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जब देश में हुआ था पहला चुनाव, गिनती की थीं ये बड़ी कंपनियां... कुछ का अब भी जलवा, कुछ पर लटका ताला!

भारत का पहला आम चुनाव साल 1951-52 में हुआ था और 489 सीटें लोकसभा सीटों पर वोटिंग 25 अक्टूबर 1951 को शुरू होकर 21 फरवरी 1952 तक चली थी. टाटा ग्रुप से लेकर गोदरेज ग्रुप तक उस समय एक बड़ा नाम बन चुके थे.

पहले लोकसभा चुनाव के समय कई दिग्गज कंपनियों का था जलवा पहले लोकसभा चुनाव के समय कई दिग्गज कंपनियों का था जलवा
दीपक चतुर्वेदी
  • नई दिल्ली,
  • 29 मई 2024,
  • अपडेटेड 3:52 PM IST

देश में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) जारी हैं और छह चरण का मतदान पूरा हो चुका है. अब सिर्फ एक चरण की वोटिंग बची है और 4 जून 2024 को चुनावी नतीजे सबसे सामने होंगे. क्या आप जानते हैं कि देश में पहला लोकसभा चुनाव कब लड़ा गया था और उस समय देश को आगे बढ़ाने में कौन-कौन सी दिग्गज कंपनियां अपना योगदान दे रही थी. करीब सात दशक पहले की जिन कंपनियों का जलवा कायम था, उनमें टाटा ब्रिटानिया से लेकर गोदरेज इंडस्ट्रीज तक के नाम शामिल हैं, जिनका डंका आज भी बिजनेस सेक्टर में बज रहा है. हालांकि, कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो उस समय शिखर पर थीं, लेकिन आज उनका अस्तित्व ही खत्म हो चुका है.

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कब हुआ था भारत का पहला आम चुनाव?
अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होने के दो वर्षों के भीतर भारत में चुनाव आयोग की स्थापना हो गई थी और मार्च 1950 में सुकुमार सेन को पहला मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था. भारत का पहला आम चुनाव साल 1951-52 में हुआ था और हिमाचल प्रदेश के किन्नौर निवासी श्याम सरन नेगी पहले मतदाता थे. उस समय लोगों को वोट के बारे में जानकारी नहीं थी, इसके लिए वोटिंग के वीडियो बनाकर लोगों को दिखाए गए थे और वोट डालने के लिए जागरूक किया गया था. पहले चुनाव में करीब 17 करोड़ लोगों ने भाग लिया था जिसमें 85 फीसदी ऐसे थे, जो पढ़े लिखे नहीं थे. उस समय 489 सीटें लोकसभा की थीं, जिनपर वोटिंग 25 अक्टूबर 1951 को शुरू हुई थी और 21 फरवरी 1952 तक चली थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले आम चुनाव में करीब 10 लाख रुपये का खर्च आया था. 

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आजादी से पहले शुरू हुई थीं 70 कंपनियां
भारत आज दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बना हुआ है. इस मुकाम पर पहुंचने में एक बड़ा रोल कारोबारी जगत के दिग्गजों का भी रहा है, जो आजादी से पहले से ही भारत को रफ्तार दे रहे हैं. सात दशक से ज्यादा की अवधि में देश की अर्थव्यस्था ने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है. इंडियन कॉरपोरेट हिस्ट्री पर गौर करें तो देश में आजादी से पहले की करीब 70 कंपनियों ने कारोबार शुरू किया था. इनमें से कई कंपनियों की नींव ब्रिटिश शासन के दौरान ही पड़ गई थी और आज भी बिजनेस सेक्टर की शान बनी हुई हैं. इनका विशाल कारोबारी साम्राज्य न केवल भारत, बल्कि दुनिया के सैकड़ों देशों में फैला हुआ है.

Tata Group 
टाटा ग्रुप देश के सबसे पुराने कारोबारी घरानों में शामिल है. देश को नमक से लेकर लग्जरी कार और हवाई जहाज तक का सफर कराने वाला ये कॉरपोरेट ग्रुप 1868 में शुरू हुआ था और देश में हुए पहले लोकसभा चुनाव तक तो इसका कारोबार काफी बढ़ गया था. आज भी इसका जलवा कायम है और आईटी सेक्टर (IT Sector) की सबसे बड़ी कंपनी टीसीएस (TCS), मेटल सेक्टर में टाटा स्टील (Tata Steel), टाटा मोटर्स (Tata Motors) के साथ इंडियन होटल कंपनी (Indian Hotel Company) और एविएशन सेक्टर की दिग्गज एअर इंडिया (Air India) इस समूह की शान है. जमशेदजी टाटा द्वारा 1903 में इंडियन होटल्स कंपनी की स्थापना की गई थी. मुंबई में ताजमहल पैलेस (Taj Hotel Mumbai) आज देश की पहचान है.

