
GST on ice cream: आइसक्रीम के बारे में जीएसटी के नियम बदलते ही एक दिलचस्प और कारोबारियों के लिए मुश्किल बढ़ाने वाला मामला सामने आ रहा है.आइसक्रीम पार्लर के कारोबारियों को समन भेजे जा रहे हैं जिससे यह डर बढ़ा है कि उनसे पिछले सालों का बकाया टैक्स वसूला जा सकता है. मुश्किल यह भी है कि वे अब पहले आइसक्रीम खा चुके ग्राहकों से बकाया टैक्स कैसे वसूलेंगे? आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
विभिन्न राज्यों के आइसक्रीम पार्लर को अक्टूबर के पहले हफ्ते से ही जीएसटी अथॉरिटीज से समन आने लगे हैं. इन समन में अभी सिर्फ इतना कहा जा रहा है कि वे अपनी बिक्री, आईटीआर आदि का पूरा ब्योरा दें, लेकिन कारोबारियों को डर है कि इससे उन्हें पिछले कई साल के लिए बकाया टैक्स देना पड़ सकता है. इंडियन आइसक्रीम मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IIMA) ने इस बारे में वित्त मंत्रालय से मदद की गुहार लगाई है.
क्या है मामला?
असल में 17 सितंबर को 45वीं जीएसटी कौंसिल (GST Council) की बैठक में यह निर्णय हुआ कि आइसक्रीम पार्लर से होने वाली आइसक्रीम की बिक्री पर 18 फीसदी का जीएसटी लगाया जाएगा. पहले इस बिक्री पर 5 फीसदी का जीएसटी था. यानी पिछले टैक्स और नए टैक्स में 13 फीसदी का अंतर है. यह नियम नवंबर 2017 से ही यानी रेट्रोस्पेक्टिव तरीके से लागू कर दिया गया है.
इंडिया टुडे ने एक ऐसा ही समन देखा है जिसमें साफतौर से लिखा हुआ है- ''नवंबर 2017 से 13 फीसदी के अंतर के भुगतान के बारे में समन''. इससे साफ लग रहा है कि सरकार नवंबर 2017 के बाद का टैक्स का अंतर वसूलने की तैयारी कर रही है.
वित्त मंत्रालय के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने बताया था कि पार्लर या ऐसे आउटलेट द्वारा बेची जाने वाली आइसक्रीम पर भी 18 फीसदी वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगेगा.
18 फीसदी जीएसटी क्यों?
वित्त मंत्रालय ने साफ किया है कि ऐसी आइसक्रीम पर 18 फीसदी का जीएसटी लगेगा क्योंकि यह तैयार माल है और सर्विस में नहीं आता. पहले पार्लर के अंदर बेचे जाने वाली आइसक्रीम पर 5 फीसदी का जीएसटी लगता था और बाहर खुदरा बिक्री वाले आइसक्रीम पर 18 फीसदी का जीएसटी लगता था.
वित्त मंत्रालय ने कहा कि पहले से बनी आइसक्रीम बेचने वाले आइसक्रीम पार्लर, रेस्टोरेंट जैसे नहीं होते हैं. वे किसी भी स्तर पर खाना पकाने के किसी भी रूप में संलग्न नहीं होते हैं, जबकि रेस्टोरेंट सर्विस प्रदान करने के दौरान खाना पकाने के काम में शामिल होते हैं.
सीबीआईसी ने स्पष्ट किया कि आइसक्रीम पार्लर पहले से ही निर्मित आइसक्रीम बेचते हैं और एक रेस्टोरेंट की तरह उपभोग के लिए आइसक्रीम नहीं तैयार नहीं करते हैं. आइसक्रीम की आपूर्ति माल के रूप में होती है न कि सर्विस के रूप में.
इस साल 5 अक्टूबर तक आइसक्रीम पार्लर अपने ग्राहकों से आइसक्रीम पर 5 फीसदी टैक्स ले रहे थे, लेकिन 6 अक्टूबर से उन्होंने 18 फीसदी टैक्स लगा दिया.
इसके पहले 1 जुलाई 2017 से ही यह व्यवस्था लागू थी कि आइसक्रीम बिक्री के मामले में आइसक्रीम पार्लर और रेस्टोरेंट में कोई भेदभाव नहीं होगा और दोनों से होने वाले आइसक्रीम की बिक्री पर 5 फीसदी का टैक्स देना होगा. लेकिन अब यह व्यवस्था बदल गई है.
अब भेजे जा रहे समन में कारोबारियों से साल 2017 के बाद के इनकम टैक्स, बिक्री आदि के पूरे दस्तावेज के साथ ही यह ब्योरा देने को कहा गया है कि उन्होंने 5 फीसदी टैक्स के आधार पर कितनी बिक्री की है.
तबाह होंगे कारोबारी!
दक्षिण भारत में पार्लर चेन चलाने वाले एक कारोबारी ने कहा, 'कोविड-19 महामारी ने पूरी इंडस्ट्री को बर्बाद कर दिया है. बहुत से आउटलेट ने दुकानें बंद कर दी हैं. ये समन डराने वाले हैं, क्योंकि इसका मतलब यह है कि पार्लर ओनर्स को 1 जुलाई, 2017 के बाद की जाने वाली आपूर्ति पर 18 फीसदी जीएसटी देना होगा. इससे तो हममें से ज्यादातर बर्बाद हो जाएंगे.'
ग्राहकों से कैसे वसूलेंगे?
अगर पार्लर ओनर से नवंबर 2017 से 13 फीसदी का अतिरिक्त टैक्स लिया जाता है, तो उन्हें यह अपनी जेब से देना होगा, क्योंकि वे अपने ऐसे ग्राहकों से तो यह वसूल नहीं सकते जिन्होंने पहले आइसक्रीम खरीदी है. पार्लर ऐसे ग्राहकों का कोई पता-ठिकाना तो रखते नहीं. फिर ग्राहक भला पिछले डेट के लिए टैक्स की भरपाई करने को कैसे तैयार होंगे?