
LIC IPO Update: देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी LIC का IPO अगले महीने आने वाला है. लोग बेसब्री से इस आईपीओ में पैसे लगाने का इंतजार कर रहे हैं. कंपनी ने हाल में आईपीओ का ड्राफ्ट पेपर जमा किया है. इस ड्राफ्ट पेपर के मुताबिक 30 सितंबर, 2021 तक LIC के पास 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की लावारिस रकम पड़ी थी. लावारिस रकम का मतलब यह है कि इस पैसे को क्लेम करने वाला कोई नहीं है. यह रकम कंपनियों के मार्केट कैप और कई मंत्रालयों के बजट से भी ज्यादा है. आइए जानते हैं कि LIC ने DRHP में क्या जानकारी दी हैः
Draft Paper से मिली जानकारी (LIC IPO DRHP)
LIC ने रविवार को सेबी के समक्ष IPO के लिए ड्राफ्ट पेपर प्रस्तुत किया है. कंपनी का आईपीओ लाने की दिशा में यह एक अहम कदम है. यह भारत का सबसे बड़ा IPO होगा. LIC के IPO के DRHP के मुताबिक देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी के पास 21,539.5 करोड़ रुपये की Unclaimed रकम है. यह आंकड़ा 30 सितंबर, 2021 तक का है. 31 मार्च, 2021 तक कंपनी के पास 18,495.31 करोड़ रुपये की Unclaimed रकम थी. इस तरह कहा जा सकता है कि छह महीने में Unclaimed Amount में 16.5 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया. 31 मार्च, 2020 तक यह आंकड़ा 16,052.65 करोड़ रुपये का था.
Unclaimed Amount को लेकर यह भी जान लीजिए
LIC ने जानकारी दी है कि लावारिस रकम में ऐसे क्लेम भी हैं, जिन्हें सेटल किया गया लेकिन पेमेंट नहीं हुई है. इसके साथ ही पॉलिसी के मेच्योर होने पर देय अमाउंट और पॉलिसीहोल्डर द्वारा जमा किया गया अतिरिक्त अमाउंट है, जिसे रिफंड नहीं किया जा सका है. Unclaimed Amount में वैसी रकम बहुत अधिक है, जो पॉलिसी मेच्योर होने के बाद निवेशक को नहीं मिल पाई है. यह कुल Unclaimed Amount के 90 फीसदी के आसपास है.
इन मंत्रालयों के बजट से ज्यादा है रकम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुल लावारिस रकम कई केंद्रीय मंत्रालय के कुल बजट से ज्यादा है. यह सिविल मिनिस्ट्री के 10,667 करोड़ रुपये, इलेक्ट्रॉनिस एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के 14,300 करोड़ रुपये, विदेश मंत्रालय के 17,250 करोड़ रुपये और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के 3,030 करोड़ रुपये से ज्यादा है.
बैंकों के पास भी काफी Unclaimed Amount
ऐसा नहीं है कि केवल LIC के पास इतने अधिक पैमाने पर Unclaimed Amount है. बैंकों के पास भी 24,356 करोड़ रुपये हैं, जिसे क्लेम करने वाला कोई नहीं है. इसके साथ ही स्टॉक मार्केट में निवेश से जुड़े करोड़ों रुपये हैं, जिनका कोई दावेदार नहीं है.