
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया था और इसके लिए 2 अप्रैल 2025 की तारीख तय की थी, जो बेहद नजदीक है. इस बीच कॉमर्स मिनिस्ट्री की ओर से मंगलवार को लोकसभा में बताया गया कि अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता में नए व्यापारिक संबंध बनाने पर जोर दिया जा रहा है. राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने एक सवाल के जवाब में जानकारी देते हुए बताया कि FY25-26 के बजट के बाद भारत ने अपने औसत इंडस्ट्रियल टैरिफ को घटाकर 10.66% कर दिया है.
राज्य मंत्री टैरिफ घटाने की जानकारी
वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि, 'WTO 2023 के मुताबिक, भारत का साधारण औसत शुल्क रेट 17% है, जबकि 2023 में औद्योगिक वस्तुओं पर टैरिफ 13.5% था, लेकिन केंद्रीय बजट 2025-26 के बाद साधारण औसत औद्योगिक शुल्क को घटाकर 10.66 कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि दोनों देश बाजार पहुंच बढ़ाने, टैरिफ और गैर-टैरिफ दिक्कतों को सुलझाने के साथ ही द्विपक्षीय व्यापार मुद्दों को हल करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे.
पहले से जताया जा रहा था अनुमान
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने यह जानकारी ऐसे समय में शेयर की है, जबकि कई रिपोर्ट्स में ये अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत हाल के वर्षों में सबसे बड़ी टैरिफ कटौती (Tariff Cut) पर विचार कर रहा है. रॉयटर्स की रिपोर्ट में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि US President डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से निपटने के लिए उद्देश्य से भारत 23 अरब डॉलर के आधे से ज्यादा अमेरिकी आयात पर टैरिफ घटाने का विचार कर रहा है और ये कवायद 66 अरब डॉलर के निर्यात को बचाने की कवायद का हिस्सा माना जा रहा है.
ट्रेड टैरिफ के प्रभाव को कम करना उद्देश्य
रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार का लक्ष्य ट्रेड टैरिफ के प्रभाव को कम करना है, जिससे अमेरिका को भारत के करीब 87% निर्यात को खतरा है, जो अनुमानिक 66 अरब डॉलर का है. इसमें कहा गया है कि अमेरिका के साथ बातचीत में भारत ने कथित तौर पर अपने द्वारा आयातित 55% अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ कम करने की इच्छा जाहिर की है, जिन पर वर्तमान में 5% से 30% तक टैरिफ लागू है. हालांकि, यह प्रस्ताव इस बात पर निर्भर करता है कि भारत को भी अमेरिका से रेसिप्रोकल टैरिफ पर रियायत मिले.
गौरतलब है कि रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जब एक देश किसी दूसरे देश से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ (आयात शुल्क) लगाता है, तो दूसरा देश भी उसी अनुपात में उस देश के उत्पादों पर टैरिफ लगा देता है. इसे सरल भाषा में 'जैसे को तैसा' नीति कहा जा सकता है.