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Gautam Adani Interview: गौतम अडानी से पूछे गए ये 17 सवाल, मोदी से रिश्ते, वैश्विक मंदी से जुड़े सवालों पर खुलकर दिए जवाब

उद्योगपति गौतम अडानी ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि कुछ लोग उनकी कामयाबी को पचा नहीं पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनका सारा बिजनेस पटरी पर है. गौतम अडानी की मानें तो भारत की इकोनॉमी मजबूत स्थिति में है और आने वाले दिनों में और मजबूत होगी.

गौतम अडानी का खास इंटरव्यू (Photo; File) गौतम अडानी का खास इंटरव्यू (Photo; File)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:02 AM IST

कोरोना संकट के दौरान उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) की संपत्ति में जोरदार इजाफा हुआ. पिछले एक साल में उनकी कंपनियों के मार्केट कैप (Market Cap) में खूब बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जिससे गौतम अडानी दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स बन गए हैं. उनपर पीएम मोदी के करीब होने के भी आरोप लगते रहे हैं. इन सबके बीच इंडिया टुडे टीवी (India Today TV) ने गौतम अडानी से खास बातचीत की. इंडिया टुडे समूह के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर (पब्लिशिंग) राज चेंगप्पा ने गौतम अडानी से तमाम वो सवाल पूछे, जो चर्चाओं में हैं. गौतम अडानी ने सहजता से एक-एक सवाल के जवाब दिए. नीचे पढ़ें पूरी बातचीत-  

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सवाल-1: आपको बीता साल 2022 क्यों खास लगता है? 
जवाब: साल 2022 कई वजहों से खास था. हमारा अडानी विल्मर का आईपीओ सफल रहा और इसके साथ अडानी विल्मर हमारे समूह की 7वीं लिस्टेड कंपनी बन गई है. हमारे बिजनेस मॉडल में हम कंपनी को शुरू करते हैं, मुनाफे के लायक बनाते हैं फिर लिस्ट कराते हैं. ये आईपीओ भी उसी का उदाहरण है. हम देश के दूसरे सबसे बड़े सीमेंट उत्पादक बने, जब हमने एसीसी ओर अंबुजा सीमेंट को करीब $10.5 बिलियन में खरीदा. ये हमारा अभी तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण है, और ये भारत का भी अभी तक का सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर और मेटिरियल बिजनेस का M&A लेन-देन है.

सवाल-2: आप भारत और एशिया के सबसे अमीर आदमी होने के साथ दुनिया के तीसरे सबसे अमीर इंसान है. आपको कैसा लगता है? इसको आप किस नजर से देखते हैं? 
जवाब: ये श्रेणी और नंबर का मेरे लिए कोई मतलब नहीं है. ये सब मीडिया हाइप है. मैं पहली पीढ़ी का उद्यमी हूं, जिसने सबकुछ शुरू से खुद बनाया है. मुझे चुनौतियों में ही मजा आता है, जितनी बड़ी चुनौती उतनी खुशी. मेरे लिए लोगों की जिंदगी बदलने और देश को आगे बढ़ाने का मौका ज्यादा संतुष्टि देता है, बजाय किसी श्रेणी या मूल्याकंन सूची में आने से मैं भगवान का धन्यवाद देना चाहता हूं कि उसने मुझे इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के जरिए इस देश को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण मौका दिया है.

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सवाल-3: आप खुशी की बात करते हैं, क्या चीज है जो आपको सबसे ज्यादा खुशी देती है? 
जवाब: ये साल मेरे लिए बहुत बड़ा था. इस साल मैंने 60वां जन्मदिन मनाया. इसके अलावा, इस मौके पर मेरे परिवार ने अडानी फाउंडेशन को 60 हजार करोड़ रुपये दिए. ये मेरे दिल के करीबी और देश की नींव मजबूत करने वाले खास तीन मकसदों, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, स्किल डेवलेपमेंट के लिए है. इससे मुझे बहुत संतुष्टि और खुशी मिली जो किसी पेशेवर उपलब्धि से बड़ी है.

सवाल-4: आपको व्यापार और जिदंगी में कहां से प्रेरणा मिलती है? 
जवाब: एक आम आदमी की तरह, मुझे भी हर देशवासी की हिम्मत, ताकत और जज्बा बहुत प्रेरित करता है. आपको बताता हूं, ग्रीन टॉक्स सीरीज के दूसरे एडिशन में, मैं अरुणिमा सिन्हा और किरण कनौजिया, जिन्होंने अपनी टांगों को गंवाकर भी दुनिया जीत ली, की कहानियों से बहुत प्रेरित हुआ. अरुणिमा ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाइयों को छुआ और किरण, ब्लैड रनर मैराथन भाग रही है. दोनों अविश्वसनीय और भारत का गर्व है. ये नए भारत के असली हीरो हैं.

