
देश में अब तक का सबसे बड़े बैंक फ्रॉड मामला DHFL Scam के रूप में सामने आया है. हाउसिंग फाइनेंस सेक्टर की इस कंपनी, इसके निदेशक और अन्य लोगों पर 17 बैंकों के साथ 34,615 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी करने का आरोप है, लेकिन अगर आप गौर से इस पूरे मामले को समझेंगे तो जान पाएंगे कि कैसे इतने बड़े घोटाले के मुख्य आरोपी DHFL के डायरेक्टर्स कपिल वधावन और धीरज वधावन जेल से बाहर रहने का लगभग हर पैंतरा जानते हैं.
CBI ने दर्ज किया मामला
पिछले हफ्ते सीबीआई ने DHFL के साथ-साथ बाकी आरोपियों पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. ये सीबीआई द्वारा दर्ज अब तक का सबसे बड़ा धोखाधड़ी मामला है. इससे पहले देश में ABG Shipyard का 23,000 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी मामला सामने आया था.
Yes Bank केस में पहले से चल रही जांच
DHFL के इस धोखाधड़ी केस के अलावा Yes Bank के कथित फ्रॉड मामले में वधावन बंधुओं समेत डीएचएफएल के अन्य प्रमोटर्स के खिलाफ पहले से सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच चल रही है. इस मामले में धीरज वधावन को अरेस्ट भी किया गया है, लेकिन अगर इंडिया टुडे की इस साल मार्च-अप्रैल की रिपोर्ट को देखें तो पता चलेगा कि कैसे वधावन ने गिरफ्तार होने के बाद दो साल तक अपना समय काटा है.
पता है जेल से बाहर रहने का हर पैंतरा
धीरज वधावन को 26 अप्रैल 2020 को यस बैंक मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया था. ये केस यस बैंक के सीईओ राणा कपूर के साथ मिलकर कथित 3700 करोड़ रुपये की हेरा-फेरी से जुड़ा है. अपनी गिरफ्तारी के बाद वधावन ने जेल से ज्यादा समय अस्पताल में रहकर बिताया.
जब वधावन पहुंचे मानवाधिकार आयोग
रिपोर्ट के मुताबिक वधावन की जमानत कई बार खारिज की गई, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने सिर्फ 9 महीने ही जेल में बिताए. बाकी उनका करीब 15 महीने का वक्त अस्पताल में रहकर निकला. इतना ही नहीं इसमें से 10 महीने तो मुंबई के पॉश अस्पताल कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल में व्यतीत हुए. वधावन स्वास्थ्य के आधार पर बार-बार कोर्ट से जेल से बाहर रहने की अपील करते रहे, जब आखिर में उनकी अपील काम नहीं आई, तो उन्होंने खुद को अस्पताल भेजने के लिए महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया.
कोविड के नाम पर ली छूट
साल 2020 में अपनी गिरफ्तारी से पहले भी वधावन बंधुओं और उनके परिवार ने सुर्खियां बटोरी थीं. तब कोविड चरम पर था और महाराष्ट्र में लॉकडाउन था. इसके बावजूद वधावन परिवार एक सीनियर आईपीएस ऑफिसर की मदद से खंडाला से निकलकर अपने महाबलेश्वर के फार्म हाउस पहुंच गए थे.
PMC Bank से भी है वधावन का रिश्ता
DHFL के कपिल वधावन और धीरज वधावन का 4500 करोड़ रुपये के कथित PMC Bank Fraud Case में संलिप्त कंपनी HDIL से भी अलग तरह का संबंध है. ईटी के मुताबिक HDIL के राकेश वधावन, दिवंगत राजेश वधावन के छोटे भाई हैं. राजेश वधावन, कपिल और धीरज के पिता है. इस तरह देखा जाए तो वधावन बंधु और राकेश वधावन आपस में चाचा-भतीजा हुए. मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के मुताबिक HDIL के प्रमोटर्स सारंग वधावन उर्फ सनी दीवान हैं जो राकेश वधावन के बेटे है.
स्टिंग ऑपरेशन से खुलने शुरू हुए राज
DHFL की दिक्कतें तब शुरू हुई जब एक मीडिया पोर्टल ने जनवरी 2019 में एक स्टिंग ऑपरेशन किया. इसके बाद कंपनी के पैसों की हेरा-फेरी करने से जुड़े राज खुलने शुरू हुए. इसके बाद जून 2019 में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने कंपनी की रेटिंग गिराना शुरू कर दिया.
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