
दुनिया में जब भी कहीं युद्ध की स्थिति बनती है या फिर अन्य कोई आपदा या फाइनेंशियल क्राइसिस होता है, तो ऐसे समय में दो चीजें साफ देखने को मिलती हैं. एक शेयर बाजारों में गिरावट (Stock Market Crash) और दूसरी सोने की कीमतों में तेजी (Gold Rate Rise) आती है.
फिर बात चाहे रूस-यूक्रेन युद्ध की हो, या फिर फिलहाल ईरान-इजरायल के बीच जंग से मिडिल ईस्ट में बढ़े तनाव की, अमेरिका से लेकर भारतीय शेयर बाजार तक में गिरावट देखने को मिली है. Indian Stock Market तो लगातार दूसरे दिन बुरी तरह टूटा है. इस बीच सोने के दाम भी चढ़े हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्या है युद्ध और सोने की कीमतों में बढ़ोतरी का कनेक्शन? आइए समझते हैं.
ईरान-इजरायल जंग में भी चमका सोना
बीते मंगलवार को जब ईरान ने इजरायल पर मिसाइल अटैक करते हुए ताबड़तोड़ 180 मिसाइलें दागीं और इसके बाद इजरायल ने हमले का करारा जवाब देने का ऐलान किया, तो दुनियाभर में तनाव बढ़ गया. क्रूड ऑयल के दाम अचानक 5 फीसदी तक उछल गए, तो वहीं सोने की कीमत में भी तगड़ा उछाल देखने को मिला. हालांकि, जिस कदर आशंका जताई जा रही थी उस हिसाब से ये नहीं उछला. अगर शुक्रवार की ही बात करें तो इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (India Bullion And Jewellers Association) के मुताबिक, घरेलू मार्केट में 24 कैरेट सोना सुबह गुरुवार के 75615 रुपये प्रति 10 ग्राम की तुलना में बढ़कर 76082 रुपये पर पहुंच गया था.
बीते कुछ समय में अगर सोने की कीमतों में इजाफे पर गौर करें, तो Russia-Ukraine War के दौरान फरवरी 2022 में 50000 रुपये के आस-पास ट्रेड कर रहा सोना, कुछ ही दिनों में 55000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार निकल गया था. इसके बाद इजरायल-हमास के बीच युद्ध के दौरान बीते साल के अंत तक ये 63,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंच गया. मिडिल ईस्ट में तनाव इस साल भी लगातार जारी है और इस बीच सोना 76000 के पार निकल चुका है.
निवेश का सबसे सुरक्षित तरीका Gold
अब बात करते हैं कि युद्ध या फिर किसी भी तरह के भू-राजनीतिक तनाव के हालात में सोने का भाव क्यों चढ़ता है. तो इसके कई कारण होते हैं और इनमें सबसे अहम है कि लोग इसे सबसे सुरक्षित इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के तौर पर देखते हैं. जब भी दुनिया में कोई संकट आता है, तो न सिर्फ आम लोग, बल्कि सरकारें भी सोना खरीदने में जुट जाती हैं. डिमांड बढ़ने पर इसकी कीमतें भी बढ़ने लगती हैं. इसकी वजह है कि संकट में भले ही अन्य संपत्तियां अपनी कीमत खोने लगती है, शेयर बाजारों में भारी गिरावट का दौर शुरू हो जाता है, लेकिन Gold की चमक और उसका मूल्य आमतौर पर कायम रहता है और मुसीबत में ये बेहद काम आता है. न केवल आ लोग बल्कि मुसीबत में सरकारें भी इस सोने को गिरवी रखकर इकोनॉमी को सपोर्ट देती हैं.
महंगाई-करेंसी और सोने का भाव
युद्ध की स्थिति में जरूरी चीजों की सप्लाई पर असर पड़ता है और आयात-निर्यात बाधित होने से महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. इसके साथ ही जब महंगाई चरम पर पहुंचती जाती है, तो करेंसी में गिरावट देखने को मिलती है. ऐसे समय में भी लोग सोने में निवेश का रास्ता चुनना बेहतर समझते हैं और फिजिकल डिमांड में इजाफा होने से इसकी कीमतों में उछाल देखने को मिलने लगता है. फिलहाल ग्लोबल हालातों के मद्देनजर देखें, तो ईरान और इजरायल की जंग के असर से Crude Oil की कीमतें बढ़ रही हैं और ये 77 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गई हैं. क्रूड महंगा होने से पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने का जोखिम रहता है और अगर फ्यूल प्राइस बढ़ते हैं, तो फिर ट्रांसपोर्टेशन पर असर पड़ता है और महंगाई में इजाफा होता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशकों के सोने की ओर आकर्षित होने का एक मुख्य कारण महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता की स्थिति में बचाव के रूप में इसकी बड़ी भूमिका होना है. महंगाई के चलते पारंपरिक करेंसियां सुस्त पड़ जाती हैं, जिससे निश्चित आय वाले निवेश कम आकर्षक हो जाते हैं, लेकिन इतिहास पर गौर करें, तो इस स्थिति में भी सोना अपना मूल्य बनाए रखता है, जिससे निवेशकों की संपत्ति सुरक्षित रहती है. युद्ध हो, कोरोना जैसी महामारी जैसा दौर हो या फिर अन्य भू-राजनीतिक संघर्ष, ये आर्थिक असुरक्षा का कारण बनते हैं, जो फाइनेंशियल मार्केट्स को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन सोना इससे सबसे कम प्रभावित होता है.
एचडीएफसी सिक्योरिटी में कमोडिटी करेंसी हेड अनुज गुप्ता की मानें, तो युद्ध के हालात में सोने की कीमतों (Gold Price) में तेजी के पीछे सबसे बड़ा कारण Safe Haven Demand का बढ़ना ही है, यानी लोग एक ऐसा निवेश तलाशते हैं, जिनपर उन्हें भरोसा हो, कि उसमें उनका इन्वेस्टमेंट कम नहीं होगा. ऐसे में गोल्ड की फिजिकल डिमांड में जोरदार इजाफा होता है और अधिक मांग के परिणामस्वरूप सोने की कीमत बढ़ने लगती है. उन्होंने गोल्ड प्राइस में बढ़ोतरी के पीछे के अन्य कारणों का जिक्र करते हुए कहा कि अनिश्चिचतता और युद्ध के अलावा अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती से लेकर गोल्ड ईटीएफ में निवेश बढ़ने का असर भी सोने की कीमतों पर पड़ता है.