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चीन को चेतावनी...भारत की बड़ाई, IMF ने कहा- मंदी के साए में भी Indian Economy रहेगी सबसे आगे

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के चीफ इकोनोमिस्ट पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है, हालांकि उसे अभी और मौद्रिक सख्ती बरतने की जरूरत है.

IMF ने वृद्धि दर का अनुमान घटाते हुए की भारत की सराहना IMF ने वृद्धि दर का अनुमान घटाते हुए की भारत की सराहना
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 12:10 PM IST

दुनिया पर बढ़ते मंदी (Recession) के खतरे के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वित्त वर्ष 2022/23 के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर (Economic Growth Rate) के अनुमान को घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है. भले ही वैश्विक हालातों को देखते हुए आईएमएफ ने अपने पूर्वानुमान में कटौती की हो, लेकिन उसने अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र भी किया है कि दुनिया के तमाम देशों में मंदी के खतरे के बीच भारत (India) सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और आने वाले समय में भी तेजी से आगे बढ़ेगा. 

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मंदी के दौर में भी भारत रहेगा मजबूत
आईएमएफ (IMF) के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि वर्तमान में देखें तो आज हर देश में आर्थिक विकास (Economic Growth) की गति धीमी है. लेकिन भारत तेजी से आगे की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि अन्य देशों की तुलना में भारत बेहतर स्थान पर है और आने वाले समय में भी जब वैश्विक अर्थव्यव्स्था (Global Economy) में गिरावट आएगी और मंदी की मार दुनिया के बड़े-बड़े देशों को अपनी जद में लेगी, उस समय भी भारत मजबूत स्थिति में नजर आएगा. आर्थिक वृद्धि दर के मामले में भारत चीन (China) से भी कहीं ज्यादा आगे रहेगा. 

चीन के मुकाबले भारत की स्थिति बेहतर 
आईएमएफ के मुताबिक, चीन की जीडीपी वृद्धि (China GDP Growth) साल 2021 में 8.1 फीसदी के मुकाबले गिरकर साल 2022 में 3.2 फीसदी तक जा पहुंची है. साल 2023 के लिए भी चीन की वृद्धि दर का अनुमान 4.4 फीसदी जाहिर किया गया है. इसकी तुलना में 2023 के लिए भारत की अनुमानित वृद्धि दर 6.1 फीसदी रहेगी. साफ है कि चीन भारत की तुलना में नीचे रहेगा. मंदी के खतरे के बीच ये अनुमान भारत के लिए राहत देने वाला है. 

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6.8% की दर से बढ़ेगी भारतीय इकोनॉमी
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मंगलवार को जारी भारत के आर्थिक वृद्धि दर (India Economic Growth Rate) के अनुमान में दूसरी बार कटौती की है. आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए इसे जुलाई में 8.2 फीसदी से घटाकर 7.4 फीसदी कर दिया था और अब एक बार फिर इसमें कटौती की है. IMF ने वर्तमान हालातों के मद्देनजर अपने पूर्वानुमान को संशोधित करते हुए इसे 7.4 फीसदी से कम करते हुए 6.8 फीसदी कर दिया है. 

ग्लोबल ग्रोथ रेट अनुमान भी घटाया
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक से पहले जारी रिपोर्ट में IMF ने कहा कि हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था की तारीफ भी की. गौरतलब है कि बीते वित्त वर्ष के दौरान भारत की वृद्धि दर 8.7 फीसदी रही थी. वार्षिक विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट में, IMF ने कहा कि भारत के लिए वृद्धि दर के अनुमान में जुलाई के पूर्वानुमान की तुलना में 0.6 फीसदी की कटौती की जा रही है. इसके साथ ही ग्लोबल ग्रोथ रेट का अनुमान भी 2021 में 6.0 फीसदी की तुलना में 2022 में 3.2 फीसदी और 2023 में 2.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है.

अच्छा प्रदर्शन कर रही इंडियन इकोनॉमी
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के चीफ इकोनोमिस्ट पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है. लेकिन उसे अभी और मौद्रिक सख्ती बरतने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इनमें रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते उपजे हालातों के साथ ही दुनिया के तमाम देशों में उच्च मुद्रास्फीति भी शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया कि दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों के उम्मीद से कम रहने और बाह्य मांग में भी कमी आने का संकेत मिल रहा है. 

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साल 2023 में मंदी का जोखिम
भारत के वृद्धि दर के अनुमान में कटौती करने के साथ ही दुनिया में बढ़ते मंदी के खतरे को लेकर भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने आगाह किया है. रिपोर्ट में कहा गया कि आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की ओर इशारा करते हैं. सबसे बुरा दौर अभी आना बाकी है और कई लोगों के लिए 2023 मंदी की तरह महसूस होगा. गौरतलब है कि इससे पहले हाल ही में World Bank ने भी भारत के वृद्धि दर के अनुमान में कटौती की है.  

World Bank ने जताया ये अनुमान
विश्व बैंक ने बीते गुरुवार को भारत के लिए अपने वृद्धि दर के पूर्वानुमान को संशोधित करते हुए वित्त वर्ष 2022/23 के लिए घटाकर 6.5 कर दिया था. इस कटौती का कारण बताते हुए दक्षिण एशिया पर विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया था कि रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक मौद्रिक सख्ती (Global Monetary Tightening) से इकोनॉमिक दृष्टिकोण पर असर पड़ेगा. विश्व बैंक के मुताबिक, अनिश्चितता के इस दौर में निजी निवेश में कमी आने की संभावना बनी हुई है. ग्लोबल डिमांड (Global Demand) में कमी से भारत के निर्यात (Export) पर भी असर पड़ेगा.
 

 

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