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Explainer: जानें सहकारिता मंत्रालय के बारे में, जिसकी कमान संभाल रहे अमित शाह

सरकार के अनुसार, यह मंत्रालय सहकारिता को गहराई प्रदान करते हुए उसे असल में लोक आधारित आंदोलन बनाएगा और उसकी पहुंच जमीनी स्तर तक ले जाने कोशिश करेगा. 

अमित शाह को मिली है सहकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी (फाइल फोटो: PIB) अमित शाह को मिली है सहकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी (फाइल फोटो: PIB)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 09 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 3:18 PM IST
  • केंद्र सरकार ने बनाया है नया मंत्रालय
  • गृह मंत्री अमित शाह को मिली जिम्मेदारी

कैबिनेट विस्तार से पहले ही इस हफ्ते की शुरुआत में मंगलवार को सरकार ने एक अलग सहकारिता मंत्रालय (Ministry of Cooperation) बनाने का ऐलान कर दिया था. इसके बाद बुधवार यानी 7 जुलाई को कैबिनेट विस्तार में गृह मंत्री अमित शाह को सहकारिता मंत्रालय की भी जिम्मेदारी दी गई. 

क्या होगा नए मंत्रालय का काम

सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (PIB) द्वारा जारी बयान के अनुसार यह मंत्रालय 'सहकार से समृद्धि' के विजन को साकार करेगा. यह एक मंत्रालय देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए एक अलग प्रशासनिक, कानूनी और नीतिगत ढांचा प्रदान करेगा.'  

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सरकार के अनुसार, यह मंत्रालय सहकारिता को गहराई प्रदान करते हुए उसे असल में लोक आधारित आंदोलन बनाएगा और उसकी पहुंच जमीनी स्तर तक ले जाने की कोशिश करेगा. 

मंत्रालय सहकारी​ समितियों के लिए कारोबार आसान बनाने का रास्ता प्रशस्त करेगा और बहुराज्यीय सहकारी समतियों के विकास में मदद करेगा. गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वित्त वर्ष का बजट पेश करते समय ही इसका ऐलान किया था. 

क्या है सहकारिता आंदोलन 

सहकारिता (cooperative) के तहत जनता के बीच से लोग मिलकर संस्थाएं बनाते हैं और किसी साझा लक्ष्य के लिए काम करते हैं, जैसे बैंकिंग, खेती, चीनी मिल संचालन, डेयरी फार्मिंग आदि. देश में फिलहाल करीब 1,94,195 कोऑपरेटिव डेयरी सोसाइटी और 330 शुगर मिल एसोसिएशन हैं. इसके अलावा हर राज्य में कई सहकारी बैंक हैं. इस आंदोलन की सफलता का सबसे बड़ा उदाहरण अमूल ब्रैंड है जो कि गुजरात की सहकारी संस्था के द्वारा ही चलाया जाता है. 

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साल 2019-20 में देश में सहकारी डेयरी समितियों के द्वारा हर दिन 3.7 करोड़ लीटर दूध की बिक्री की गई. देश में होने वाले चीनी उत्पादन का करीब 35 फीसदी हिस्सा सहकारी समितियों के द्वारा होता है. 

किसानों को कर्ज

ग्रामीण स्तर पर किसानों द्वारा बहुत सी प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसाइटीज का गठन किया गया है. ये सोसाइटियां किसानों को कर्ज दिलाती है जिसके लिए जिला सहकारी बैंक और राज्य सहकारी बैंक बनाए गए हैं. 

नाबार्ड की सालाना रिपोर्ट के अनुसार साल 2019-20 में देश में 95,238 प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसाइटी, 363 जिला सहकारी बैंक और 33 राज्य सहकारी बैंक है. इसके अलावा शहरी सहकारी बैंक भी हैं जो शहरों के कम आय के लोगों को कर्ज मुहैया कराते हैं. साल 2019-20 में देश में 1,539 शहरी सहकारी बैंक थे. 

कृषि की तरह ही सहकारिता को संविधान की समवर्ती सूची में शामिल किया गया है, जिसका मतलब यह है कि इन पर केंद्र और राज्य सरकारें दोनों का शासन लागू होगा. ज्यादातर सोसाइटियां अपने राज्य के सहकारिता आयुक्त और रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज के द्वारा संचालित होती हैं. 

 

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