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India GDP: जीडीपी में शानदार उछाल, फिर भी एजेंसियों को क्यों नहीं भारतीय ग्रोथ पर भरोसा?

वैश्विक चुनौतियों के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने शानदार तेजी (India GDP Growth Rate) दिखाई और जून तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ रेट 13.5 फीसदी रही. हालांकि यह आंकड़ा सामने आने के बाद एक के बाद एक कर कई एजेंसियां आने वाले समय में जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को कम कर रही हैं.

एजेंसियां घटा रही हैं अनुमान एजेंसियां घटा रही हैं अनुमान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:45 PM IST

वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने इसी सप्ताह जून तिमाही के जीडीपी (Q1 GDP Data) के आंकड़े जारी किया. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक चुनौतियों के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने शानदार तेजी (India GDP Growth Rate) दिखाई और जून तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ रेट 13.5 फीसदी रही. यह पिछले एक साल के दौरान जीडीपी बढ़ने की सबसे तेज रफ्तार है. हालांकि यह आंकड़ा सामने आने के बाद एक के बाद एक कर कई एजेंसियां आने वाले समय में जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को कम कर रही हैं. Goldman Sachs, Citigroup, Moody's और SBI अभी तक जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को कम कर चुके हैं.

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Glodman Sachs ने गिनाए ये कारण

Goldman Sachs ने आंकड़े आने के बाद FY23 के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर 07 फीसदी कर दिया. एजेंसी में इंडिया इकोनॉमिस्ट शांतनु सेनगुप्ता कहते हैं कि जून तिमाही के आंकड़े उम्मीदों के अनुरूप नहीं हैं. उन्होंने कहा कि तिमाही-दर-तिमाही के आधार पर ग्रोथ रेट में 3.3 फीसदी की गिरावट आई है. मार्च तिमाही में ग्रोथ रेट दिसंबर 2021 तिमाही की तुलना में 0.5 फीसदी ज्यादा रही थी. वह कहते हैं, 'घरेलू डिमांड के मेन ड्राइवर्स हमारी उम्मीदों के अनुरूप हैं. हालांकि इसके बाद भी इन्वेंट्रीज के लेवल पर गिरावट और आंकड़ों में खामियों ने हमें हैरान किया.'

सिटीग्रुप और मूडीज ने इतना घटाया

सिटीग्रुप ने पहले 08 फीसदी की दर से ग्रोथ का अनुमान जाहिर किया था, जिसे घटाकर अब 6.7 फीसदी कर दिया गया है. इसी तरह मूडीज ने ग्रोथ रेट के अनुमान को 8.8 फीसदी से घटाकर 7.7 फीसदी कर दिया है. मूडीज का कहना है कि बढ़ते ब्याज दर, असामान्य मानसून और सुस्त पड़ती ग्लोबल ग्रोथ रेट ने तिमाही आधार पर भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ को प्रभावित किया है. मूडीज ने ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2022-23 में कहा है कि रिजर्व बैंक के लिए अभी भी महंगाई को ग्रोथ के साथ बैलेंस करना चुनौती है. इसके अलावा सेंट्रल बैंक के सामने रुपये की गिरावट के कारण इम्पोर्टेड इंफ्लेशन के असर को कम करने की भी चुनौती है.

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एसबीआई ने इतना कम किया फोरकास्ट

एक अन्य एजेंसी मॉर्गन स्टानली का कहना है कि अप्रैल-जून तिमाही में उम्मीद से कमतर ग्रोथ रेट के कारण पूरे फाइनेंशियल ईयर के लिए ग्रोथ रेट पर 0.40 फीसदी का नकारात्मक असर हुआ है. मॉर्गन स्टानली की इंडिया इकोनॉमिस्ट उपासना चाचरा कहती हैं, इन्वेस्टमेंट के मोर्चे पर उम्मीद से कमजोर ग्रोथ और नेट एक्सपोर्ट के दबाव ने भारत की जीडीपी को लेकर फोरकास्ट कम करने पर मजबूर किया है. इस कारण मॉर्गन स्टानली ने पुराने अनुमान को 0.40 फीसदी घटाकर अब कहा है कि इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी रह सकती है. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने भी अपना अनुमान कम किया है. पहले बैंक ने 7.5 फीसदी का अनुमान दिया था, जिसे अब घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया गया है.

 

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