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Hindu Growth Rate: क्या है 'हिंदू ग्रोथ रेट'? जिसको लेकर रघुराम राजन चिंतित...45 साल पुराना कनेक्शन!

तिमाही आधार पर Growth Rate में लगातार आ रही कमी को लेकर पूर्व आरबीआई गवर्नर ने चिंता जताई है और कहा है कि देश कई कारणों से हिंदू ग्रोथ रेट के खतरनाक स्तर के करीब पहुच रहा है.

पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने हिंदू ग्रोथ रेट (Hindu Growth Rate) को लेकर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि भारत इसके खतरनाक स्तर के बहुत करीब पहुंच गया है. उन्होंने देश की इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए इसे समस्या करार देते हुए कहा, कि प्राइवेट सेक्टर में सीमित इन्वेस्टमेंट, उच्च ब्याज दरें और ग्लोबल ग्रोथ की धीमी रफ्तार इसकी प्रमुख वजह हैं. 

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क्या होती है 'हिंदू ग्रोथ रेट'?
सबसे पहले बात कर लेते हैं कि आखिर ये 'हिंदू ग्रोथ रेट' (Hindu Growth Rate) होती क्या है? तो बता दें कि ये टर्म दरअसल, इंडियन इकोनॉमिक ग्रोथ रेट के लो-लेवल को दर्शाता है. इसका पहली बार जिक्र साल 1978 में हुआ था और भारतीय अर्थशास्त्री राज कृष्ण (Economist Raj Krishna) ने धीमी वृद्धि दर का वर्णन करने के लिए इस शब्द को चुना था. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1950 के दशक से 1980 के दशक तक भारत की विकास दर औसतन करीब 4 फीसदी थी.  

आजादी के समय आर्थिक स्थिति थी कमजोर
साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ था. उस समय देश की आर्थिक हालत काफी कमजोर थी. कृषि प्रधान देश में गरीबी का व्यापक स्तर पर थी. इसके साथ ही ढांचागत सुविधाओं का अभाव था. इसके बाद के दशकों में देश की विकास दर काफी धीमी थी. देश की इकोनॉमी की इस धीमी रफ्तार को शब्दों में व्यक्त करने के लिए Hindu Growth Rate शब्द का इस्तेमाल किया गया. अब भी इस शब्द का उपयोग देश की निम्न ग्रोथ रेट की स्थिति को बयां करने के लिए अक्सर किया जाता है. 

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तिमाही आधार पर लगातार आ रही कमी
रघुराम राजन ने पिछले महीने जारी नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) के नेशनल इनकम के आंकड़ों के आधार पर कहा कि तिमाही आधार पर Growth Rate में लगातार आ रही कमी आ रही है. आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 6.3 फीसदी और पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 13.2 फीसदी से घटकर महज 4.4 फीसदी रह गई है. इससे पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 5.2 फीसदी था. रघुराम राजन ने कहा कि ये आंकड़े बड़ी चिंता का सबब बन रहे हैं. 

5% ग्रोथ रेट रही तो हम 'भाग्यशाली'
रिपोर्ट में अगले वित्तीय वर्ष में Economic Growth और घटने का अनुमान जताया गया है. पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अनुक्रमिक मंदी (Sequential Slowdown) चिंता का विषय है. प्राइवेट सेक्टर इन्वेस्टमेंट के लिए तैयार नहीं है. RBI की ओर से एक के बाद एक लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जा रही है. इस सबके बीच ग्लोबल ग्रोथ भी धीमे रहने की आशंका है. पीटीआई के साथ ई-मेल इंटरव्यू में उन्होंने आगे कहा कि अगले वित्त वर्ष 2023-24 में अगर इंडियन ग्रोथ रेट 5 फीसदी रहता है, तो हम भाग्यशाली होंगे. 

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'हमें और बेहतर करना होगा'
रघुराम राजन ने कहा है कि मेरा डर गलत नहीं है. केंद्रीय बैंक (RBI) ने इस इस वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के लिए और भी कम 4.2 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान जताया है. इस बिंदु पर, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही की औसत वार्षिक वृद्धि 3 साल पहले इसी तरह की पूर्व-महामारी तिमाही के सापेक्ष 3.7 फीसदी है. उन्होंने कहा कि विकास की यह रफ्तार हमारी पुरानी 'हिंदू ग्रोथ रेट' के खतरनाक रूप से करीब है! राजन ने कहा कि हमें और बेहतर करना चाहिए. 

 

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