इनकी कहानियों से मेरी आंखों में आंसू आ गए. मैं उनके जज्बे को सलाम करता हूं. इनसे ज्यादा अविश्वसनीय हिम्मत और साहस की कोई और कहानी हो सकती है क्या? इनको देखकर मेरा विश्वास और दृढ़ हो गया है कि कोई मशीन इंसान की हिम्मत से मजबूत नहीं हो सकती है. ऐसे लोगों की कहानियां मुझे बहुत प्रेरित करती हैं.

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सवाल-5: मैं जानना चाहता हूं कि आपका समूह किन वजहों से इंफ्रास्ट्रक्चर और नए व्यवसायों में विस्तार कर रहा है? 
जवाब: मैं एक बहुत ही सामान्य परिवार में पैदा हुआ था. 1970 और 1980 के दशक में हम बिजली, सड़क और पानी की समस्याओं से जूझते रहे. ये वो वक्त था जब भारत में पोर्ट, एयरपोर्ट और अन्य क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर की बहुत कमी थी. चीन हमसे बहुत आगे निकलने लगा, जो हमारे आस-पास ही आज़ाद हुआ था और 1990 में वहां औसत आय कम थी. इसलिए मेरे अंदर भारत को आगे ले जाने और मजबूत करने का जज्बा जागा, खासकर इंफ्रास्ट्रक्चर में, 1991 की शुरुआत में नीति बदलाव ने इंफ्रास्ट्रक्चर में निजी उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल बनाया. इसी वजह से मैं हर मौके को देश निर्माण और बेहतर सुविधाओं के लिए इस्तेमाल करता हूं.

सवाल-6: पिछले दशक में आपकी अभूतपूर्व बढ़त ने ये दिखा दिया है कि आपका मैनेजमेंट बेहतरीन है, आपकी सफलता का मंत्र क्या है? 
जवाब: हमारे सारे उद्योग पेशेवर लोग और काबिल CEO चलाते हैं. मैं उनके रोज़ के काम में दखल नहीं देता. मेरा काम आगे की दिशा दिखाना, पूंजी आवंटन और उनके काम की समीक्षा करना है. इसलिए में इतना बड़ा और विस्तृत उद्योग संभालने के साथ-साथ नए उद्योग और आगे बढ़ने के नए अवसरों पर ध्यान दे पाता हूं.

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सवाल-7: आपके एक नए अधिग्रहण में NDTV मीडिया भी शामिल है, क्या आप इसमें भी अपने बाकी उद्योगों की तरह हस्तक्षेप नहीं करेंगे? आप संपादकीय आजादी को कैसे तय करेंगे?
जवाब: मैं आपको बताना चाहूंगा की एनडीटीवी विश्वसनीय, स्वतंत्र और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क रहेगा. मैनेजमेंट और संपादकीय में हमेशा एक लक्ष्मण रेखा रहेगी. हम चाहें तो इस पर लंबी बहस कर सकते हैं, जैसा कई और कर रहे हैं, लेकिन मेरा कहना है कि वक्त के साथ ये साफ हो जाएगा... तो हमें थोड़ा वक्त दें.

सवाल-8: हम देखेंगे कि आपकी लक्ष्मण रेखा का पालन हो रहा है या नहीं, लेकिन आपके समीक्षकों की एक और चिंता है कि अडानी समूह अत्यधिक कर्ज में है, करीब दो लाख करोड़ का कर्ज? आप ये विश्वास कैसे दिलाएंगे कि आप इसे चुका सकते हैं? 
जवाब: देखिए मैं खुद हैरान हूं इन बातों से हम आर्थिक स्तर पर मजबूत और सुरक्षित हैं. ये शोर दो तरह के लोग कर रहे हैं. पहले वो जो हमारी आर्थिक स्थिति और कर्ज की विस्तृत जानकारी नहीं रखते. अगर वो समझ लेंगे तो कर्ज की सारी गलतफहमी दूर हो जाएगी. एक और तरह के निहित स्वार्थी लोग जबरदस्ती का भ्रम पैदा कर रहे हैं और हमारी प्रतिष्ठा को खराब कर रहे हैं. सच तो ये है कि पिछले 9 सालों में हमारा मुनाफा, हमारे कर्ज से दोगुनी तेजी से बढ़ रहा है. जिसकी वजह से हमारी Debt to EBITDA ratio 7.6 से घटकर 3.2 पर आ गई है. इससे हमारे ग्रुप की सही वित्तीय हालत पता चलती है, क्योंकि हमारी ज्यादातर कंपनियां इंफ्रास्ट्रक्चर के कारोबार में हैं, जहां पक्का कैश फ्लो होता है, ना कि उत्पादन की तरह. यही वजह है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने हमें भारत की सॉवरेन रेटिंग के बराबर रखा है. ये मेरे लिए बहुत गर्व की बात है कि भारत में इतनी सारी कंपनियों वाले सिर्फ अडानी समूह के पास सॉवरेन रेटिंग है. आप ये भी समझते होंगे कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां बहुत ध्यान से रेटिंग देती हैं. उनका आंकने का बहुत मज़बूत तरीका होता है. मौलिक रूप से मजबूत वित्तीय सामर्थ्य की वजह से ही हम ACC और अंबुजा को सिर्फ तीन महीनों में 510.5 बिलियन डॉलर में खरीद सके.

