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बड़ा सुझाव: 10 साल का समय, देश के सभी सरकारी बैंकों के निजीकरण पर करना होगा काम!

D. Subbarao On Bank Pricatisation: डी सुब्बाराव ने कहा कि सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन से इंडियन इकोनॉमी पर असर के बारे में बोलते हुए कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, सामाजिक उद्देश्यों को चलाने के दायित्व से मुक्त होकर निजी बैंकों की तरह ज्यादा मुनाफा कमाने की कोशिश करेंगे.

बैंकों के निजीकरण पर सुब्बाराव का सुझाव बैंकों के निजीकरण पर सुब्बाराव का सुझाव
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:35 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव (D. Subbarao) ने बैंकों के निजीकरण (Bank Privatisation) को लेकर जारी बहस के बीच बड़ा सुझाव दिया है. उन्होंने कहा है कि इस काम को अंजाम देने के लिए सरकार को 10 साल का रोडमैप तैयार करना होगा. उन्होंने कहा कि देश में सार्वजानिक क्षेत्र के सभी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन के लिए बड़े दृष्टिकोण की जरूरत नहीं है, लेकिन इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में भी नहीं डाला जाना चाहिए.

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रूपरेखा तैयार करने से ये फायदा
पीटीआई के मुताबिक, बैंको के निजीकरण के मुद्दे पर डी सुब्बाराव (D. Subbarao) ने कहा कि 10 साल का यह रोडमैप सभी हितधारकों या स्टेकहोल्डर्स को बहुत जरूरी अनुमान मुहैया कराने में मदद करने वाला होगा. उन्होंने कहा कि बैंकों को कंपनी का रूप देने के बारे में भी विचार करना होगा, जिससे सभी बैंक, आरबीआई (RBI) विनियमन के दायरे में समान रूप से आएं. 

देश में सरकारी बैंकों की संख्या इतनी
फाइनेंशियल ईयर 2021-22 के केंद्रीय बजट (Central Budget) में सरकार ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की है और सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों में रणनीतिक विनिवेश की नीति को मंजूरी दी थी. यहां बता दें कि 2020 में सरकार ने बैंकों का विलय कर दिया था, जिसके बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटकर अब 12 हो गई है. 

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2020 में इन बैंको का हुआ था विलय
इस विलय प्रक्रिया के तहत 1 अप्रैल 2020 से ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का मर्जर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में किया गया, जिसके चलते पीएनबी SBI के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक बन गया. सिंडिकेट बैंक का विलय केनरा बैंक (Canera Bank) में हुआ, जिससे यह देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक बन गया. वहीं इलाहाबाद बैंक (Allahabad Bank) का विलय इंडियन बैंक (Indian Bank) में और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) के साथ आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का विलय हुआ था.

निजीकरण के असर पर बोले सुब्बाराव
सुब्बाराव ने आगे कहा कि सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन से इंडियन इकोनॉमी पर असर के बारे में बोलते हुए कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, सामाजिक उद्देश्यों को चलाने के दायित्व से मुक्त होकर निजी बैंकों की तरह ज्यादा मुनाफा कमाने की कोशिश करेंगे, जिससे बैंकिंग प्रणाली की समग्र दक्षता में सुधार दिखेगा. हालांकि, इससे इससे फाइनेंशियल इनक्लूजन और प्रायोरिटी सेक्टर लोन जैसे सामाजिक उद्देश्य प्रभावित होने की संभावना है. 

 

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