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G-20 Summit: जी-20 हम सबके लिए बड़ा मौका, जानें भारत को क्या-क्या मिलने वाला है!

G-20 Summit: दुनिया की जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 85 फीसदी है. इसके अलावा G-20 देशों में दुनिया का कुल 85 फीसदी प्रोडक्शन होता है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में समूह देशों की हिस्सेदारी 75 फीसदी है.

भारत के लिए एक बड़ा अवसर है जी-20 की अध्यक्षता भारत के लिए एक बड़ा अवसर है जी-20 की अध्यक्षता
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:47 AM IST

दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यव्स्थाओं (World's Biggest Economy) के समूह जी-20 (G-20) की अध्यक्षता भारत कर रहा है. इस अहम बैठक के लिए सरकार की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और इसका आयोजन 9-10 सितंबर 2023 को राजधानी दिल्ली (G-20 Summit In Delhi) में भारत की मेजबानी में होने वाला है. ग्लोबल इकोनॉमी में करीब 80 फीसदी से ज्यादा का प्रतिनिधित्व करने वाले जी-20 की अध्यक्षता देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. आइए जानते हैं इससे भारत को क्या फायदा हो सकता है?  

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ये देश हैं G-20 समूह में शामिल
सबसे पहले बात कर लेते हैं G-20 ग्रुप की, तो बता दें कि इसमें भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, जापान, मेक्सिको, जर्मनी, फ्रांस, रूस, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, इंडोनेशिया, इटली, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की और यूरोपीय यूनियन शामिल हैं. दुनिया की जीडीपी (World's GDP) में इसकी हिस्सेदारी 85 फीसदी है. इसके अलावा G-20 देशों में दुनिया का कुल 85 फीसदी प्रोडक्शन होता है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में समूह देशों की हिस्सेदारी 75 फीसदी है. 

सदस्य देशों से व्यापार संबंध होंगे मजबूत
ग्लोबल इकोनॉमी में जी-20 समूह की हिस्सेदारी के इन आंकड़ों को देखकर इसकी अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता है. इसकी अध्यक्षता करने से भारत को ग्रुप के सदस्य देशों के साथ व्यापार संबंधों को और भी मजबूत करने में मदद मिलेगी. अगर एक्सपर्ट्स की मानें तो उनकी राय में भविष्य की ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ और समृद्धि को हासिल करने में जी20 की एक रणनीतिक भूमिका है. इसमें शामिल देशों से भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अच्छा-खासा इन्वेस्टमेंट आ रहा है, जिसमें बढ़ोतरी की उम्मीद है. G-20 की अध्यक्षता करने से भारत को वैश्विक मंच पर प्रमुख खिलाड़ी बनने का मौका मिल रहा है.

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स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए अहम
भारत जी-20 की अध्यक्षता ऐसे समय में कर रहा है, जबकि देश दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बना हुआ है और सभी देश इसे लेकर उत्साहित हैं. G-20 के जरिए होने वाले अन्य लाभों की बात करें तो केंद्र ने अपनी तरह की पहली पहल करते हुए स्टार्टअप 20 एंगेजमेंट ग्रुप की स्थापना की है, जो विभिन्न स्टेकहोल्डर्स को एक साझा मंच पर एक साथ लाकर वैश्विक स्टार्ट-अप इकोसिस्टम की आवाज के रूप में कार्य कर रहा है. इसके जरिए सदस्य देशों द्वारा क्षमता निर्माण, फंडिंग गैप को कम करने, रोजगार के अवसर बढ़ाने, सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने और समावेशी ईकोसिस्टम में ग्रोथ जैसे सेक्टर्स के लिए ठोस कदम उठाएंगे. 

निवेश को आकर्षित करने में मिलेगा मदद
वसुधैव कुटुंबकम - 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' की थीम पर होने वाली इस जी-20 बैठक की अध्यक्षता करना भारत के लिए किसी बड़े अवसर से कम नहीं है. इसका कारण है कि इसके जरिए दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती इकोनॉमी के तौर पर उभरा भारत और अधिक निवेश को आकर्षित करने के लिए अपनी क्षमता और उपलब्धियों का प्रदर्शन कर सकता है. इसके साथ ही ऐसी उम्मीद भी जताई जा रही है कि राजधानी दिल्ली में होने वाली इस बैठक में देश के छोटे कारोबारिया या एमएसएमई सेक्टर (MSME Sector) को मजबूती देने से जुड़े कई ऐलान भी किए जा सकते हैं. 

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मेडिकल डिवाइस सेक्टर का ये सुझाव
एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (AiMeD) के फोरम को-ऑर्डिनेटर राजीव नाथ का कहना है कि मेडिकल डिवाइस हेल्थकेयर सर्विसेज के लिए महत्वपूर्ण हैं और इन तक पहुंच में आसानी के लिए यह जरूरी है कि G-20 के सदस्य देशों के बीच पारस्परिक मान्यता समझौतों के साथ इनके लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों को सुसंगत बनाया जाए. जैसा कि आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के लिए कोविड महामारी के समय में लॉकडाउन में देखा गया.  

फास्ट ट्रैक रेग्युलेटरी अप्रूवल्स के लिए सक्षम तंत्र के रूप में क्वालिटी मैनेजमेंट सर्टिफिकेट, जो विभिन्न देशों में कई मल्टीपल रेग्युलेटरी अप्रूवल से बचकर निर्माताओं को व्यापार करने में आसानी प्रदान करते हुए आयात करने वाले देशों के नियामकों को विश्वास दिलाएगा. चिकित्सा उपकरण विशिष्ट कानून, एकल राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण के तहत रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क, ऐसे बिंदु हैं जिसे जी20 हेल्थकेयर एजेंडा के लिए सुझाया जा सकता है.

2008 में हुआ था पहला शिखर सम्मेलन
जी-20 का शिखर सम्मेलन (G-20 Summit) दरअसल, दुनिया के प्रमुख आर्थिक देशों के नेताओं का एक वार्षिक सम्मेलन होता है, जिसमें सदस्य देश ग्लोबल इकोनॉमी, फाइनेंस, बिजनेस, इन्वेस्टमेंट, जलवायु परिवर्तन समेत अन्य जरूरी मुद्दों पर चर्चा करते हैं. इन सब पहलुओं पर विचार-विमर्श के बाद सम्मेलन से वैश्विक स्तर पर लिए जाने वाले फैसलों से इकोनॉमी में स्थिरता और समृद्धि में मदद मिलती है. गौरतलब है कि इसकी पहली बैठक का आयोजन साल 2008 में अमेरिका के शिकागो में किया गया था.  

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