
रूस-यूक्रेन जंग की वजह से गेहूं की कीमतें 14 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं. इसकी वजह यह है कि यूक्रेन गेहूं का सबसे ज्यादा प्रोडक्शन करने वाले देशों में शामिल है. गेहूं की कीमतों में इस उछाल का दंश आम कंज्यूमर्स को झेलना पड़ रहा है. आइए जानते हैं इस डेवलपमेंट से जुड़ी खास बातेंः
रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला किया था. इसके बाद से काला सागर के बंदरगाहों से होने वाले ट्रेड पर काफी गंभीर असर देखने को मिला है. इसके चलते ग्लोबल शिकागो बेंचमार्क व्हीट प्राइस में 40 फीसदी का उछाल देखने को मिला. इस वजह से दुनियाभर में खाने-पीने के सामान के रेट और चढ़ गए हैं. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि ग्लोबल फूड इंफ्लेशन पहले ही एक दशक के हाई पर है.
करोड़ों लोगों पर पड़ेगा इम्पैक्ट
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की प्रवक्ता जूली मार्शल ने कहा कि रूस और यूक्रेन से होने वाली सप्लाई बाधित होने के चलते करोड़ों लोगों की फूड सिक्योरिटी पर असर देखने को मिलेगा. बकौल मार्शल का इसका असर सबसे ज्यादा पश्चिम एशिया और नॉर्थ अफ्रीका के लोगों पर पड़ेगा क्योंकि वे इस चीज के लिए इम्पोर्ट पर निर्भर हैं. दुनिया में गेहूं के कुल एक्सपोर्ट में रूस और यूक्रेन की हिस्सेदारी 30 फीसदी है जबकि कॉर्न के मामले में यह 20 फीसदी है.
तेल की कीमतों पर भी पड़ा है असर
रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की वजह से तेल और गैस के दाम पहले ही बढ़ चुके हैं. वहीं, फ्रेट एवं स्टील जैसे कच्चे माल की लागत भी लगातार बढ़ रही है. इन सेक्टर्स के लिए जंग ने महामारी के बाद दोहरी मुसीबत पैदा कर दी है.
कनाडा और अमेरिका पर भी असर
गेहूं के दाम में इस इजाफे का असर कनाडा और अमेरिका के कंज्यूमर्स पर भी पड़ रहा है जबकि ये दोनों देश सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादन करने वाले देशों में शामिल हैं.