
केंद्र सरकार की पूरी तैयारी थी कि LIC का IPO मार्च-2022 में लॉन्च कर दिया जाए. लेकिन शेयर बाजार में गिरावट की वजह से आईपीओ में देरी हो रही है. खबर है कि रूस-यूक्रेन संकट की वजह से बाजार दबाव में है और इसी कारण IPO को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक अब सरकार LIC के मेगा इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) को मई मध्य तक लाने की योजना बना रही है. उम्मीद की जा रही है कि उस समय तक मार्केट वोलैटिलिटी घट जाएगी. यह बात ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कही गई है.
मई से पहले LIC IPO लाने की तैयारी
वहीं पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर 12 मई तक LIC का IPO नहीं आता है तो सरकारी बीमा कंपनी को SEBI से दोबारा मंजूरी लेने की जरूरत पड़ सकती है, जो सरकार करना नहीं चाहती है, इसलिए उम्मीद है कि दोबारा इजाजत लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
इस बीच बुधवार को केरल सरकार ने LIC आईपीओ को लेकर बड़ा फैसला लिया है. केरल विधानसभा ने एलआईसी में हिस्सेदारी बेचने के केंद्र के कदम पर चिंता जताते हुए आम सहमति से एक प्रस्ताव को पारित किया है. प्रस्ताव में इसे सरकार के अधीन बनाए रखने का अनुरोध किया गया है.
केंद्र के फैसले से नाराज केरल सरकार
बता दें, विधानसभा में यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पेश किया. उन्होंने कहा कि LIC को निजी हाथों में देना देश हित में नहीं होगा, और केंद्र सरकार को अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए.
पिनराई विजयन ने कहा कि केंद्र सरकार अपने इस फैसले को यह कहकर सही ठहराने का प्रयास कर रही है कि IPO के जरिए केवल 5 फीसदी हिस्सेदारी बेची जाएगी और यह निजीकरण नहीं है. लेकिन यह स्पष्ट है कि अपनी हिस्सेदारी बेचना निजीकरण की दिशा में पहला कदम है और सरकार का असल लक्ष्य यही है.
वहीं इसी हफ्ते पीटीआई की रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है, 'हमारे पास सेबी को अभी सौंपे गए ड्राफ्ट के आधार पर आईपीओ लाने के लिए 12 मई तक का विंडो है. हम बाजार की उथल-पुथल पर गौर कर रहे हैं और जल्दी ही आरएचपी फाइल करेंगे, जिसमें प्राइस बैंड की जानकारी होगी.'