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प्राइवेट पेट्रोल पंपों पर कसी नकेल, सरकार का आदेश- करो ये काम, वरना लाइसेंस होगा रद्द!

प्राइवेट पेट्रोल पंपों ने घाटे की वजह से हाल में अपना ऑपरेशन सीमित किया है. इस वजह से सरकारी फ्यूल स्टेशनों पर दबाव बढ़ गया था. अब सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए नई गाइडलाइंस जारी की है. नियम तोड़ने पर सरकार पेट्रोल पंप का लाइसेंस तक रद्द किया जा सकता है.

प्राइवेट पेट्रोल पंप वालों के लिए आई नई गाइडलाइंस प्राइवेट पेट्रोल पंप वालों के लिए आई नई गाइडलाइंस
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 जून 2022,
  • अपडेटेड 2:18 PM IST
  • पेट्रोल-डीजल के दाम हैं स्थिर
  • प्राइवेट रिटेलर्स को हो रहा घाटा

देश के कई राज्यों में प्राइवेट पेट्रोल पंपों ने घाटे से बचने के लिए अपना कामकाज सीमित कर दिया है. इस वजह से आम लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. पेट्रोल पंप अपना ऑपरेशन चालू रखे इसके लिए सरकार ने यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन (USO) का दायरा बढ़ाया है. इसके हिसाब से पेट्रोल पंप को फिक्स टाइम के अंदर ही ईंधन की बिक्री करनी होगी. सरकार ने साफ कर दिया है कि जो भी इस नियम का पालन नहीं करेगा, उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा.

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पेट्रोलियम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरकार ने अब सभी आउटलेट्स को यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन के दायरे में शामिल कर लिया है. ग्राहकों को बेहतरीन सर्विस मिले, इसके लिए ये फैसला लिया गया है.

इस वजह से सरकार ने लिया फैसला

यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन के तहत पेट्रोल पंपों को कामकाजी घंटों के दौरान पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति बनाए रखना होता है. साथ ही ग्राहकों को उचित दाम पर फ्यूल भी उपलब्ध करना होगा. माना जा रहा है कि सरकार ने कुछ राज्यों में कई सार्वजनिक क्षेत्र के पेट्रोल पंपों पर ग्राहकों की लंबी कतारों को देखते हुए ये नई गाइडलाइंस जारी की गई है. रिटेल फ्यूल स्टेशन लाइसेंस 2019 के दिशानिर्देशों के अनुसार, देश के सुदूर इलाकों में USO के माध्यम से ही फ्यूल स्टेशनों के सर्विस नियम तय होते हैं.

प्राइवेट रिटेलर्स को नुकसान

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रिपोर्ट में कहा कहा गया है कि सरकारी पेट्रोल पंपों पर ईंधन की मांग इसलिए बढ़ी है, क्योंकि प्राइवेट पंप तय समय तक ग्राहकों को फ्यूल नहीं बेच रहे. इसकी वजह से सरकार ने यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन का दायरा बढ़ाया है. निजी फ्यूल कंपनियों ने अपने डीलरों को आपूर्ति में तेजी से कमी की है. इसके अलावा वो ग्राहकों को तय कीमत से अधिक पर फ्यूल बेच रहे हैं.

सरकारी कंपनियों ने लगभग दो महीने से घरेलू कीमतें नहीं बढ़ाई हैं. हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी दरें बढ़ी हैं. इस वजह से प्राइवेट रिटलरों को नुकसान उठाना पड़ रहा है और वो इस तरह का घाटा झेलना नहीं चाहते हैं. इसलिए उन्होंने पेट्रोल-डीजल की बिक्री में कटौती की है.

राज्यों में बढ़ी ईंधन की मांग

इस सप्ताह की शुरुआत में तेल मंत्रालय ने कहा था कि जून की पहली छमाही के दौरान कुछ राज्यों के कुछ स्थानों पर पेट्रोल और डीजल की मांग में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. मुख्य रूप से ईंधन की मांग राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में बढ़ी है. क्रूड ऑयल के भाव 10 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बावजूद 6 अप्रैल के बाद से पेट्रोल-डीजल के भाव स्थिर बने हुए हैं.

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