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सवाल-9: ये भी चिंता है कि कई प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर बैंकों ने आपको भारी कर्ज दिया है. आप इसके बारे में क्या कहना चाहेंगे? 
जवाब: लोग बिना पुष्टि के चिंता जताते हैं. सही बात ये है कि 9 साल पहले हमारे कर्ज में से 86% भारतीय बैंकों से था जो अब घटकर 32% रह गया है. हमारे कर्ज का करीब 50% अब अंतरराष्ट्रीय बॉन्ड से है. आप समझ सकते हैं कि अंतरराष्ट्रीय निवेशक पूरी जांच पड़ताल के बाद ही निवेश करता है.

सवाल-10: आप उन आलोचकों को क्या कहना चाहेंगे जो कहते हैं कि आपकी जबरदस्त कामयाबी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से है?

जवाब: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मैं एक ही प्रदेश से आते हैं, इसलिए मुझपर ऐसे निराधार आरोप लगाना आसान हो जाता है. मैं अपने औद्योगिक सफर को चार भागों में बांट सकता हूं. कई लोगों को जानकर आश्चर्य होगा कि मेरा सफर जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब शुरू हुआ, जब उन्होंने एग्जिम पॉलिसी को बढ़ावा दिया और पहली बार कई चीजें OGL लिस्ट में आई. इससे मेरा एक्सपोर्ट हाउस शुरू हुआ. अगर वो न होते तो मेरी शुरुआत ऐसी न होती. दूसरा मौका 1991 में आया जब नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधार शुरू किए. मेरे साथ बहुत लोगों को इसका फायदा हुआ. इस बारे में पहले ही बहुत लिखा जा चुका है. तीसरा मौका 1995 में आया जब केशुभाई पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री बने. तब तक सिर्फ मुंबई से दिल्ली तक का एनएच-8 ही विकसित हुआ था, उनकी दूरदर्शिता और पॉलिसी के बदलाव से मुझे मुंडरा पर अपना पहला पोर्ट बनाने का मौका मिला. चौथा मौका 2001 में आया जब गुजरात में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास की दिशा दिखाई. उनकी नीतियों से गुजरात में आर्थिक बदलाव के साथ अविकसित क्षेत्रों का भी विकास हुआ. उससे उद्योग और रोजगार का विकास हुआ. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वही चीज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कर रहे हैं. 

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दुर्भाग्यपूर्ण है कि मेरे खिलाफ ऐसा बोला जाता है. ये सब निराधार है और हमारी प्रगति के खिलाफ पक्षपात है. सच तो ये है कि हमारी सफलता किसी एक की वजह से नहीं पर तीन दशकों में कई सरकारों की नीति बदलाव की वजह से है.

सवाल-11: आपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सफर गुजरात के मुख्यमंत्री से देश के प्रधानमंत्री बनने तक देखा है. आप उनके नेतृत्व के तरीके पर क्या कहना चाहेंगे? 

जवाब: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को एक प्रगतिशील नेतृत्व दिया है. उनकी नीतियों ने हर भारतीय की जिदंगी में बदलाव किया है. उनकी कोशिश से भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ सामाजिक विकास भी हुआ है. उनकी नीतियों से देश में औद्योगिक और आर्थिक विकास हुआ है. आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल इंडिया और स्टार्ट-अप इंडिया ने व्यापार और उत्पादन के नए मौके बनाए और लाखों लोगों को रोजगार दिया. प्रधानमंत्री जी ने खेती और देश के अविकसित क्षेत्रों को भी प्रगति पथ पर डाला. स्वच्छ भारत, जनधन योजना, डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर और आयुष्मान भारत ने देश में परिवर्तन की नई दिशा दिखाई.

सवाल- 12: आपको ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के साथ-साथ भारत के कुछ राज्यों में भी कारोबार में आलोचना और विरोध का सामना करना पड़ा... आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: गौतम अडानी लोकतांत्रिक भारत में बड़े हुए. विरोध लोकतंत्र का ही हिस्सा है. मैं ये मानता हूं कि हमारे देश के लोकतंत्र ने हम सबको आर्थिक आज़ादी और अवसर दिए हैं. अब हम अपने फायदे के हिसाब से शिकायत और अवसरवाद नहीं कर सकते. हम इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में हैं, जो सबसे मुश्किल कामों में से एक है. मैंने ऐसी कई चुनौतियों को देखा है. मैं आलोचना को गलत नहीं मानता हूं. मैं हमेशा सामने वाले का पक्ष समझने की कोशिश करता हूं. मैं ये भी मानता हूं कि मैं हमेशा सही नहीं हूं. मैं हर आलोचना में सुधार का मौका ढूंढता हूं.

