
LIC IPO: भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) से इसके कर्मचारियों की छंटनी हो सकती है और निगम द्वारा सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हो रहा खर्च भी कम हो जाएगा. एक ट्रेड यूनियन नेता ने यह दावा किया है.
ऑल इंडिया एलआईसी एम्प्लॉईज फेडरेशन (AILICEF) के महासचिव राजेश कुमार ने कहा कि आईपीओ के बाद एलआईसी का फोकस लोगों के निवेश पर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा देने पर हो सकता है, बजाय अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य के. कुमार ने कहा कि एलआईसी का गठन ग्रामीण, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को बीमा सुविधाएं प्रदान करने के लिए हुआ था.
आईपीओ लाने की तैयारी
गौरतलब है कि सरकार एलआईसी की ज्यादा से ज्यादा 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए आईपीओ लाने की तैयारी कररही है. इसका आईपीओ इस वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2022 के बीच आ सकता है. अभी इसमें सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी है.
कुमार ने Bloomberg को दिए एक इंटरव्यू में कहा, 'पिछले 60 साल से एलआईसी सड़कों, रेलवे, बिजली जैसे गहन पूंजी वाले सामाजिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की फंडिंग में मदद करती रही है. लेकिन आईपीओ आने के बाद कंपनी निवेश पर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा देने पर हो सकता है.'
पीएम को लेटर लिख किया विरोध
इस ट्रेड यूनियन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सांसदों का लेटर लिखकर एलआईसी की लिस्टिंग का विरोध किया है. यूनियन एलआईसी की हिस्सेदारी बेचने के खिलाफ अभियान चलाने की भी तैयारी कर रहा है. उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचना एक जानबूझकर अपनाई गई बर्बादी वाली नीति है.'