
भारत सरकार अगले कुछ हफ्तों में जम्मू-कश्मीर में लिथियम (Lithium) रिजर्व की नीलामी शुरू कर सकती है. खास बात है कि इसकी नीलामी के लिए कुछ विदेशी माइनर्स से बात भी चल रही है. खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 को हाल ही में संसद से मंजूरी मिली है, जिसके बाद नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने की कोशिशें तेज हो गई हैं. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और मोबाइल समेत ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बैटरी बनाने के लिए लिथियम सबसे महत्वपूर्ण रॉ-मटेरियल है.
जम्मू कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम का भंडार
जम्मू कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम की खोज के बाद भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़ा लिथियम भंडार वाला देश बन गया है. भारत में भंडार मिलने से पहले यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार दुनिया भर में 9.8 करोड़ टन लिथियम का भंडार था. लेकिन अब भारत में मिले लिथियम के भंडार के बाद ये आंकड़ा बढ़कर 10.39 करोड़ टन हो गया है. लिथियम भंडार के मामले में बोलिविया दुनिया में पहले नंबर पर है. इसके बाद दूसरे नंबर पर अर्जेंटीना तीसरे स्थान पर अमेरिका चौथी पोजीशन पर चिली 5वें नंबर पर ऑस्ट्रेलिया और छठे स्थान पर चीन है. इन देशों के पास दुनिया का 76% लिथियम भंडार है.
लिथियम के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा भारत
फिलहाल भारत में लिथियम का 100 फीसदी आयात किया जाता है. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में 2.8 अरब डॉलर यानी लगभग 23 हजार करोड़ रुपये की लिथियम आयन बैटरी देसरे देशों से खरीदी गई थी. इसमें भी 95 फीसदी लिथियम ऑयन बैटरी की खरीदारी अकेले चीन और हॉन्ग कॉन्ग से की गई थी.
सस्ते हो जाएंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स!
लिथियम एक महत्वपूर्ण खनिज है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए बैटरी बनाने में होता है. भारत में लिथियम भंडार मिलने से सबसे ज्यादा फायदा इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को होगा. इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत कम होगी. शुरुआती अनुमानों के मुताबिक ये भंडार भारत में लिथियम की जरुरत को पूरा करने में काफी सहायक सिद्ध हो सकता है.
अर्जेंटीना में लिथियम ब्लॉक्स के लिए सौदा
काबिल अर्जेंटीना में कुछ लिथियम ब्लॉकों को सुरक्षित करने के निर्णायक दौर में है. लिथियम ब्लॉक सुरक्षित करने के लिए चिली सरकार के साथ भी चर्चा की जा रही है. यह बातचीत अभी शुरुआती फेज में है. सरकार लिथियम की सप्लाई सुरक्षित करने के तरीके तलाश रही है.
अगस्त 2019 में हुई KABIL की स्थापना
खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड यानी KABIL की स्थापना अगस्त 2019 में हुई थी. ये केन्द्र सरकार के तीन संस्थानों का जॉइंट वेंचर है जिसमें नेशनल एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO), मिनरल एक्सप्लोरेशन कंपनी लिमिटेड (MECL) और हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) शामिल हैं. भारत में इस्तेमाल के लिए विदेशों में रणनीतिक खनिजों की पहचान, अधिग्रहण, विकास और प्रसंस्करण इसको बनाने के पीछे का कारण था. भारत, दुनिया के टॉप ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जकों में से एक है. ऐसे में इसे घटाने के लिए भारत ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और चिली जैसे संसाधनों से लैस देशों में प्रमुख खनिजों को सुरक्षित करने के लिए समझौते कर रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक चीन में एक टन लिथियम की कीमत करीब 50 लाख रुपये है. भारत के जम्मू में 59 लाख टन लिथियम मिलने की संभावना है. इस हिसाब यहां इसकी कीमत करीब 3000 अरब रुपये आंकी जा रही है. लिथियम दुनिया की सबसे नर्म और हल्की धातु में से एक है. आसान भाषा में समझें तो ये इतना नर्म होता है कि इसे आसानी चाकू से काटा जा सकता है और ये इतना हल्का होता है कि ये आसानी से पानी पर तैर भी सकता है.