
दुनियाभर में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारत में बनी कोरोना वैक्सीन महत्वपूर्ण स्थान रखती है. इसकी बड़ी वजह इसका दुनियाभर में सबसे सस्ता और भरोसेमंद होना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दुनिया के सबसे बड़े कोरोना वायरस वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत की. इस टीकाकरण अभियान के पहले चरण में तीन करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जानी है. इसमें स्वास्थ्य कर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर्स शामिल हैं.
क्या है भारतीय वैक्सीन की कीमत ?
भारत सरकार ने कोरोना वायरस के दो टीकों के इमरजेंसी उपयोग को मंजूरी दी है. इनमें से एक का उत्पादन पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने किया है. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनका द्वारा विकसित इस ‘कोविशील्ड’ वैक्सीन की 110 खुराकों के लिए भारत सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट को ऑर्डर दिया है. भारत सरकार को इसकी प्रति खुराक की कीमत 200 रुपये पड़ी है.
वहीं भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ने संयुक्त तौर पर ‘कोवैक्सीन’ विकसित किया है. इसकी एक खुराक की कीमत 295 रुपये है, लेकिन कंपनी भारत सरकार को 16.5 लाख खुराक मुफ्त उपलब्ध करा रही है. इस तरह इसकी प्रति खुराक की कीमत 206 रुपये बैठती है.
दुनिया की सबसे सस्ती वैक्सीन
दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत करते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय वैक्सीन को दुनिया की सबसे सस्ती वैक्सीन बताया. उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिमी देशों में उपयोग किए जा रहे कुछ कोरोना वैक्सीन का खर्च 5000 रुपये प्रति व्यक्ति तक आता है.
वहीं उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान में ले जाना होता है. ऐसे में इन वैक्सीन की लागत बहुत अधिक आती है. ‘भारतीय वैक्सीन दुनिया में सबसे सस्ती हैं. इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाना ले जाना भी आसान है.’ मोदी का इशारा फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना की वैक्सीन की तरफ था.
भारतीय वैक्सीन को लेकर फैल रही अफवाहों के बीच मोदी ने कहा कि दुनिया में 60 प्रतिशत बच्चों को लगने वाली वैक्सीन का निर्माण भारत में ही होता है. हमारी वैक्सीन कंपनियों की विश्वसनीयता दुनियाभर में है. भारत के दवा नियामक ‘ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ ने दोनों कंपनियों के डाटा से संतुष्ट होने के बाद ही इनके इस्तेमाल की मंजूरी दी है.
‘आत्मनिर्भर भारत’ की धाक जमाने वाला
मोदी ने कहा कि दोनों वैक्सीन का निर्माण भारत में ही हुआ है, यह देश के ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनने की दिशा में बढ़ने का एक और उदाहरण है. उल्लेखनीय है कि पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी टीका उत्पादक कंपनियों में से एक है. देश से पोलियो को खत्म करने के अभियान में कंपनी के टीके की अहम भूमिका रही है.
अन्य देशों में महंगे वैक्सीन
कोविशील्ड और कोवैक्सीन के अलावा दुनियाभर में कुछ और कंपनियों ने कोरोना वायरस वैक्सीन को विकसित किया है. लेकिन इनकी कीमत भारतीय वैक्सीन की तुलना में कहीं अधिक है. फाइजर-बायोएनटेक के वैक्सीन की कीमत प्रति खुराक 19 डॉलर से अधिक है जो भारतीय रुपये में करीब 1431 रुपये बैठती है. वहीं मॉडर्ना की वैक्सीन की प्रति खुराक कीमत 32 से 37 डॉलर है. इस तरह भारतीय रुपये में यह 2,350 से 2,715 रुपये के बीच है. कोरोना वैक्सीनेशन के तहत हर व्यक्ति को दो खुराक लेना अनिवार्य है.