
धर्मेन्द्र प्रधान ने ट्वीट कर कहा कि बद्रीनाथ धाम के पुनर्विकास (री-डिवेलपमेंट) के लिए सरकारी तेल कंपनियों ने 100 करोड़ रुपये खर्च करने की प्रतिबद्धता जताई है. सनातन धर्म के सबसे पवित्र तीर्थों में से एक बद्रीनाथ धाम के री-डिवेलपमेंट से जुड़ना हमारी सरकारी तेल कंपनियों के लिए गर्व का विषय है.
पीटीआई की खबर के मुताबिक ये पहली बार होगा जब पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत काम करने वाली सरकारी तेल कंपनियां किसी धार्मिक स्थल के पुनर्विकास पर खर्च करेंगी.
IOC, ONGC, GAIL आईं आगे
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि देश की प्रमुख सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल, ओएनजीसी, गेल, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केन्द्र बद्रीनाथ धाम के पुनर्विकास पर 100 करोड़ रुपये खर्च करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. बद्रीनाथ धाम के पुनर्विकास की योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस तीर्थ की आध्यात्मिक परंपरा को बनाए रखने के विजन के अनुरूप है.
सौंदर्यीकरण से जुड़े होंगे कई काम
धर्मेन्द्र प्रधान ने जानकारी दी कि पुनर्विकास योजना के तहत बद्रीनाथ मंदिर और उसके आसपास के इलाके में सौंदर्यीकरण के कई काम किए जाएंगे. इसमें जलापूर्ति, सीवेज मैंनेजमेंट समेत पर्यावरण अनुकूल सुविधाओं का विकास शामिल है.
होगा बद्रीनाथ धाम का आर्थिक विकास
प्रधान ने कहा कि बद्रीनाथ धाम केवल करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र नहीं है. बल्कि देश में धार्मिक तीर्थ स्थलों की अर्थव्यवस्था का भी प्रमुख स्थान है. इसमें स्थानीय स्तर पर आर्थिक विकास को गति देने की और क्षमता है. इसके री-डिवेलपमेंट से स्थानीय स्तर पर अधिक रोजगार पैदा करने और यहां के लोगों की आजीविका बेहतर करने के अवसर पैदा होंगे.
कंपनियों और बद्रीनाथ उत्थान ट्रस्ट के बीच समझौता
बद्रीनाथ के री-डेवलपमेंट को लेकर सरकारी तेल और गैस कंपनियों ने श्री बद्रीनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ एक MoU पर साइन किए हैं. इस एमओयू में बद्रीनाथ धाम का जीर्णोद्धार और उसे एक धार्मिक स्मार्ट पहाड़ी शहर के रूप में विकसित करने की बात कही गई है. इस MoU पर साइन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की मौजूदगी में किए गए.
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