
अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने बीते साल भारतीय अरबपति गौतम अडानी (Gautam Adani) के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप पर सवाल उठाने के बाद अब मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) को लेकर नई रिपोर्ट जारी की. शनिवार को पब्लिश की गई इस रिपोर्ट में भी Adani Group शामिल रहा. दरअसल, इसमें दावा किया गया कि जिन ऑफशोर फंडों का इस्तेमाल अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल में हुआ, उसमें SEBI अध्यक्ष की हिस्सेदारी थी. भले ही अमेरिकी फर्म ने सेबी चेयरपर्सन पर निशाना साधा हो, लेकिन एक्सपर्ट्स इसमें किए गए तमाम दावों को अटकलें मात्र करार दे रहे हैं.
'जबरन स्थापित किए गए बेतुके लिंक'
Hindenburg की नई रिपोर्ट को लेकर अब सोशल मीडिया (Social Media) पर चर्चा तेज हो गई हैं. अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म ने जो दावे किए हैं, उन्हें लेकर तमाम मार्केट एक्सपर्ट्स अपनी राय शेयर कर रहे हैं. इनमें से कुछ का मानना है कि हाल ही में आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट भारत के मजबूत आर्थिक प्रशासन को कमजोर करने की एक हताश कोशिश से ज्यादा और कुछ नहीं है. इसमें एक दशक पहले के ऑफशोर फंडों से संबंधों के दावे पूरी तरह से अटकलें मात्र हैं. टैक्स अधिवक्ता और इस मामले पर पैनी निगाह रखने वाले अजय रोत्ति (Ajay Rotti) ने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में कहा कि, 'मैं इस वजह से हिंडनबर्ग की कही हर बात पर सवाल उठाऊंगा, क्योंकि उनकी पूरी रिपोर्ट टकराव से शुरू होती है.
एक अन्य पोस्ट में अजय रोत्ति ने लिखा, रिपोर्ट में बेतुके लिंक जबरन स्थापित किए गए. कुछ भी समझ में नहीं आता, लेकिन दुख की बात यह है कि विपक्ष इसे और भी अलग स्तर तक ले जाएगा और अगले सप्ताह सदन को बाधित करने के लिए ये पर्याप्त होगा. इस मुद्दे के आने के बाद एथलीट विनेश अब पीछे की सीट पर बैठेंगी! उन्होंने कहा कि तकनीकी दृष्टिकोण से इस रिपोर्ट में सार नहीं है, लेकिन हमारे पास मौजूद राजनीतिक विमर्श के निम्न स्तर को देखते हुए यह घातक नजर आ रहा है.
'इस रिपोर्ट का कोई अदालत संज्ञान नहीं लेगी'
एक्स प्लेटफॉर्म पर एक अन्य एक्सपर्ट और वकील Jai Anant Dehadrai ने इस मामले को लेकर लिखा, 'मैंने आज जारी Hindenburg की रिपोर्ट पढ़ी है. आपको भी इसे पढ़ना चाहिए, ताकि आप पूरी तरह से समझ सकें कि विदेशी-फंडिंग वाला प्रचार कैसे काम करता है.' उन्होंने आगे लिखा कि एक आपराधिक मामलों के वकील के रूप में मेरे लिए दो बातें बिल्कुल स्पष्ट हैं. पहली ये कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहीं भी इस दावे का समर्थन करने वाला कोई सबूत नहीं है कि सेबी चेयरपर्सन ने कोई रिश्वत ली है. इसके अलावा दूसरी ये कि यह रिपोर्ट महज भ्रम फैलाने की कोशिश करती है कि किसी ऑफशोर फंड का मतलब ही है कि कोई आपराधिक गतिविधि हुई है. उन्होंने कहा कि बिना सबूत के कथित लाभार्थी अडानी ग्रुप पर अपने ही पहले के दावों को बेढंगे तरीके से दोहराया गया है, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट भी खारिज कर चुका है.
उन्होंने अपनी पोस्ट में आगे लिखा कि दुनिया में कहीं भी कोई भी आपराधिक अदालत इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी का संज्ञान नहीं लेगी, क्योंकि कोई आपराधिक मामला बनता ही नहीं है. हर बीतते दिन के साथ, यह मेरे लिए और भी स्पष्ट होता जा रहा है कि भारत और विदेशों में एक हताश गिरोह सक्रिय है, जिसका लक्ष्य भारतीय बाजारों को अस्थिर करना है. मैं उम्मीद करता हूं कि लोकतंत्र और भारत की खातिर हमारी जांच एजेंसियां इस वास्तविक और मौजूदा खतरे के प्रति सजग होंगी.
सिर्फ भ्रम पैदा करना है रिपोर्ट का उद्देश्य
हिंडनबर्ग की सेबी को लेकर जारी इस रिपोर्ट पर आलोक भट्ट नामक यूजर ने 10 पॉइंट्स के जरिए समझाते हुए इसे झूठा करार दिया है. उन्होंने बताया Hindenburg द्वारा सेबी पर हमला करने के लिए शेयरकी गई रिपोर्ट एक झूठ है, जिसका उद्देश्य भ्रम पैदा करना और कांग्रेस को उसके खेल में मदद करने के लिए हथियार मुहैया कराना है.