
भारतीय स्टेट बैंक के लोन मामले में कारोबारी अनिल अंबानी को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी के खिलाफ SBI द्वारा व्यक्तिगत इंसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी प्रोसीडिंग्स पर स्टे हटाने की याचिका खारिज कर दी है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SBI लिबर्टी में स्टे ऑर्डर के संशोधन की मांग करे.
बता दें कि यह किसी प्रमोटर द्वारा दी गई पर्सनल गारंटी को भुनाने का पहला मामला है. अनिल अंबानी ने पर्सनल गारंटी के पालन से इनकार किया है. इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्शी कोड (IBC) के तहत पिछले साल नवंबर तक सिर्फ कंपनियां ही आती थीं, प्रमोटर नहीं, लेकिन अब इसमें प्रमोटर को भी शामिल कर लिया गया.
दिवालिया कार्यवाही की मिली इजाजत
यह तब लागू होता है जब 1,000 करोड़ या उससे ज्यादा के लोन की पर्सनल गारंटी दी गई हो. जनवरी 2018 में ही स्टेट बैंक ने अनिल अंबानी से लोन वसूलने का नोटिस दिया था. नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) ने अनिल अंबानी के खिलाफ दिवालिया की कार्यवाही आगे बढ़ाने की अगस्त महीने में इजाजत दे दी है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का 1200 करोड़ रुपये का कर्ज न चुका पाने की वजह से उनके खिलाफ यह आदेश आया है.
क्या है मामला
गौरतलब है कि भारतीय स्टेट बैंक ने साल 2016 में अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनियों रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और रिलायंस इंफ्राटेल (RITL) को यह कर्ज दिए थे. अनिल अंबानी ने इन कर्जों के लिए 1200 करोड़ रुपये की पर्सनल गारंटी दी थी. अब दोनों कंपनियां बंद हो गई हैं.
इसकी वजह से SBI को मुंबई NCLT में अपील करनी पड़ी. बैंक ने मांग की कि दिवालिया कानून के मुताबिक अनिल अंबानी से यह रकम वसूली की इजाजत दी जाए क्योंकि उन्होंने इस लोन की पर्सनल गारंटी दी है. यही नहीं, भारतीय स्टेट बैंक ने भूषण पावर ऐंड स्टील के प्रमोटर संजय सिंघल के पर्सनल गारंटी पर भी लोन वसूली की मांग कर दी है. भूषण स्टील ने 48,000 करोड़ रुपये के लोन का डिफाल्ट किया है.