
इस उद्योगपति की सफलता की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. श्रीरामकृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (एसआरके) के संस्थापक और निदेशक गोविंद लालजीभाई ढोलकिया (Govindbhai Laljibhai Dholakia) को बिजनेस (Business) की दुनिया के लोग जीएलडी कहते हैं और घर में उन्हें गोविंद काका के नाम से बुलाया जाता है.
वे बताते हैं, 'हम भीषण गर्मी में दिन के 14 घंटे खेतों में काम करते थे. मैंने ज्यादा पढ़ाई नहीं की, बमुश्किल साक्षर था. 1964 में 13 साल की उम्र में जब मैं पहली बार सूरत आया, शहर के हीरा पॉलिश करने वाले 200-300 लोगों की तरह मैं भी दिन में 14 घंटे पॉलिश करता था. सपनों के इस शहर में मेरी शुरुआत इस तरह हुई.'
हीरा पॉलिश करते-करते आया एक आइडिया
पहले हीरा पॉलिश (Diamond Polish) करने के दौरान कोई 28 प्रतिशत खुरदरे पत्थर को चमकदार हीरे में बदला जा सकता था, शेष कचरा हो जाता. दृढ़ता और वैज्ञानिक तरीके से काम करते हुए ढोलकिया ने 28 की जगह 34 प्रतिशत पत्थर को बचाया, जिससे यह ऊंची कीमत का एक बड़ा हीरा बन गया. वे याद करते हैं, 'मेरे काम से खुश होने की बजाए मालिक ने मुझे इसे काट-छांटकर एक छोटे हीरे में बदलने के लिए कहा.
लेकिन मैंने ऐसा करने से मना कर दिया. इस घटना ने मुझे एहसास कराया कि अगर मैं पत्थर से 6 प्रतिशत अधिक हीरा प्राप्त कर सकता हूं, तो मुझे अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहिए.' और इस तरह 1970 में दो साझीदारों के साथ श्री रामकृष्ण (एसआरके) एक्सपोर्ट्स की यात्रा शुरू हुई.
सूरत के बीच में स्थित कतारगाम को वैश्विक डायमंड पॉलिशिंग हब के रूप में जाना जाता है. कतारगाम में स्थित छह मंजिला 'एसआरके एम्पायर’ और इसके बगल में नौ मंजिला एसआरके हाउस, एसआरके के मुख्यालय के रूप में काम करते हैं. तीन दशक पहले सूरत को हीरा पॉलिशिंग के वैश्विक मानचित्र पर लाने का श्रेय एसआरके को ही जाता है.
6 हजार से अधिक लोग करते हैं काम
फर्म में अभी 6,000 लोग काम करते हैं और संख्या लगातार बढ़ रही है. 2021-22 में कंपनी का टर्नओवर 16,000 करोड़ रुपये था. प्रमुख ग्राहकों में तनिष्क और डी बियर्स जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं. बिजनेस-स्कूल सर्किट में भी जीएलडी लोकप्रिय और प्रभावशाली व्यक्ति हैं, जहां वे अपनी संघर्षपूर्ण यात्रा के बारे में व्याख्यान देते हैं, लेकिन उनकी बात मुख्य रूप से मूल्यों और ग्रोथ पर केंद्रित होती है.
अपनी आत्मकथा डायमंड्स आर फॉरएवर, सो आर मोरल्स में ढोलकिया कहते हैं, ''हीरे की वास्तविक क्षमता का उपयोग करना न केवल एक कला थी, बल्कि यह एक बहुत ही सटीक और दक्ष विज्ञान भी था. एक कुशल हीरा तराशने वाला और उस पर पॉलिश करने वाला बनने के लिए आवश्यक कौशल हासिल करने में वर्षों का प्रशिक्षण लगेगा लेकिन विज्ञान अधिकांश श्रमिकों के लिए एक पहेली बना रहा.’’
परोपकार में भी आगे
कंपनी अमेरिका, हांगकांग, थाइलैंड और जापान आदि देशों में हीरे निर्यात भी करती है. कंपनी का डी बियर्स, आर्कटिक कैनेडियन डायमंड कंपनी लिमिटेड और रियो टिंटो के साथ रफ डायमंड खरीद का सीधा अनुबंध है. इसके पास सालाना 7,20,000 कैरेट से अधिक रफ डायमंड को संसाधित करने की क्षमता है. गोविंदभाई लालजीभाई ढोलकिया की उम्र 74 साल है, और उनकी कुल संपत्ति करीब 4,800 करोड़ रुपये है.
एक गहरे धार्मिक और सामाजिक व्यक्ति ढोलकिया, सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेने के अलावा अपने परिवार के साथ बहुत समय बिताते हैं, जहां वे सफलता के लिए नैतिकता और मूल्यों के महत्व के बारे में बात करते हैं. कंपनी के मुनाफे का अहम हिस्सा चिकित्सा शिविरों, स्कूलों और कॉलेजों को सहायता प्रदान करने और धर्मार्थ कार्यों में लगाया जाता है. इसके अलावा कंपनी श्रमिकों के कल्याण और परोपकार के अन्य काम भी बढ़-चढ़कर करती है. ढोलकिया अपने मुनाफे को या तो कारोबार बढ़ाने में लगाते हैं या परोपकार के विभिन्न कार्यों में खर्च करते हैं.