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सवाल- 13: इतनी आलोचना के बावजूद आप मजबूती से खड़े रहते हैं...क्या ये अडानी कल्चर का हिस्सा है?
जवाब: हार मानना अडानी कल्चर का हिस्सा नहीं रहा है. इतने सालों में अडानी ग्रुप ने मजबूत और प्रोफेशनल टीम तैयार की है. ये टीम ऊर्जावान है और समस्याओं का हल निकालने में विश्वास रखती है. मैंने भारत जैसे प्रजातंत्र में अपने कौशल को विकसित किया है. मुझे और मेरे ग्रुप को विश्वास है कि हम दुनिया के किसी भी हिस्से में कारोबार कर सकते हैं. मैंने बचपन से ही कई परेशानियों का सामना किया और हर बार मुझे बेशकीमती सबक मिला. जिसने मुझे मजबूत बनाया है. यही वजह है कि मैं अपनी टीम से हमेशा कहता हूं कि 'आपदा से भी सबक लें'

सवाल-14: आप ग्रीन एनर्जी खासतौर पर सोलर और हाइड्रोजन पर काफी निवेश कर रहे हैं, ऐसा क्या है जिससे आपको विश्वास है कि आने वाले समय में इन सेक्टर्स में फायदा होगा, जैसे ग्रीन हाइड्रोजन को फ्यूल में बदलना हो या इसे स्टोर करना हो? 

जवाब: ग्रीन एनर्जी मेरे दिल के बेहद करीब है, ऊर्जा परिवर्तन ना केवल एक बड़ा व्यापार का अवसर है बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए ये हमारा दायित्व भी है. भारत सरकार ने इसके लिए बहुत ही आकर्षक प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (PLI) स्कीम भी निकाली है, जिसने ग्रीन हाइड्रोजन बिजनेस को संभव और आकर्षक बनाया, असल में मुझे पूरा विश्वास है कि जो सपोर्ट हमें मिल रहा है हम ना केवल घरेलू मांग पूरी करेंगे बल्कि जल्द ही हम ग्रीन हाइड्रोजन निर्यात करने वाले हो जाएंगे.

सवाल-15: पहली पीढ़ी के उद्यमी जैसे धीरूभाई अंबानी को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, आप भी पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं. एक मार्गदर्शक के रूप में आप इसे कैसे देखते हैं? 
जवाब: धीरूभाई लाखों भारतीय उमियों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं, उन्होंने बिना किसी सहयोग के और तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद ना सिर्फ विश्व स्तरीय व्यापार समूह खड़ा किया, बल्कि एक विरासत को भी छोड़ा. मैं शुरू से ही धीरूभाई से प्रभावित हूं. 

सवाल-16: आपके हिसाब से भारत की अर्थव्यवस्था कैसी है और आप इसे अगले साल में कैसे बढ़ते हुए देखते हैं? 
जवाब: आजादी के 75 सालों में से 58 साल लगे 1 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी के लिए, 12 साल में 2 ट्रिलियन और सिर्फ 5 और सालों में 3 ट्रिलियन. लेकिन अब जिस तेजी से हम बढ़ रहे हैं मुझे लगता है कि अगले दशक में, हर 12 से 18 महीनों में हम जीडीपी में ट्रिलियन डॉलर जोड़ेंगे. मैं भारत की प्रगति और समृद्धि को लेकर बहुत आशावादी हूं. 2050 तक भारत में 160 करोड़ युवा होंगे. हमारे पास दुनिया की सबसे बड़ी मध्यमवर्गीय जनसंख्या होगी. ये सब देश को प्रगति की दिशा में ले जाते हुए भारत को 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बना देगा. ये शताब्दी भारत की प्रगति की है. 

सवाल-17: बहुत सारे विशेषज्ञों को लगता है कि 2023 में वैश्विक मंदी आएगी, आपको भी ऐसा लगता है?
जवाब: मैं बहुत ही आशावादी हूं और कभी उम्मीद नहीं छोड़ता. पहले भी ऐसे बहुत सारे लोगों ने 2008 की वैश्विक मंदी के दौरान भारत में आर्थिक संकट की बात कही थी, लेकिन भारत ने इसे गलत साबित किया. मैं आशा करता हूं कि अगला बजट इन सब का ध्यान रखेगा. कैपिटल एक्सपेंडिचर, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान देकर इन विपरीत परिस्थितियों का सामना करके भारत पहले से ज्यादा मजबूत बनेगा.

 

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