
जापान से दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी (Japan Economy) का ताज छिन गया और जर्मनी इसे पीछे छोड़ते हुए अब Third Largest Economy बन गया है. गुरुवार को तमाम देशों की जीडीपी के आंकड़ों में ये सामने आया है. बीते दो तिमाहियों से जापान के सकल घरेलू उत्पाद (Japan GDP) में गिरावट का सिलसिला जारी है और इसका असर उसकी रैंकिंग पर पड़ा है. इसके साथ ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले येन की वैल्यू गिरने से भी स्थिति खराब हुई है.
मंदी की चपेट में आ गया जापान
जापान की जीडीपी में आ रही गिरावट के चलते ये देश अब मंदी (Japan Recession) की चपेट में आ गया है और इसका असर ये हुआ कि जापान ने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का अपना स्थान खो दिया है. Japan GDP अब 4.2 ट्रिलियन डॉलर पर आ गई है, जबकि इसे पछाड़ते हुए नंबर-3 पायदान पर पहुंचे जर्मनी की जीडीपी का साइज 4.5 ट्रिलियल डॉलर हो गया है. बीते अक्टूबर-दिसंबर की अवधि में जापान का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) सालाना आधार पर 0.4% तक गिर गया है. इससे पहले अक्टूबर महीने में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अनुमान जाहिर किया था कि अमेरिकी डॉलर में मापे जाने पर जर्मनी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरकर सामने आ सकता है, जापान पीछे रह सकता है.
देश की करेंसी Yen का टूटना जारी
रिपोर्ट के मुताबिक, जापान के कैबिनेट कार्यालय की ओर से जो आंकड़े जारी किए गए हैं, उनसे भी यही संकेत मिल रहा है कि देश ने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का अपना स्थान खो दिया है. जापानी करेंसी की बात करें तो डॉलर के मुकाबले येन लगातार कमजोर हो रहा है. साल 2022 में जहां ये 20 फीसदी तक टूटी थी, तो वहीं साल 2023 में इसमें तकरीबन 7 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली है. इन सब कारणों के चलते अब जापान से तीसरी बड़ी इकोनॉमी का तमगा भी छिन गया है.
ये हैं जीडीपी में गिरावट के बड़े कारण
कमजोर घरेलू मांग (Domestic Demand Fall) के कारण दूसरी तिमाही में गिरावट के बाद जापान की अर्थव्यवस्था अप्रत्याशित रूप से मंदी (Japan Recession) की चपेट में आ गई, जिससे केंद्रीय बैंक पर नजर रखने वाले विश्लेषकों को इस बात पर जोर देना पड़ा है कि देश की नकारात्मक ब्याज दर नीति कब समाप्त होगी. गौरतलब है कि नेगेटिव इटरेस्ट रेट्स को बनाए रखने के बैंक ऑफ जापान के फैसले ने भी जापानी करेंसी येन में गिरावट (Japani Currency Fall) में अहम रोल निभाया है.
क्या बोल रहे जापानी अर्थशास्त्री?
टोक्यो विश्वविद्यालय (Tokyo University) में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर तेत्सुजी ओकाजाकी ने कहा है कि जापान की जीडीपी के जो नए आंकड़े सामने हैं, वे कमजोर होते जापान की वास्तविकताओं को दर्शाने वाले हैं और इसके परिणामस्वरूप दुनिया में जापान की उपस्थिति कम होने की संभावना है. उन्होंने आगे उदाहरण देते हुए कहा है कि कई साल पहले, जापान एक शक्तिशाली ऑटो सेक्टर का दावा करता था, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों के आगमन के साथ वह प्रॉफिट से दूर हो गया है.
भारत का जापान से आगे निकलना तय!
एक ओर जहां दुनिया की टॉप इकोनॉमी की रैंकिंग में ये उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है, तो वहीं भारत के लिए आगे की राह आसान होती जा रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था वैसे भी दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई इकोनॉमी बनी हुई है. जापान की रैंकिंग में बदलाव के साथ ओकाजाकी ने भी कहा है कि विकसित देशों और उभरते देशों के बीच अंतर कम हो रहा है, कुछ वर्षों में भारत का नॉमिनल जीडीपी के मामले में जापान से आगे निकलना तय है.
वर्ल्ड ऑफ स्टेटिस्टिक्स पर जारी आंकड़ों पर गौर करें तो IMF के मुताबिक, साल 2028 में जहां चीन के 43.89 ट्रिलियन डॉलर के साथ नंबर-1 इकोनॉमी बनने का अनुमान जाहिर किया गया है. तो वहीं भारत 19.65 ट्रिलियन डॉलर के साथ तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा.