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'अच्छा हुआ 2000 के नोट बंद हो गए, 500 रुपये से बड़े नोट जरूरी नहीं', पूर्व डिप्टी गवर्नर ने समझाया गणित

भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे तत्काल प्रभाव से 2000 रुपये के नोट जारी करना बंद कर दें. यानी बैंक अब ग्राहकों को 2000 के नए नोट नहीं देंगे.

क्यों 500 रुपये से बड़े नोटों की जरूरत नहीं है? क्यों 500 रुपये से बड़े नोटों की जरूरत नहीं है?
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 मई 2023,
  • अपडेटेड 2:04 PM IST

रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को 2000 रुपये के नोट को वापस मंगाने का ऐलान किया. बैंक ने कहा कि जिनके पास भी 2000 रुपये के नोट हैं, वो उसे 30 सितंबर 2022 तक अन्य मूल्यों के नोटों से एक्सचेंज करवा सकते हैं. 2000 रुपये के नोट के बदलने की प्रक्रिया 23 मई 2023 से शुरू होने वाली है. इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी (R Gandhi) ने कहा कि भारत को 500 रुपये से अधिक मूल्यवर्ग की करेंसी नोटों की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से डिजिटल लेन-देन बढ़ रहा है, मुझे नहीं लगता कि उच्च मूल्यवर्ग के किसी भी नोट की जरूरत है.

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शॉर्ट टर्म के लिए किया गया था स्वीकार

आर गांधी के अनुसार, डिजिटल पेमेंट सिस्टम के व्यापक रूप से सफल होने के बाद और कम महंगाई दर का मतलब है कि उच्च मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों की अब और आवश्यकता नहीं है. साल 2016 में नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये के नए नोट को जारी किया था. वहीं, आर गांधी ने 2014 से 2017 तक डिप्टी गवर्नर के रूप में कार्य करते हुए आरबीआई के मुद्रा प्रबंधन विभाग को संभाला था. उन्होंने कहा कि 2000 रुपये के नोट की शुरूआत डिमोनेटाइजेशन के सिद्धांतों के खिलाफ थी. इसे शॉर्ट टर्म टेक्टिकल निर्णय के रूप में स्वीकार किया गया था.

क्यों जारी किए गए ते 2000 के नोट?

रिपोर्ट के अनुसार, आर गांधी ने कहा कि 2016 में नोटबंदी के बाद इसलिए 2000 रुपये के नोट जारी किए गए थे. क्योंकि 500 रुपये के नोट की छपाई में बहुत अधिक समय लगता. इसलिए शॉर्ट टर्म के लिए इसे स्वीकार किया गया था. इसके अलावा, आरबीआई इन नोटों को बैंकिंग सिस्टम में आने के बाद वापस ले रहा है. उन्हें दोबारा जारी नहीं किया गया. यही वजह है कि इनमें से करीब आधे नोट पहले ही वापस ले लिए गए हैं. इसलिए, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि बाकी नोटों को वापस लेने का निर्णय लिया गया है.

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क्यों नहीं है बड़े नोटों की जरूरत?

आर गांधी ने कहा कि जिस तरह से डिजिटल लेन-देन बढ़ रहा है, मुझे नहीं लगता कि किसी बड़े मूल्यवर्ग के नोट की जरूरत है. पहले नकद लेन-देन का बोलबाला था तब, एक थंब-रूल था कि महंगाई दर के आधार पर हमें लेन-देन की सुविधा के लिए करेंसी नोटों के उच्च मूल्यवर्ग को पेश करना पड़ेगा. वह बाध्यता अब दो कारणों से लागू नहीं होती. एक, डिजिटल पेमेंट के दायरा बड़ा हो चुका है. दूसरा महंगाई दर दहाई अंकों के विपरीत अब नियंत्रण में है. इसलिए बड़े वैल्यू वाले नोटों की जरूरत नहीं है.

कब तक सर्कुलेशन बने रहेंगे 2000 के नोट?

आरबीआई ने कहा कि 30 सितंबर तक 2000 रुपये के नोट सर्कुलेशन बने रहेंगे. यानी जिनके पास इस समय 2000 रुपये के नोट हैं, उन्हें बैंक से एक्सचेंज करना होगा. इसके लिए 23 मई तक 30 सितंबर का तक का वक्त निर्धारित किया गया है. 

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2000 रुपये के नोट को 'क्लीन नोट पॉलिसी' के तहत बंद करने का फैसला किया है. इस पॉलिसी के तहत आरबीआई धीरे-धीरे 2000 के नोट बाजार से वापस ले लेगा. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल 3.62 लाख करोड़ रुपये के 2000 के नोट सर्कुलेशन में हैं. लेकिन ट्रांजेक्शन बेहद कम हो रहा है.

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