
देश की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट (Flipkart) और उसके फाउंडर्स को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विदेशी निवेश कानून के कथित उल्लंघन को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है. ईडी ने कहा है कि अगर वे जवाब नहीं देते तो उन पर 10,000 करोड़ रुपये (1.35 अरब डॉलर) का जुर्माना लगाया जा सकता है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक फ्लिपकार्ट ने कथित रूप से विदेशी निवेश नियमों का उल्लंघन किया है. गौरतलब है कि सचिन और बिन्नी बंसल के द्वारा भारत में स्थापित फ्लिपकार्ट को अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट ने खरीद लिया है.
क्या है मामला
विदेशी निवेश कानून के कथित उल्लंघन को लेकर प्रवर्तन निदेशालय फ्लिपकार्ट और एमेजॉन दोनों की जांच कर रहा है. भारत में विदेशी निवेश कानून सख्ती से मल्टी ब्रैंड रिटेल चेन को रेगुलेट करते हैं और ये कंपनियां खुद बिक्री नहीं कर सकती. ये सिर्फ तमाम विक्रेताओं के लिए एक मार्केट प्लेस का काम करती हैं.
प्रवर्तन निदेशालय के एक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि फ्लिपकार्ट की वेबसाइट पर विदेशी निवेशक से जुड़ी एक कंपनी WS Retail द्वारा उपभोक्ताओं को सामान बेचने की शिकायत आई है. यह नियमों का उल्लंघन है.
कारण बताओ नोटिस
इस बारे में प्रवर्तन निदेशालय की चेन्नई शाखा ने जुलाई में ही फ्लिपकार्ट, इसके संस्थापकों सचिन बंसल, बिन्नी बंसल और इसके मौजूद निवेशक टाइगर ग्लोबल को एक 'कारण बताओ नोटिस' जारी किया है. इस नोटिस में कहा गया है कि अगर वे इसकी सफाई नहीं देते तो क्यों न उन पर उन पर 10000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया जाए.
इस बारे में फ्लिपकार्ट के एक प्रवक्ता ने कहा, 'कंपनी पूरी तरह से भारतीय कानूनों और नियमों का पालन करती है. हम अथॉरिटी के साथ पूरा सहयोग करेंगे. नोटिस के मुताबिक यह मामला साल 2009 से 2015 के बीच का है.'