
अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग के आरोपों का उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनियों पर काफी निगेटिव असर पड़ा है. हिंडनबर्ग के कथित खुलासे से अडानी ग्रुप के सभी शेयरों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई. इस बीच विपक्ष ने भी अडानी और केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. संसद में अडानी मामले को हंगामा जारी है. खासकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर अडानी को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है.
इस बीच जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाए जाने के बाद 2019 में सेवा से इस्तीफा देने वाले IAS अफसर शाह फैसल (Shah Faesal) एक बार फिर चर्चा में हैं. उन्होंने खुलकर गौतम अडानी का समर्थन किया है. सोशल मीडिया (Twitter) पर शाह फैसल द्वारा अडानी के समर्थन में लिखी बातों पर तरह-तरह के कमेंट्स किए जा रहे हैं.
अडानी का सम्मान करता हूं: फैसल
दरअसल, आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने लिखा है, मैं गौतम अडानी का सम्मान करता हूं, क्योंकि उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों से जिस तरह से निपटा है, वो बेहद शानदार है, मैं उन्हें एक महान इंसान के रूप में जानता हूं, जो समाज में विविधता का दिल से सम्मान करते हैं. मैं अडानी भारत के शीर्ष पर देखना चाहता हूं. मैं आशा करता हूं कि गौतम अडानी और उनका परिवार जिस अग्निपरीक्षा का सामना कर रहा है, उससे वे बेहतरीन तरीके से बाहर निकलेंगे.'
IAS परीक्षा में किया था टॉप
शाह फैसल पहली बार साल 2010 में सुर्खियों में आए थे. जब उन्होंने IAS की परीक्षा में टॉप किया था. शाह फैसल मूल रूप से कश्मीर के रहने वाले हैं. उन्होंने साल 2019 में अपनी सेवा से इस्तीफा दे दिया था और खुद की राजनीतिक पार्टी बना ली थी. जनवरी 2019 में देश में 'बढ़ती असहिष्णुता' का हवाला देते हुए नौकरशाही से इस्तीफा दिया था. कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद भी शाह फैसल काफी चर्चा में आए थे.
हालांकि चंद महीने में भी शाह फैसल का राजनीति से मोहभंग हो गया. अब आईएएस अधिकारी शाह फैसल की प्रशासनिक सेवा में वापसी हो चुकी है. फिलहाल वो केंद्रीय पर्यटन विभाग में उप-सचिव के पद पर तैनात हैं. हालांकि शाह फैसल का इस्तीफा कभी स्वीकार नहीं किया गया था. आईएएस अधिकारी को 2020 में सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत घर में नजरबंद भी कर दिया गया था.
मुखर हैं शाह फैसल
पिछले साल जब ट्विटर पर 'मुस्लिम पीएम' ट्रेंड कर रहा था, तब शाह फैसल ने लगातार कई ट्वीट किए थे. उन्होंने एक ट्वीट में लिखा था, 'यह सिर्फ इंडिया में ही संभव है कि कश्मीर का एक मुस्लिम युवा इंडियन सिविल सर्विस एग्जाम में टॉप कर सकता है. सरकार के टॉप विभागों तक पहुंच सकता है. सरकार के खिलाफ जा सकता है, और फिर वही सरकार उसे बचाती है और अपनाती है.' शाह फैसल ने यहां अपने बारे में जिक्र किया था.