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खाने के तेल का इंपोर्ट बढ़ा, आंकड़ों में हुआ सस्ता, फिर भी आम आदमी को महंगाई से राहत नहीं!

महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ रखी है. उसकी खाने की थाली से चीजें गायब हो रही हैं. भले बीते 11 महीने में देश में खाने के तेल का आयात कई गुना बढ़ गया हो, लेकिन आम आदमी की थाली की महंगाई जस की तस बनी हुई है.

आम आदमी की थाली महंगी की महंगी (Photo : Sharad Agarwal) आम आदमी की थाली महंगी की महंगी (Photo : Sharad Agarwal)
शरद अग्रवाल
  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 5:54 PM IST

आम आदमी की थाली से चीजें गायब हो रही हैं. देश में महंगाई दर बीते 9 महीने से भारतीय रिजर्व बैंक की लिमिट से बाहर है. यानी जनवरी 2022 से शुरू हुई महंगाई की मार सितंबर 2022 तक भी जारी है. इस बीच देश में पाम ऑयल का आयात भले कई गुना बढ़ा हो, लेकिन आम आदमी की रसोई के खर्च पर उसका कोई असर दिखता नहीं दिख रहा है.

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बढ़ा खाद्य तेल का आयात

देश में ऑयल का कारोबार ऑयल इयर के हिसाब से होता है. ये नवंबर से अक्टूबर की अवधि होती है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 के ऑयल इयर में 11 महीनों के दौरान देश में 130.1 लाख टन वनस्पति ऑयल का आयात हुआ है. ये 2020-21 के ऑयल इयर की इसी अवधि से 4% अधिक है.

इसमें रिफाइंड पाम ऑयल का आयात 17.12 लाख टन रहा है, जो इससे पिछले साल 6.28 लाख टन था. यानी पाम ऑयल के आयात में लगभग 2.5 गुना की बढ़ोत्तरी हुई, लेकिन आम आदमी की थाली पर इसका असर ना के बराबर ही है.

आयात से सस्ता हुआ तेल?

अब अगर सांख्यिकी मंत्रालय के बीते 11 महीनों के आंकड़ों को देखें तो खाद्य तेल की महंगाई दर कम तो हुई है. यानी आयात का फायदा हुआ है, लेकिन फूड प्राइस इंडेक्स आधारित महंगाई दर पर इसका कोई असर नहीं है.

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बीते साल दिंसबर 2021 में खाद्य तेल की महंगाई दर 24.32% थी, जो जनवरी 2022 में 18.70%, फरवरी में 16.44%, मार्च में 18.79%, अप्रैल में 17.28%, मई में 13.26%, जून में 9.36%, जुलाई में 7.52%, अगस्त में 4.62% और सितंबर में 0.37% पर आ गई.

इस तरह तेल की महंगाई दर आयात की वजह से घट रही है, लेकिन क्या बाजार में इस वजह से तेल की कीमत कम हुई हैं, तो जवाब आप खुद जानते हैं.

थाली रही महंगी की महंगी

अब भले तेल का आयात बढ़ा हो और उसकी मुद्रास्फीति कम भी हुई हो, लेकिन आम आदमी को इससे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है. उसकी थाली का सामान अब भी महंगा है. हालांकि इसमें बड़ी हिस्सेदारी अनिश्चित बारिश, रूस-यूक्रेन युद्ध से आपूर्ति की दिक्कत, महंगे होते ईंधन, अनाज और सब्जियों की बढ़ती कीमत की है.

अगर बीते एक साल के आंकड़े देखें तो अक्टूबर 2021 में देश की खाद्य मुद्रास्फीति दर (Consumer Food Price Index)महज 0.85% थी, जो सितंबर 2022 तक बढ़कर 8.60% हो गई है. ये देश में ओवरऑल खुदरा महंगाई से भी अधिक है. पिछले साल अक्टूबर में खुदरा महंगाई जहां 4.48% थी, जो सितंबर 2022 में बढ़कर 8.60% हो चुकी है. 

जबकि अक्टूबर 2021 में खाद्य तेल कैटेगरी की महंगाई दर 33.50% थी, जो सितंबर 2022 में आकर महज 0.37% ही रह गई है.

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अब देखना ये है कि तेल आंकड़ों में जो सस्ता होता दिख रहा है, उसका आम आदमी की थाली पर असर कब तक दिखेगा?

 

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