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Britannia
अगला नाम आता है फूड सेक्टर (Food Sector) की कंपनी ब्रिटानिया (Britannia) का, जो भी आजादी से पहले 1892 में शुरू हुई थी और आज भी ये कंपनी बिस्किट से लेकर अन्य खाद्य उत्पादों के कारोबार में आगे बनी हुई है. वाडिया ग्रुप (Wadia Group) द्वारा स्थापित इस कंपनी की शुरुआत कोलकाता से हुई थी और द्वितीय विश्व युद्ध के समय इसका कारोबार तेजी से बढ़ा. ये भी पहले लोकसभा चुनाव तक एक बड़ा नाम बन चुका था और आज भी कायम है. आज दुनियाभर में इसका कारोबार फैला हुआ है.

Godrej 
देश में जब पहले लोकसभा चुनाव हुए थे तब तक एक और भारतीय कंपनी बड़ा रूप ले चुकी थी, जी हां हम बात कर रहे हैं गोदरेज (Godrej) की, जो आज भी मेटल, इलेक्ट्रॉनिक्स समेत रिएलिटी सेक्टर तक में जाना-पहचाना नाम है. यह बिजनेस ग्रुप उन बड़े नामों में शामिल है, जो आजादी से पहले से ही देश आर्थिक सेहत को दुरुस्त करने में भूमिका निभा रहा है.

साल 1897 में आर्देशर गोदरेज और उनके भाई पिरोजशा गोदरेज ने इस कंपनी की स्थापना की थी. कंपनी की तिजोरियों पर अंग्रेजों को भी पूरा भरोसा था. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 1911 में किंग जॉर्ज पंचम और रानी मेरी ने अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान अपने कीमती सामानों को रखने के लिए गोदरेज की तिजोरियों को ही चुना था.

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Havemore Icecream
आजादी से पहले हैवमोर (Havemore) की शुरुआत सतीश चंद्र चोना ने वर्ष 1944 में की थी. फिर आजादी मिली और विभाजन हो गया. इसके बाद सतीश चंद्र ने अपना आइसक्रीम कारोबार पहले लोकसभा चुनाव के साल यानी 1951 में ही अहमदाबाद से शुरू किया. घर में आइसक्रीम बिजनेस शुरू किया गया और देखते ही देखते ये कारोबार बढ़ता चला गया. हालांकि, आजादी के पहले की ये कंपनी Havemore Icecream अब दक्षिण कोरियाई कंपनी लॉटे कन्फेक्शनरी द्वारा संचालित है, लेकिन इसका कारोबार बहुत बड़ा हो चुका है. 

इन बड़ी कंपनियों का अस्तित्व खत्म

Atlas: देश में हुए पहले लोकसभा चुनाव के साल यानी 1951 में जानकी दास कपूर ने Atlas कंपनी की स्थापना की थी और पहले ही साल कंपनी ने 12 हजार साइकिल बनाने का रिकॉर्ड बनाया था. 1965 तक आते-आते यह देश की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी बन गई थी, लेकिन आज इसका कारोबार बंद हो चुका है. 

HMT Watch: ऐसी कंपनियों में एक बड़ा नाम है एचएमटी घड़ी का भी है, एचएमटी (हिंदुस्तान मशीन टूल्स) की स्थापना किए जाने के बाद साल 1961 में hmt Watch का प्रोडक्शन भारत में शुरू हुआ. 90 के दशक में ये ब्रांड लोगों के लिए स्टेटस सिंबल बन गया था, लेकिन अब इसका सफर खत्म हो चुका है. गौरतलब है कि इस कंपनी ने जापान की सिटिजन वॉच कंपनी (Citizen Watch Company) के साथ मिलकर hmt का निर्माण शुरू किया था. कंपनी ने पहली घड़ी चाचा प्रधानमंत्री नेहरू के लिए बनाई थी.

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