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Happy Birthday Ratan Tata: रतन टाटा की ये 5 बातें जानकर आप भी करेंगे गर्व, संकट में देश के लिए रहते हैं तैयार

देश के सबसे सम्मानित उद्योग घरानों में से एक Tata Group के मानद चेयरमैन रतन टाटा का आज जन्मदिन है. 28 दिसंबर 1937 में जन्मे रतन टाटा ने 21 साल तक मुख्य भूमिका में रहते हुए टाटा समूह का नेतृत्व किया. इस दौरान उनके 5 फैसले ऐसे रहे जिसने टाटा समूह की नई तकदीर लिखी और उसे घर-घर तक पहचान दिलाई...

आज रतन टाटा का जन्मदिन है आज रतन टाटा का जन्मदिन है
शरद अग्रवाल
  • नई दिल्ली,
  • 28 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 2:40 PM IST
  • JLR खरीदकर फोर्ड को दिखाया ‘आईना’
  • ‘जागो रे’ से घर-घर पहुंचाई Tata Tea
  • आम आदमी के लिए बनाई Tata Nano

देश के सबसे सम्मानित उद्योग घरानों में से एक Tata Group के मानद चेयरमैन रतन टाटा का आज जन्मदिन है. 28 दिसंबर 1937 में जन्मे रतन टाटा ने 21 साल तक मुख्य भूमिका में रहते हुए टाटा समूह का नेतृत्व किया. इस दौरान उनके 5 फैसले ऐसे रहे जिसने टाटा समूह की नई तकदीर लिखी और उसे घर-घर तक पहचान दिलाई...

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जब रतन टाटा ने खरीदी टेटली
जेआरडी टाटा का उत्तराधिकारी बनने के बाद रतन टाटा ने कई ऐसे फैसले किए जिसने टाटा समूह की आय को 40 गुना बढ़ाया और कंपनी का प्रॉफिट करीब 50 गुना तक बढ़ा. इस कड़ी में सबसे अहम फैसला साल 2000 में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चाय कंपनी टेटली का अधिग्रहण करना रहा. ब्रिटिश चाय कंपनी Tetley के अधिग्रहण के बाद टाटा समूह को यूरोपीय बाजार में अपनी बढ़त बनाने में मदद मिली. इसके बाद Tata दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चाय कंपनी बन गई और इसने Uniliver के ब्रुक बांड को चुनौती देना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं इससे टाटा समूह का नाम यूरोप के घर-घर पहुंचा

देश से कहा ‘जागो रे’
Tata Tea से ही जुड़ा एक अहम कैंपेन ‘Jaago Re' रहा. 2007 में जब ये विज्ञापन अभियान लॉन्च हुआ, तब रतन टाटा ही कंपनी क प्रमुख थे. भ्रष्टाचार विरोधी इस विज्ञापन अभियान ने इंडियन मार्केट में दो तरह से टाटा समूह की पहचान मजबूत की. एक टाटा समूह की ‘ईमानदार’ छवि को मजबूत किया, साथ ही लोगों का टाटा में भरोसा बढ़ाया. इसी के साथ Tata के चाय बिजनेस को बढ़ाने में मदद की. उस समय तक भारत के चाय बाजार में Uniliver समूह के Brooke Bond ब्रांड की चाय का दबदबा था, लेकिन Jaago Re अभियान ने उसकी बादशाहत को तोड़ा.

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नैनो की असफलता ने दी नई कुंजी
रतन टाटा के जीवन का सबसे अहम पल जनवरी 2008 रहा. यही वो महीना था जब उन्होंने देश को 1 लाख रुपये से कम कीमत वाली Tata Nano कार दी. रतन टाटा के इस प्रोडक्ट ने देश के हर घर में टाटा के नाम को जगह दी, वजह उन्होंने आम आदमी के कार खरीदने के सपने को साकार करके दिखाया. इससे जुड़ी एक कहानी काफी प्रचलित है कि एक बार रतन टाटा ने एक स्कूटर पर 4 लोगों के परिवार को जाते हुए देखा, तभी उन्होंने निर्णय किया कि वो 1 लाख रुपये तक की कीमत में कार लॉन्च करेंगे. Nano इसी सपने का परिणाम थी. हालांकि निगेटिव मार्केटिंग और कॉस्ट बढ़ने की वजह से Tata Nano का उत्पादन 2019 में बंद हो गया. लेकिन इस फैसले के बाद Tata Motors ने अपनी स्ट्रैटजी बदली और अब जब से टाटा मोटर्स ने अपनी कारों के नए लाइन-अप को लॉन्च किया है तब से वह लगातार अपना मार्केट शेयर बढ़ा रही है. वहीं कंपनी ने इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में दबदबा कायम किया है.

फोर्ड को दिखाया ‘आईना’
टाटा मोटर्स का कार बिजनेस जब ठप पड़ने लगा, तो कई लोगों ने रतन टाटा को इसे बेचने की सलाह दी. फोर्ड इसे खरीदने के लिए राजी हो गई और डील साइन करने के लिए रतन टाटा को अमेरिका में कंपनी के हेडक्वार्टर बुलाया गया. मीटिेंग के दौरान फोर्ड के चेयरमैन ने रतन टाटा से कहा कि वो उनकी कंपनी खरीदकर उन पर एहसान करेंगे. ये बात रतन टाटा को रास नहीं आई. बाद में जब 2008 में फोर्ड लगभग दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई. तब टाटा ने ही फोर्ड से लक्जरी कार कंपनी Jaguar Land Rover को खरीदा. हैचबैक कारों की मांग वाले देश में टाटा के JLR खरीदने के फैसले को बेवकूफाना बताया गया. लेकिन आज इंडियन और ग्लोबल मार्केट में JLR की पोजिशन इस फैसले की सफलता की कहानी है. चीन और यूरोप के बाजार में JLR फिर से घर-घर में पहचानी जाने वाली कार बनती जा रही है.

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सुनामी में दी ‘सुजल’ से राहत
रतन टाटा ने कई मौकों पर समूह की पहचान ऐसी कंपनी के तौर पर कराई जो मुश्किल के वक्त में देश की मदद करने को आगे रहती है. हाल में कोरोना काल में कंपनी का 1500 करोड़ रुपये दान करना भी इसी कड़ी का हिस्सा है. ऐसा ही काम कंपनी ने 2004 में आई सुनामी के दौरान किया था. तब समूह की एक कंपनी ने ‘सस्ता’ वाटर प्यूरीफायर ‘सुजल’ डेवलप किया और हजारों लोगों को मुफ्त में इसे उपलब्ध कराया. बाद में इसी प्रोडक्ट को TCS ने और अच्छे से डेवलप करके ‘Tata Swach' नाम से लॉन्च किया और इसने लगभग हर आम आदमी की किचन में जगह बना ली.

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