
स्वीडन की दिग्गज कंपनी आईकिया (IKEA) को अपने बेंगलुरु स्थित शोरूम में एक ग्राहक से पंगा लेना भारी पड़ा है. मामला सिर्फ एक कैरी बैग से जुड़ा हुआ है. दरअसल, IKEA स्टोर से सामान खरीदने के बाद सामान रखने के लिए कैरी बैग मांगा, तो कर्मचारियों ने इसके लिए 20 रुपये चार्ज किए, तो ग्राहक को ये रास नहीं आया और उसने उपभोक्ता फोरम में इसकी शिकायत दर्ज करा दी. इसके बाद अब उसे 20 रुपये के कैरी बैग के बदले 3,000 रुपये उस ग्राहक को देने का फरमान सुनाया गया है. आइए जानते हैं क्या है ये दिलचस्प मामला...
बीते साल अक्टूबर का है मामला
मामला बेंगलुरु का है, जहां बीते साल 6 अक्टूबर 2022 को एक स्थानीय महिला संगीता बोहरा स्वीडिश कंपनी IKEA के स्टोर पर शॉपिंग करने के लिए पहुंची थी. महिला ने वहां अपनी मनचाही चीजों को खरीदा और इसके लिए 2,428 रुपये का बिल पेमेंट किया. जब उसने कैरी बैग की मांग की सामान के बिल में बिलिंग कर्मचारियों ने सामान के साथ ही कंपनी की ब्रांडिंग वाला कैरी बैग देने के 20 रुपये वसूल किए. इसके बाद महिला ने कर्मचारियों से इस संबंध में बात की.
कर्मचारियों ने काट लिए थे 20 रुपये
संगीता बोहरा ने जब बिलिंग काउंटर पर मौजूद कर्मचारियों से कहा कि स्टोर पर ग्राहकों से कंपनी की ब्रांडिंग वाले बैग के लिए पैसा नहीं लिया जा सकता है, तो उनकी एक भी बात नहीं सुनी गई. कथित तौर पर कर्मचारियों ने महिला से कैरी बैग के लिए पैसे देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया. काफी देर तक आपस में बहस के बाद आखिरकार महिला ने पेमेंट कर दिया. संगीता ने कैरी बैग के लिए 20 रुपये का भुगतान किया और स्टोर से बाहर निकल आई.
महिला ने दिया था नियमों का हवाला
महिला ग्राहक ने बिलिंग काउंटर पर उपस्थित कर्मचारियों को नियमों का हवाला भी दिया और बताया कि रिटेल स्टोर पर कैरी बैग को लेकर जो नियम बनाए गए हैं, उनके तहत किसी भी कंपनी के लोगो वाले कैरी बैग मुफ्त है और इसके लिए ग्राहकों से चार्ज नहीं लिया जा सकता. बिजनेस टुडे पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, परेशान महिला ने इसकी शिकायत उपभोक्ता फोरम में करने का मन बनाया और बेंगलुरु के उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग से इस संबंध में शिकायत की.
20 रुपये के बदले देने होंगे 3,000 रुपये
इससे पहले महिला ने IKEA को एक लीगल नोटिस भेजकर कैरी बैग के लिए चार्ज करने का कारण पूछा और अपने पैसे रिफंड मांगे, लेकिन उसके नोटिस पर भी कंपनी की ओर से रिफंड देने से साफ इनकार कर दिया गया. फिर संगीता बोहरा ने कंपनी से आर-पार की लड़ाई लड़ने का फैसला कर लिया और महिला की शिकायत के बाद उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने मामले की जांच शुरू कर दी. बीते 4 अक्टूबर को या करीब सालभर बाद उपभोक्ता फोरम ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया और IKEA के कर्मचारियों के इस बर्ताब को गलत करार दिया.
अपना फैसला सुनाते हुए फोरम ने आईकिया को महिला को मुआवजा देने का फैसला सुनाया. उभोक्ता फोरम की ओर से कहा गया है कि कंपनी को महिला से वसूले गए 20 रुपये वापस करने होंगे और इसका साथ ही मुआवजा राशि के रूप में 3,000 रुपये का भुगतान भी करना होगा. इसमें आदालती खर्च भी शामिल है. IKEA को 20 रुपये के कैरी बैग के लिए अब एक महीने के भीतर अब 3,000 रुपये का पेमेंट करना होगा.