
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट का आज यानी बुधवार की शाम को विस्तार होना है. उसके पहले सरकार ने एक अहम फैसले से वित्त मंत्रालय को मजबूती दी है.
लोक उद्यम विभाग (Department of Public Enterprises-DPE) को अब वित्त मंत्रालय के अंतर्गत लाया गया है. पहले यह भारी उद्योग मंत्रालय के तहत आता था. भारी उद्योग और लोक उद्यम मंत्रालय अब केवल भारी उद्योग मंत्रालय कहा जाएगा.
वित्त मंत्री ने ऐलान किया था
गौरतलब है कि इस वित्त वर्ष यानी 2021-22 का बजट पेश करते समय ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका ऐलान किया था. इसके बारे में कैबिनेट सेक्रेटरिएट ने मंगलवार को एक अधिसूचना जारी की जिसके द्वारा भारत सरकार (कामकाज आवंटन) नियम 1961 में बदलाव किया गया.
इसके साथ ही अब वित्त मंत्रालय में छह विभाग हो गए हैं- 1. आर्थिक मामलों का विभाग (DEA), 2. व्यय विभाग, 3. राजस्व विभाग, 4. निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन (DIPAM), 5. वित्तीय सेवाएं विभाग (DFS) और 6. लोक उद्यम विभाग. यह सुधार तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है.
क्यों लिया गया निर्णय?
सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्रालय में पहले से एक विभाग है जो केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों (CPSE) के कामकाज को देखता है. इसके अलावा सार्वजनिक उद्यमों के विनिवेश और विलय जैसे मसले आने वाल दिनों में काफी अहम होंगे और इनके लिए बेहतर समन्वय की जरूरत होगी. मोदी सरकार संसाधन जुटाने के लिए काफी हद तक सार्वजनिक उद्यमों के विनिवेश पर निर्भर है.
अभी तक विनिवेश जैसे मसलों पर वित्त मंत्रालय को और DIPAM को लोक उद्यम विभाग के साथ मिलकर काम करना होता था. सरकार को लगता है कि जब ये दोनों विभाग जब एक ही मंत्रालय के तहत काम करेंगे तो समन्वय में आसानी होगी.