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महंगाई से आने वाले दिनों में मिलेगी राहत, बोले अरविंद पनगढ़िया

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने मौजूदा समय में खुदरा महंगाई दर के 5 से 6 प्रतिशत के स्तर पर होने जायज ठहराया. Business Today के एक कार्यक्रम में बजट-2022 से पूर्व की एक चर्चा में उन्होंने आने वाले महीनों इससे थोड़ी राहत मिलने की बात कही.

अरविंद पनगढ़िया (File Photo) अरविंद पनगढ़िया (File Photo)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:31 PM IST
  • ‘5 से 6 महीने में दिखेगा बदलाव’
  • ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होगा प्रोडक्टिव’

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया का निजी तौर पर मानना है कि भारत जैसे प्रगतिशील और विकासशील देश में 5 से 6 प्रतिशत की महंगाई दर सही है. हालांकि इससे आने वाले दिनों में थोड़ी राहत मिल सकती है. वह Business Today के एक कार्यक्रम में Budget 2022 से पहले की चर्चा पर बात कर रहे थे.

‘5 से 6 महीने में दिखेगा बदलाव’
अरविंद पनगढ़िया से जब देश में वस्तुओं के दाम और पेट्रोल-डीजल के लगातार महंगे होने को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर अभी खुदरा महंगाई का जो स्तर है, निजी तौर पर उनके ख्याल से भारत जैसे प्रगतिशील और विकासशील देश में 5 से 6 प्रतिशत की महंगाई की स्वस्थ दर है.

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उन्होंने कहा कि अभी हमारी अर्थव्यवस्था एक बड़े संकट से गुजरी है. कोविड की वजह से अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा है. इस वजह से लोगों का जीवन थोड़ा मुश्किल हुआ है. लेकिन अभी अर्थव्यवस्था में निवेश की रिकवरी हो रही है. सरकार भी सोच-समझकर खर्च कर रही है. ऐसे में अगले 6 महीने में व्यवस्था में बदलाव दिखना शुरू हो जाएगा. उनका ध्यान हमेशा आने वाली संभावनाओं पर रहता है, ना कि इस पर कि पीछे क्या छूट गया है.

‘इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होगा प्रोडक्टिव’
राजकोषीय घाटे की स्थिति को लेकर जब उनसे पूछा गया कि बजट में इसे किस तरह देखा जाना चाहिए. तो उन्होंने कहा कि अभी राजकोषीय घाटे को लेकर जीडीपी के जिस स्तर पर हैं, उस हिसाब हमें इस अतिरिक्त खर्च को पूंजीगत व्यय और इंन्फ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करने पर खर्च करना चाहिए. क्योंकि इस पर किया गया खर्च प्रोडक्टिव होगा. इसी के साथ तेजी से प्राइवेटाइजेश की ओर जाना चाहिए.

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मोंटेक सिंह आहलूवालिया भी हुए शामिल
बिजनेस टुडे के इस कार्यक्रम में योजना आयोग के आखिरी उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया भी शामिल हुए. देश के निर्यात पर कमी को लेकर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत निर्यात में बांग्लादेश और वियतनाम से भी बुरा कर रहा है. हमारे निर्यात में पीछे होने की असल वजह हमारे आयात शुल्क वसूलने के तरीके में है. पिछले कुछ सालों में हमने घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिए आयात शुल्क में बढ़ोत्तरी की है. लेकिन इससे असल में भारतीय उद्योगों की लागत बढ़ती है और वो विश्व में निर्यात के लिए प्रतिस्पर्धी नहीं रह पाते. वर्ष 1992 के आर्थिक बदलावों का लक्ष्य ही यही था कि आयात शुल्क को नीचे लाएं. 

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