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अधर में फ्यूचर रिटेल का Future...बकाये कर्ज को NPA बनाने लगे बैंक, SC ने की ये टिप्पणी

Future Retail एक तरफ कर्ज के संकट का सामना कर रही है तो, दूसरी ओर मुकदमेबाजी ने उसकी राह कठिन बना दी है. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पिछले साल खरीदने का ऑफर दिया था, लेकिन अमेजन के विरोध के चलते डील पर तलवार लटक गई. अब बैंक रिकवरी की मांग कर रहे हैं.

नहीं मिली राहत नहीं मिली राहत
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 2:17 PM IST
  • सुप्रीम कोर्ट से फ्यूचर को नहीं मिली राहत
  • कंपनी के पास कर्ज चुकाने का उपाय नहीं

कर्ज संकट में फंसी कंपनी फ्यूचर रिटेल (Future Retail) की मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं. कंपनी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से भी राहत नहीं मिली है और बैंक बकाये कर्ज को एनपीए (NPA) बनाने में जुट गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कर्ज को एनपीए बनाने पर अंतरिम रोक लगाने की कंपनी की मांग खारिज कर दी है. इससे कंपनी का भविष्य अधर में लटक गया है.

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फ्यूचर रिटेल ने मांगा और समय

इस मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक और सुनवाई हुई. फ्यूचर रिटेल की पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे (Senior Advocate Harish Salve) ने शीर्ष अदालत को बताया कि कंपनी बैंकों के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना चाहती है. इस लिए मामले को कुछ सप्ताह के लिए टाल दिया जाए. इसके जवाब में 27 बैंकों का पक्ष रख रहे सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी (Senior Advocate Rakesh Dwivedi) ने कहा कि कंपनी की याचिका गौर करने योग्य नहीं (Non Maintainable) है. उन्होंने कहा कि बैंकों को बकाये की रिकवरी की इजाजत दी जानी चाहिए.

रिलायंस और अमेजन लगाएं बोली- बैंक

अभी फ्यूचर रिटेल के ऊपर बैंकों का बकाया करीब 17 हजार करोड़ रुपये है. द्विवेदी ने कहा कि इसकी रिकवरी अगर 1 साल के लिए टाल दी जाती है तो कुल बकाया और बढ़कर करीब 25 हजार करोड़ रुपये हो जाएगा. उन्होंने बैंकों की ओर से कहा कि फ्यूचर रिटेल के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) और अमेजन (Amazon) को बोली लगाने का मौका दिया जाना चाहिए. दोनों में से जिसकी बोली 17 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हो, वह फ्यूचर रिटेल का अधिग्रहण कर सकती है.

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फ्यूचर के पास कर्ज चुकाने का इंतजाम नहीं

फ्यूचर रिटेल को 31 दिसंबर तक 3,494 करोड़ रुपये चुकाने थे. कंपनी इसमें असफल रही तो उसके ऊपर एनपीए बनाए जाने का खतरा मंडराने लगा. बाद में कंपनी 30 दिनों के ग्रेस पीरियड में भी बकाया चुकाने का इंतजाम नहीं कर पाई और यह अवधि 29 जनवरी को समाप्त हो गई. इसके बाद बैंकों ने कंपनी को डिफॉल्ट के नोटिस भेजना शुरू कर दिया. इसी मामले में फ्यूचर रिटेल एनपीए करार दिए जाने से राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची.

रिलायंस इंडस्ट्रीज का ये था ऑफर

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने फ्यूचर रिटेल के लिए 25 हजार करोड़ रुपये का ऑफर दिया था. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने यह वादा भी किया था कि वह अधिग्रहण के बाद फ्यूचर रिटेल के स्टोर से एक भी कर्मचारी की छंटनी नहीं करेगी. दूसरी ओर अमेजन ने महज 7 हजार करोड़ रुपये का ऑफर दिया है. फ्यूचर के वकील हरीश साल्वे ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और अमेजन को बोली लगाने की इजाजत देने की बैंकों की दलील का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि कानूनी बाध्यताओं के चलते अमेजन रिटेल बिजनेस में एक रुपया इन्वेस्ट नहीं कर सकती है. साल्वे ने कहा कि फ्यूचर रिटेल समाधान निकालने के लिए 2 सप्ताह के भीतर बैंकों के साथ बातचीत करेगी.

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