
भारतीय कंपनियों के वर्क कल्चर (Indian Work Culture) को कई एनालिस्ट चीन (China) और जापान (Japan) की कैटेगरी में रखते हैं. चीन और जापान कम वीक ऑफ (Week Off) और लंबे वर्किंग ऑवर (Long Working Hour) के लिए पहले से बदनाम हैं. अब भारत को भी इनके साथ जोड़कर देखा जा रहा है. सरकारी आंकड़े ऐसे एनालिस्ट के आकलन को सही साबित करते हैं. भारत में ऐसी कंपनियों की संख्या बेहद मामूली है, जहां 100 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं.
महज 8 फीसदी कंपनियों में 100 से ज्यादा स्टाफ
केंद्रीय श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में मात्र 8 फीसदी कंपनियों में ही 100 से ज्यादा कर्मचारी हैं. बाकी की 92 फीसदी कंपनियां 100 से कम स्टाफ के साथ काम कर रही हैं. हैरानी की बात यह है कि करीब 77 फीसदी कंपनियों में तो 40 से भी कम स्टाफ हैं. यह हाल तब है, तब इनमें से ज्यादातर कंपनियां ट्रेड और फाइनेंशियल सर्विसेज (Financial Services) जैसे सेक्टर की हैं.
फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर का सबसे बुरा हाल
सेक्टरवाइज आंकड़ा देखें तो फाइनेंशियल सर्विसेज में काम कर रही 94 फीसदी कंपनियों के पास 40 से कम कर्मचारी हैं. एकोमोडेशन एंड रेस्टोरेंट सेक्टर (Accomodation & Restaurant Sector) में 89 फीसदी जबकि ट्रेड सेक्टर में करीब 80 फीसदी कंपनियां 40 से कम स्टाफ के साथ काम कर रही हैं. यह आंकड़ा 30 सितंबर 2021 तक का है, जो फिलहाल उपलब्ध सबसे ताजा डेटा है.
1.5 फीसदी भी नहीं हैं 500 से ज्यादा स्टाफ वाली कंपनी
500 से ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनियों की बात करें तो इनका हिस्सा मात्र 1.4 फीसदी है. ऐसी कंपनियों में आईटी और बीपीओ सेक्टर का सबसे अधिक योगदान है. आईटी और बीपीओ सेक्टर (IT & BPO Sector) की 12.3 फीसदी कंपनियों में 500 से ज्यादा कर्मचारी हैं. इसी तरह भारत की 4.1 फीसदी कंपनियों में 100 से 199 कर्मचारी हैं और 2.8 फीसदी कंपनियों में 200 से 499 कर्मचारी नौकरी कर रहे हैं.
ये वजहें जिम्मेदार
इस डेटा से एक यह बात भी निकलकर आती है कि सरकार से स्टार्टअप (Startup) और एमएसएमई (MSME) को मिल रहे सपोर्ट के बाद भी एक्सपेक्टेड रिजल्ट नहीं मिल पा रहा है. कई बार स्टार्टअप लिमिटेड फाइनेंस के चलते कम कर्मचारियों से ज्यादा काम कराने की कोशिश करती हैं, तो ऐसे भी काफी मामले हैं जहां कंपनियां ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए ऐसा करती हैं. कई मामलों में बिजनेसमैन जानबूझकर कंपनी को बड़ा नहीं करते हैं और दूसरी कंपनी शुरू कर देते हैं. इससे उन्हें टैक्स की बचत से लेकर कम कम्पलायंस का फायदा मिल जाता है.