
पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान समाप्त होते ही डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ने की आशंका तेज हो गई है. पहले से चले आ रहे पैटर्न को देखें तो इस बात की भारी आशंका है कि आज-कल में डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ाए (Diesel-Petrol Price Hike) जा सकते हैं. ऐसा कई बार से हो रहा है कि चुनाव नजदीक आने पर डीजल-पेट्रोल के दाम को हर रोज रिवाइज करना रोक दिया जाता है और जैसे ही आखिरी चरण की प्रक्रिया संपन्न होती है, फिर से दाम बढ़ने लगते हैं. चूंकि खरीफ सीजन की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, ऐसे में किसान डीजल स्टॉक करने लगे हैं.
इस डर से डीजल खरीद रहे किसान
रॉयटर्स की एक खबर के अनुसार, उत्तर प्रदेश में आखिरी चरण का मतदान हो जाने के बाद लोगों को इस बात का डर सता रहा है कि आज यानी मंगलवार से डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ सकते हैं. इस कारण देश के किसान डीजल खरीदकर जमा कर रहे हैं. महाराष्ट्र के एक किसान स्वप्निल फडतारे के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि उनके गांव के कई किसान दाम बढ़ने की आशंका में डीजल स्टॉक कर रहे हैं. फडतारे का कहना है कि चुनाव समाप्त होने के बाद डीजल-पेट्रोल के दाम 15-20 रुपये तक बढ़ने की खबरें चल रही हैं. खरीफ फसलों की बुवाई जल्दी ही शुरू होने वाली है. हमें इसके लिए डीजल की ठीक-ठाक जरूरत पड़ेगी. पैसे बचाने के लिए गांव के अन्य किसानों की तरह मैंने भी अभी ही डीजल खरीदकर जमा कर लिया.
पंजाब में चुनाव बाद हुई डीजल की रिकॉर्ड बिक्री
पंजाब से भी ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि किसान दाम बढ़ने के डर से डीजल खरीदकर स्टोरेज कर रहे हैं. पेट्रोलियम कंपनियों की मानें तो डीजल की बिक्री के आंकड़ों से भी यह साफ होता है. जब पंजाब में चुनाव संपन्न हो गया तो उसके बाद के हफ्ते में डीजल की बिक्री में रिकॉर्ड तेजी देखी गई. पंजाब में 20 फरवरी को मतदान हुआ और इसके बाद 22-28 फरवरी के दौरान 1,85,900 किलोलीटर डीजल की बिक्री हुई, जो ठीक साल भर पहले की इसी अवधि की तुलना में 1,09,600 किलोलीटर ज्यादा है. तेल कंपनी के एक अधिकारी ने बताया था कि डीजल की कुल बिक्री का करीब 30 फीसदी किसान खरीद रहे हैं.
4 नवंबर से नहीं बढ़े डीजल-पेट्रोल के दाम
पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की आशंका इस कारण भी है कि इनमें करीब 4 महीने से कोई बदलाव नहीं हुआ है. कुछ समय पहले तक यह व्यवस्था थी कि पखवाड़े में एक बार डीजल-पेट्रोल के दाम की समीक्षा की जाती थी. बाद में रोजाना समीक्षा की व्यवस्था लागू की गई. जब से डेली रिव्यू का सिस्टम अमल में आया है, पहली बार ऐसा हुआ है कि 100 से भी ज्यादा दिनों तक डीजल और पेट्रोल के दाम नहीं बढ़े हैं.
केंद्र सरकार ने नवंबर में डीजल और पेट्रोल की महंगी दरों से लोगों को राहत दी थी. तब डीजल और पेट्रोल के भाव देश के कई शहरों में 100 रुपये प्रति लीटर के स्तर को पार कर गए थे. इसके बाद जब एक्साइज में कटौती की गई, उसके बाद 4 नवंबर से सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने इनके दाम में कोई बदलाव नहीं किया है. हालांकि इसके बाद राज्य सरकारों के ऊपर वैट घटाने का दबाव बढ़ गया. दिल्ली में राज्य सरकार ने दिसंबर की शुरुआत में वैट में कमी का ऐलान किया. तब से दिल्ली में पेट्रोल का भाव 95.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल की दरें 86.67 रुपये प्रति लीटर है.
पहले भी चुनावों के चलते रुका है रिवीजन
जब नवंबर में केंद्र सरकार ने एक्साइज में कटौती की थी, तब क्रूड ऑयल 82 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास था. क्रूड ऑयल ग्लोबल मार्केट में अभी 2008 के बाद के उच्च स्तर पर पहुंच चुका है. ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) अभी 140 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच चुका है. इस तरह देखें तो यह 60 फीसदी से भी ज्यादा चढ़ चुका है. इस कारण भी डीजल और पेट्रोल के भाव जल्दी बढ़ाए जाने की आशंका तेज हो गई है. माना जा रहा कि चुनाव के चलते दाम नहीं बढ़ाए गए. इससे पहले साल 2019 में जब लोकसभा चुनाव हो रहे थे, तब भी यह ट्रेंड देखने को मिला था. 19 मई को लोकसभा चुनाव के सातवें व अंतिम चरण की वोटिंग हुई. इसके अगले दिन ही पेट्रोल के दाम में 10 पैसे तक की और डीजल के दाम में 16 पैसे तक की बढ़ोतरी की गई.
इन मौकों पर भी दोहराई थी कहानी
इसी तरह 2017 की शुरुआत में करीब ढाई महीने दाम नहीं बढ़े थे. तब भी इन्हीं पांच राज्यों के चुनाव हो रहे थे, जहां इस बार हो रहे हैं. पंजाब, गोवा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मणिपुर के चुनाव के चलते 16 जनवरी से 01 अप्रैल 2017 तक डीजल-पेट्रोल के दाम स्थिर रहे थे. साल 2017 में ही गुजरात विधानसभा के दौरान करीब 14 दिन तक इनके दाम नहीं बढ़ाए गए थे. साल 2018 के मई में जब कर्नाटक में चुनाव हो रहे थे, डीजल और पेट्रोल के दाम 19 दिन तक नहीं बढ़े थे.