Advertisement

Bisleri: 50 साल का इतिहास, केवल 4 लाख की कंपनी आज 'सरताज'!

बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनी बिसलेरी बिकने जा रही है. साल 1969 में रमेश चौहान ने इसे खरीदा था. उससे पहले ये एक इतालवी कंपनी थी, जिसे 1965 में फेलिस बिसलेरी ने स्थापित किया गया था. चौहान अब कंपनी को चलाने में सक्षम नहीं हैं.

रमेश चौहान ने 4 लाख में खरीदी थी बिसलेरी. रमेश चौहान ने 4 लाख में खरीदी थी बिसलेरी.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:27 PM IST

भारत की सबसे बड़ी पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर कंपनी बिसलेरी (Bisleri) बिकने जा रही है. इसे खरीदने की दौड़ में कई उद्योगपति शामिल हैं. लेकिन बिसलेरी किसकी झोली में गिरेगी अभी कुछ भी तय नहीं है. अनुमान लगाया जा रहा है कि बिसेलरी 6,000-7,000 करोड़ रुपये में बिक सकती है.

कंपनी के चेयरमैन रमेश चौहान (Ramesh Chauhan) ने साल 1969 में बिसलेरी को चार लाख रुपये में खरीदा था. तब चौहान की उम्र 28 साल थी. अब 82 वर्ष के हो चुके रमेश चौहान बिसलेरी के कारोबार को आगे बढ़ाने में सक्षम नहीं हैं. इस वजह वो अपनी कंपनी के लिए खरीदार की तलाश में हैं.

Advertisement

चौहान ने क्यों खरीदी थी बिसलेरी?

बिसलेरी एक इतालवी कंपनी थी, जिसे 1965 में फेलिस बिसलेरी ने स्थापित किया गया था. इसी साल कंपनी कंपनी भारत भी आ गई थी. फिर साल 1969 में चौहान के नेतृत्व वाले पारले एक्सपोर्ट्स ने बिसलेरी को खरीद लिया. तब पारले एक्सपोर्ट्स अपने पोर्टफोलियो को पूरा करने के लिए एक ब्रांडेड सोडा की तलाश में था. बोतलबंद पेयजल उनके दिमाग में आखिरी चीज थी. बिसलेरी को भारत में कांच की बोतलों में और दो वैरिएंट, बबली और स्टिल में लॉन्च किया गया था. लेकिन चौहान ने बोतलबंद पानी बेचने के लिए बिसलेरी को नहीं खरीदा था.

फेमस था बिसलेरी का सोडा

बिजनेस टुडे के साथ 2008 के एक इंटरव्यू में चौहान ने कहा था कि उनके पोर्टफोलियो में पहले से ही गोल्ड स्पॉट जैसे लोकप्रिय ब्रांड थे, लेकिन सोडा नहीं था. 60 के दशक के अंत और 70 के दशक की शुरुआत में फाइव स्टार होटलों से सोडा की अच्छी मांग थी. बिसलेरी का सोडा लोकप्रिय था, यही वजह है कि मैंने कंपनी खरीदी. लेकिन हमने तब पानी के कारोबार की तरफ देखा तक नहीं था. चौहान का ध्यान साल 1993 में बोतलबंद पानी इंडस्ट्री पर तब गया, जब उन्होंने अपने कोल्ड ड्रिंक्स पोर्टफोलियो कोका-कोला को 186 करोड़ रुपये में बेच दिया.

Advertisement

ट्रांसपोर्टर नहीं हुए तैयार

शुरुआती दिनों में ट्रांसपोर्टर पानी के ट्रांसपोर्टेशन के लिए बहुत उत्सुक नहीं थे. क्योंकि यह एक भारी लेकिन कम कीमत वाला प्रोडक्ट था. इसलिए चौहान ने फैसला किया कि कंपनी को पानी का ट्रांसपोर्टेशन भी खुद ही करना होगा. आज पूरे भारत में 5,000 ट्रकों के साथ 4,500 से अधिक का बिसलेरी का डिस्ट्रीब्यूटर नेटवर्क है.

2000 के दशक की शुरुआत में बिसलेरी हिमालयन ब्रांड के तहत टाटा के माउंट एवरेस्ट मिनरल वाटर के साथ एक्वाफिना और किनले जैसे बोतलबंद पानी ब्रॉन्ड्स के साथ कंपटीशन में था. लेकिन कोका-कोला (किनले), पेप्सिको (एक्वाफिना), किंगफिशर और नेस्ले जैसे प्रतिस्पर्धियों के लिए पानी का कारोबार एक अन्य व्यवसाय की तरह था. दूसरी तरफ चौहान के लिए ये प्रमुख कारोबार था.

बिसलेरी की सफलता का राज

साल 2007 में एक इंटरव्यू में चौहान ने कहा था कि किसी भी व्यवसाय की सफलता प्रोडक्ट की यूएसपी और उसे पहले पेश करने वाले के लिए तय होती है. यदि आप दूसरे या तीसरे स्थान पर आते हैं, तो आपके पास कुछ अलग होना चाहिए. मैं पहल करने वाला पहला शख्स रहा रहा हूं. मैंने अपने ब्रांड को बनाने के लिए संघर्ष किया है.

क्यों बेच रहे हैं कंपनी?

अब अपने खराब स्वास्थ्य और अपनी बेटी जयंती की व्यवसाय में रुचि की कमी के कारण चौहान कंपनी को बेचना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि बिसलेरी से अलग होना एक मुश्किल फैसला है. चूंकि उनका कंपनी चलाने का कोई इरादा नहीं है, इसलिए चौहान ने कहा कि वो अल्पमत हिस्सेदारी नहीं रखेंगे, बल्कि पर्यावरण और धर्मार्थ कार्यों में निवेश करेंगे.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement