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जेवर एयरपोर्ट के लिए हुआ करार, जानें-कब से चलने लगेंगी यहां से फ्लाइट 

यह एयरपोर्ट दुनिया की बेहतरीन और नवीन तकनीक से बनेगा. करीब 29,500 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के लिए करार (कंसेसन एग्रीमेंट) पर दस्तखत यमुना प्राधिकरण के दफ्तर में किए गए. यह एयरपोर्ट पूरे उत्तर भारत के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है.

जेवर एयरपोर्ट के लिए करार जेवर एयरपोर्ट के लिए करार
तनसीम हैदर
  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST
  • एयरपोर्ट के निर्माण पर करीब 29,500 करोड़ होंगे खर्च
  • 6 गांवों के 5926 किसानों की जमीन का अधिग्रहण

जेवर एयरपोर्ट के निर्माण के लिए स्विट्जरलैंड की ज्यूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड एजी और गौतम बुद्ध नगर के यमुना प्राधिकरण के बीच करार हो गया है. इस एयरपोर्ट के निर्माण पर करीब 29,500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. 

यह एयरपोर्ट दुनिया की बेहतरीन और नवीन तकनीक से बनेगा. यह एयरपोर्ट पूरे उत्तर भारत के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है. इससे बड़े पैमाने पर रोजगार भी मिलेगा और नौजवानों की तरक्की के रास्ते खुलेंगे.

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करीब 29,500 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के लिए करार (कंसेसन एग्रीमेंट) पर दस्तखत यमुना प्राधिकरण के दफ्तर में किए गए. जेवर एयरपोर्ट के निर्माण के लिए स्विस कंपनी ने यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से स्पेशल परपज व्हीकल यानी एसपीवी बनाई है. 

किसानों को मिलेगा रिजर्वेशन 

जेवर एयरपोर्ट में जमीन देने वाले किसानों को यमुना अथॉरिटी की औद्योगिक, व्यावसायिक और आवासीय योजनाओं में क्रमशः 10%, 10% और 17.5% का रिजर्वेशन मिलेगा. जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह ने इसके बारे में शासन को प्रस्ताव भेजा है. जल्द ही प्राधिकरण की बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है. 

6 गांवों से जमीन का अधिग्रहण 

गौरतलब है कि जेवर में एयरपोर्ट के लिए 6 गांवों के 5926 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है. इन गांवों में रन्हेरा, रोही, पारोही, बनवारीवास, किशोरपुर, दयानतपुर गांव शामिल हैं. करीब 1,339 हेक्टेयर में बनाए जाने वाले इस हवाईअड्डे पर करीब 29,500 करोड़ रुपये की लागत आएगी.

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2022 तक पूरा करने का लक्ष्य 
जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी मॉडल) के तहत बनाया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है. इस एयरपोर्ट से उड़ान सेवा 2023 में शुरू करने का लक्ष्य है.

जेवर एयरपोर्ट का लाभ अधिक से अधिक लोगों को मिल सके, इसके लिए भी तैयारी चल रही है. जेवर एयरपोर्ट को दिल्ली और पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिलों को जोड़ने के लिए मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट का अध्ययन चल रहा है. इसके तहत सड़क मार्ग के साथ-साथ रैपिड ट्रेन समेत विभिन्न माध्यमों से कनेक्टिविटी शामिल है. 

जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह ने बताया, 'किसानों की अजीविका का एक मात्र साधन कृषि है जो कि अथॉरिटी के अधिग्रहण से खत्म हो जाएगी. ऐसे में किसानों को जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का अधिक से अधिक लाभ मिले इसके लिए मैंने शासन को प्रस्ताव भेजा है.' 

 


 

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