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FinTech सेक्टर में भारत ने किया गजब का ट्रांसफॉर्मेशन, इतिहासकार नियाल फर्ग्यूसन बोले- किसी ने कल्पना नहीं की थी

Davos में मशहूर इतिहासकार और लेखक Niall Ferguson ने कहा कि वह भारत को लेकर आशावादी हैं. उन्होंने कहा कि इस सदी का भविष्य भारत ही है. फर्ग्यूसन कहा कि वे भारत की Fintech कामयाबी को देखकर चकित हैं और 20 साल पहले किसी ने इसकी कल्पना भी नहीं की थी.

भारतीय इकोनॉमी की तेज रफ्तार पर इतिहासकार नियाल फर्ग्यूसन ने जताया भरोसा भारतीय इकोनॉमी की तेज रफ्तार पर इतिहासकार नियाल फर्ग्यूसन ने जताया भरोसा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:36 PM IST

स्विट्जरलैंड के दावोस (Davos) में शुरू हुई वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की बैठक के 54वें संस्करण में दुनिया भर के दिग्गज जुटे हैं. इस दौरान वहां पहुंचे मशहूर इतिहासकार नियाल फर्ग्यूसन (Niall Ferguson) ने भारतीय इकोनॉमी (Indian Economy) की तेज रफ्तार, Fintech कंपनियों के विकास और इसके पैन इंडिया ऑपरेशन पर सुखद आश्चर्य जताया. उन्होंने कहा कि 20 साल पहले किसी ने इसकी कल्पना भी नहीं की थी. 

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दावोस में 15 से 19 जनवरी तक चलने वाली World Economic Forum की बैठक में शामिल होने पहुंचे Niall Ferguson ने इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस-चेयरपर्सन और एक्जीक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ कली पुरी (Kalli Purie) और इंडिया टुडे के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल (Rahul Kanwal) से बात करते हुए कहा कि भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ को लेकर पुरानी धारणा तोड़ी है और इसका पूरा श्रेय भी भारत को ही जाता है, देश ने इसे आश्चर्यजनक रूप से बदल दिया है.

इसके साथ ही उन्होंने भारत में फिनटेक सेक्टर के ग्रोथ को सराहा. उन्होंने कहा कि FinTech जो कि 20 साल पहले एक बहुत ही दूर की चीज लगती थी, तब जब आप चीजों को खरीदने के लिए कटे-फटे नोटों से भुगतान करते थे. लेकिन आज भारत राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली के साथ फिनटेक में आगे बढ़ रहा है. पश्चिमी दुनिया के कई देश इस मामले में भारत से ईर्ष्या करते हैं. ये एक ऐसा परिवर्तन है, जिसकी 20 साल पहले किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.

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'इस सदी का भविष्य भारत है'

मशहूर इतिहासकार और लेखक नियाल फर्ग्यूसन ने कहा कि वह भारत को लेकर आशावादी हैं और यह विकास दर के मामले में चीन को पछाड़ने वाला है. इस अवधि में चीन को कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के मामले में आगे बढ़ने में थोड़ा समय लगेगा, लेकिन इस सदी का भविष्य भारत है. उन्होंने चीन के पिछड़ने के कारणों का भी जिक्र किया और कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए, भारत अभी भी एक स्वतंत्र समाज है, जहां स्वतंत्र प्रेस और स्वतंत्र चुनाव हैं. लेकिन इसके विपरित चीन में ऐसा कुछ नहीं है. यह पुराने केंद्रीकृत कम्युनिस्ट पार्टी मॉडल के साथ सिंगल-पार्टी स्टेट है. 

चीन को लेकर की ये भविष्यवाणी

इतिहासकार नियाल फर्ग्यूसन ने  'मैं यहां और अभी इस शो में भविष्यवाणी करता हूं कि चीन का ग्रोथ रेट नीचे (China Growth Rate Fall) जा रहा है और आने वाले दशक में यह और कम हो जाएगा. उन्होंने कहा एक ओर जहां चीन की विकास दर कम होगी, तो वहीं दूसरी ओर भारत तेज रफ्तार के साथ इससे आगे निकल जाएगा.

पूरा इंटरव्यू देखने के लिए यहां क्लिक करें: https://www.indiatoday.in/india/video/india-will-overtake-china-in-terms-of-growth-rate-historian-niall-ferguson-to-india-today-2489579-2024-01-16

कछुए और खरगोश की कहानी का जिक्र

नियाल फर्ग्यूसन ने कहा कि 10, 12, 15 साल पहले भी मैं भारत के बारे में एक आशावादी था और अब भी एक आशावादी हूं. उन्होंने बताया कि, 'मुझे याद है, 2008 के कुछ समय बाद, मैंने भविष्यवाणी की थी कि आने वाले समय में ग्रोथ रेट की कहानी कुछ हद तक कछुए और खरगोश की कहानी की तरह होगी. चीन तब खरगोश था और भारत कछुए की तरह दिखता था. मैंने बोला था कि जनसांख्यिकी को देखते हुए, यह बदल जाएगा और इस दौड़ को जीतने वाला कछुआ भारत होगा. उन्होंने कहा कि अब हम 2024 में हैं और तस्वीर साफ है और भारत की जगह एक नया, असाधारण रूप से गतिशील भारत ले सामने है. 

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AI डेवलपमेंट में अमेरिका से पीछे चीन

इतिहासकार नियाल फर्ग्यूसन ने इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एक्जीक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ कली पुरी के एक सवाल के जवाब में कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डेवलपमेंट के मामले में चीन अमेरिका से पीछे है. पिछले कुछ वर्षों में एआई के साथ बड़े पैमाने पर सफलताएं हासिल की गई हैं और यह सब अमेरिकी कंपनियों द्वारा किया गया है. चीनी इस मामले में बहुत पीछे हैं. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि AI की दौड़ में, चीन वास्तव में संकट में है. 

चीन और भारत की ग्रोथ रेट के अलाना इस एक्सक्लूसिव इंटव्यू के दौरान इतिहासकार नियाल फर्ग्यूसन ने और भी कई मुद्दों पर बात की, जिनमें भारत-अमेरिका संबंध भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में भारत, अमेरिका के काफी करीब आया है, लेकिन दोनों देशों के संबंध परिदृश्य पर ज्यादा निर्भर हैं.

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