्छी सैलरी वाली नौकरियों को पैदा करना होगा. इसके लिए मैन्युफैक्चरिंग एक शानदार विकल्प है क्योंकि इसमें अकुशल वर्कफोर्स से लेकर स्किल्ड लेबर तक सभी के लिए मौकों की भरमार होती है. वैसे भी जिस तरह से तमाम चुनौतियों के बीच भारत ने इस साल प्रदर्शन किया है उससे उद्योग जगत भी खासा उत्साहित है.

अमेरिका सप्लाई चेन बनाने वाले देश को करेगा मदद

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में 14-सदस्यीय इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क की बैठक हुई थी. इसमें जोर दिया गया था कि दुनिया को मैन्युफैक्चरिंग के लिए चीन के विकल्प की तलाश करनी चाहिए. इस फोरम के चार पिलर्स में से एक के तौर पर सप्लाई चेन को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका ने पहल की है. अमेरिका ने चीन की जगह लेने को तैयार सक्षम देशों में निवेश करने में दिलचस्पी दिखाई है.

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सस्ती-बड़ी लेबरफोर्स के दम पर बनेंगे वर्ल्ड फैक्ट्री!

ऐसे में भारत की बड़ी लेबर फोर्स और कम मजदूरी दर इस कोशिश का कामयाब करने का दम रखती है. वैसे भी इस समय चीन की फैक्ट्रियों में सबसे बड़ी समस्या सस्ती लेबर की है जिसका फायदा भारत उठा सकता है. भारत में चीन के मुकाबले कम दर पर मिलने वाली बड़ी लेबरफोर्स मौजूद है. भारत को अपने आप को चीन के मुकाबले मैन्युफैक्चिरिंग के मामले में
एक विकल्प के तौर पर विकसित करना होगा. भारत को कच्चे माल के लिए चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश जारी रखनी चाहिए. आत्मनिर्भर बनने की कोशिश के तहत भारत में ज्यादा से ज्यादा सामान का निर्माण करने की मुहिम को बढ़ावा देना होगा

चीन की जगह भारत में लगेंगे कारखाने

ऐसे में अगर भारत अपने आप को मैन्युफैक्चिरिंग हब के रूप में स्थापित कर लेता है तो फिर दुनियाभर की कंपनियां चीन की जगह भारत में ही फैक्ट्रियां लगाना पसंद करेंगी. हालांकि इसके लिए भारत को अपनी नीतियों में कुछ बदलाव करने होंगे जिससे दुनिया के ऐसे देश जो चीन में फैक्ट्री लगा रहे हैं वो भारत का रुख करें. ऐसा होने पर देश की अर्थव्यवस्था और तेजी से बढ़ेगी.

फोन निर्यात में भारत की भारत की बड़ी उपलब्धि

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भारत में जबसे मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेटिव स्कीम (PLI) आई है तबसे कुछ क्षेत्रों में शानदार नतीजे देखने को मिले हैं. इस साल देश में मोबाइल फोन का एक्सपोर्ट महज 7 महीनों (अप्रैल-अक्टूबर 2022) के भीतर ही 5 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है. अगर इसकी तुलना अप्रैल-अक्टूबर 2021 से की जाए तो तब 7 महीनों में भारत से 2.2 अरब डॉलर के मोबाइल फोन का एक्सपोर्ट किया गया था. यानी इस साल के पहले 7 महीनों में भारत से मोबाइल फोन का निर्यात 2021-22 के 12 महीनों से भी ज्यादा हो गया है.

मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए कई योजनाएं

सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने और भारत में घरेलू और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इनमें 2017 में जीएसटी की शुरुआत के साथ शुरु हुआ आर्थिक सुधारों का दौर है. इन सुधारों के तहत कॉर्पोरेट टैक्स घटाना, व्यापार करने में आसानी, विदेश नीति में सुधार, घरेलू मैन्युफैक्चिरिंग को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत उपाय वगैरह शामिल हैं. अर्थव्यवस्था में सुधार लाने और कोविड-19 महामारी से निपटने के साथ विकास के अवसर में बदलने के लिए सरकार ने आत्मनिर्भर पैकेज, अलग अलग मंत्रालयों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना की शुरुआत के साथ-साथ राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन (NIP) के तहत निवेश के मौके, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP), इंडिया इंडस्ट्रियल लैंड बैंक (IILB), इंडस्ट्रियल पार्क रेटिंग सिस्टम (IPRS) और नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (NSWS) का संस्थागत तंत्र बनाया है.

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