
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के सदस्य जयंत आर वर्मा ने रविवार को उम्मीद जताई कि अब से कुछ तिमाहियों के बाद पुरानी अर्थव्यवस्था में भी पूंजीगत निवेश बढ़ेगा और अगले वित्त वर्ष में भी ठीक-ठाक बढ़ोतरी बनी रहेगी.
मुद्रास्फीति चिंता का विषय
जाने-माने अर्थशास्त्री वर्मा ने PTI से कहा कि मुद्रास्फीति चिंता का विषय है. लेकिन अभी मुद्रास्फीति के स्तर से कहीं अधिक चिंता की बात इसकी निरंतरता है.
जयंत आर वर्मा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और इसकी बढ़ोतरी के अनुमानों को लेकर मैं काफी आशावादी हूं. ऐसी उम्मीद है कि अगले वर्ष 2022-23 में भी अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियां महामारी-पूर्व के स्तर से भी आगे निकल चुकी हैं और बाकी के वित्त वर्ष में और सुधार होगा.
इकोनॉमी में बढ़ोतरी की संभावना
उन्होंने कहा कि मुझे आशा है कि अगली कुछ तिमाहियों में पूंजीगत निवेश बढ़ने लगेगा और यह पुरानी अर्थव्यवस्था में भी बढ़ेगा.
कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमिक्रॉन से अर्थव्यवस्था के समक्ष मौजूद खतरे के बारे में उन्होंने कहा कि वायरस के कुछ और स्वरूप भी सामने आ सकते हैं. लेकिन टीकाकरण का दायरा बढ़ने के साथ आर्थिक बढ़ोतरी के लिए जोखिम भी कम हो जाएगा.
जयंत आर वर्मा ने कहा कि चिंता की बात यह है कि मुद्रास्फीति कम होकर 4 फीसदी के लक्ष्य तक नहीं आ रही, बल्कि इसके काफी लंबे समय तक 5 फीसदी तक बने रहने का खतरा भी है.