
LIC IPO Latest Update: बीमा नियामक इरडा (IRDA) ने एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) के प्रस्ताव को इस सप्ताह मंजूरी दे दी. अब बाजार नियामक सेबी (SEBI) के पास आज ड्राफ्ट पेपर्स (IPO Draft) जमा कराए जा सकते हैं. बाजार नियामक का सिग्नल मिलते ही देश के सबसे बड़े आईपीओ पर जारी ऊहापोह समाप्त हो जाएगा. इसके बाद अगले महीने यह आईपीओ शेयर मार्केट (Share Market) पर दस्तक दे सकता है.
आज होगी एलआईसी बोर्ड की बैठक
सूत्रों के हवाले से चल रही खबरों में बताया जा रहा है कि इरडा के बोर्ड (IRDA Board) ने 9 फरवरी को हुई एक बैठक में एलआईसी आईपीओ के प्रस्ताव को मंजूरी दी. इसके बाद अब सेबी के पास ड्राफ्ट पेपर्स जमा करने की बारी है. ड्राफ्ट पेपर्स जमा होते ही इस आईपीओ से जुड़ी सारी अहम जानकारियां सामने आ जाएंगी. यह भी पता चल जाएगा कि इस आईपीओ का साइज क्या होने वाला है और सरकार अपनी कितनी हिस्सेदारी बेचने वाली है. आज एलआईसी के बोर्ड की एक अहम बैठक भी होने वाली है.
सेबी से जल्द मंजूरी की डिमांड
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने 01 फरवरी को बजट पेश करते हुए कहा था कि एलआईसी का आईपीओ 31 मार्च से पहले आने वाला है. इसके लिए सेबी को कहा गया है कि वह एलआईसी आईपीओ के ड्राफ्ट को मंजूरी देने का काम तेजी से करे. आम तौर पर सेबी इस काम में महीनों का समय लगाता है. अगर सेबी ने इस मामले में भी सामान्य तरीके से काम किया तो इस फाइनेंशियल ईयर (FY22) में एलआईसी का आईपीओ आ पाना मुश्किल हो जाएगा.
सरकार के लिए बेहद जरूरी ये आईपीओ
सरकार इस फाइनेंशियल ईयर में विनिवेश (Disinvestment) के साथ ही फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit) के मोर्चे पर पिछड़ रही है. विनिवेश का टारगेट रिवाइज करने के बाद भी अभी सरकार मीलों दूर है. पहले 2021-22 में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया गया था. इसे सरकार ने घटाकर 78 हजार करोड़ रुपये कर दिया है. अभी तक सरकार को विनिवेश से करीब 12 हजार करोड़ रुपये ही मिल पाए हैं. ऐसे में टारगेट अचीव करने के लिए सरकार की सारी उम्मीदें एलआईसी आईपीओ पर टिकी हुई हैं.
ये हो सकता है आईपीओ का साइज
पहले कहा जा रहा था कि इस आईपीओ के जरिए सरकार एलआईसी में अपनी 10 फीसदी तक हिस्सेदारी बेच सकती है. ऐसा होता तो आईपीओ का साइज 1 लाख करोड़ रुपये के भी पार निकल सकता था. इस भारी-भरकम साइज से आशंकाएं उठने लगी थीं कि कहीं बाजार इसे सही से डाइजेस्ट न कर पाए. फिलहाल माना जा रहा है कि सरकार इसे दो हिस्से में पूरा कर सकती है. पहले इश्यू के साथ 5 फीसदी हिस्सेदारी की पेशकश की जा सकती है. सरकार बाद में और हिस्सेदारी बेचने का प्रयास कर सकती है.